रूस: मीडिया व सिविल सोसायटी पर 'दमन' की निन्दा

संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त स्वतंत्र मानवाधिकर विशेषज्ञों ने, रूस द्वारा सिविल सोसायटी संगठनों, मानवाधिकार पैरोकारों और मीडिया संगठनों पर लगातार जारी और बढ़ रहे दमन की निन्दा की है.
12 मानवाधिकार विशेषज्ञों ने बुधवार को रूस से “नागरिक स्थान पर दमन” को रोकने की अपील करते हुए रेखांकित किया है कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से, हालात और भी ज़्यादा ख़राब हुए हैं.
UN experts condemn 🇷🇺 #Russia's heightened crackdown on #civilsociety, #HRDs & the #media. The State should halt #ArbitraryDetentions, use of #ExcessiveForce, #FreedomofExpression restrictions on those who ensure accountability & information access.👉https://t.co/7yGAEmRR3E pic.twitter.com/QbCcuEk8ul
UN_SPExperts
इन स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि अधिकतर स्वतंत्र मीडिया संगठन,मुक़दमेबाज़ी से बचने के लिये बन्द हो गए हैं, या फिर अवरुद्ध कर दिये गए हैं जिनमें दर्जनों विदेशी मीडिया इकाइयाँ भी शामिल हैं.
इन मानवाधिकार विशेषज्ञों में तीन विशेष रैपोर्टेयर भी शामिल हैं जिनकी नियुक्ति यूएन मानवाधिकार परिषद, मनमाने बन्दीकरण पर कार्यकारी समूह और व्यवसाय व मानवाधिकार पर कार्यकारी समूह द्वारा होती है.
इन विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि देश में 20 से ज़्यादा मीडिया संगठनों ने या तो काम करना बन्द कर दिया है या उनका कामकाज स्थगित कर दिया गया है, जिनमें नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता अख़बार नोवाया ग़ैज़ेटा, स्वतंत्र टैलीविज़न चैनल डोज़्हद (Dozhd) और रेडियो स्टेशन – Echo of Moscow भी शामिल हैं.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि रूस में ट्विटर, फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम भी अवरुद्ध कर दिये गए हैं, और मेटा कम्पनी को “एक अतिवादी संगठन के रूप में परिभाषित करते हुए प्रतिबन्धित कर दिया गया है.”
इन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने एक वक्तव्य जारी करके कहा है कि जिन हज़ारों लोगों ने यूक्रेन युद्ध के विरोध में प्रदर्शन किये, उनमें से लगभग 16 हज़ार लोगों को बन्दी बनाया गया है जिनमें मानवाधिकार पैरोकार भी शामिल हैं.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने आरोप लगाया है कि जेल में बन्द किये गए प्रदर्शनकारियों और मानवाधिकार पैरोकारों के ख़िलाफ़ अत्यधिक बल प्रयोग किया गया है, साथ ही उन्हें अपमानित किया गया है और डराया-धमकाया गया है.
और जो लोग इन बन्दियों को क़ानूनी सहायता मुहैया करा रहे हैं, उन्हें “क़ानून लागू करने वाले अधिकारियों द्वारा कथित रूप से, पुलिस थानों और अदालतों तक पहुँचने से रोका गया है.”
विशेष रैपोर्टेयर और मानवाधिकार विशेषज्ञों की नियुक्ति, जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी विशिष्ट मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच-पड़ताल करने और रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है. ये पद मानद होते हैं और इन विशेषज्ञों को उनके कामकाज के लिये संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.
इन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने बताया है कि अन्तरराष्ट्रीय प्रोद्योगिकी कम्पनियों सहित, बहुत सी कम्पनियाँ, अपनी साख़ और क़ानूनी जोखिमों के डर से, रूसी बाज़ार से हट रही हैं, मानवाधिकार पैरोकारों और सिविल सोसायटी संगठनों को भी ऐसी सूचना और संचार ढाँचे तक बहुत सीमित पहुँच है, जो उनके कामकाज के लिये अति महत्वपूर्ण हैं.
उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा है कि व्यवसायों को अपने पूरे कामकाज व अभियानों में, मानवाधिकारों का ख़याल रखना चाहिये, और पूर्ण अलगाव से बचने के लिये, रूसी मानवाधिकार पैरोकारों और सिविल सोसायटी संगठनों की मदद करनी चाहिये.