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यमन: युद्धविराम समझौते में उपलब्धियों और चुनौतियों का विवरण सुरक्षा परिषद को

यमन की राजधानी सना में एक व्यक्ति अपनी तीन वर्षीय बेटी के साथ.
© UNOCHA/Giles Clarke
यमन की राजधानी सना में एक व्यक्ति अपनी तीन वर्षीय बेटी के साथ.

यमन: युद्धविराम समझौते में उपलब्धियों और चुनौतियों का विवरण सुरक्षा परिषद को

शान्ति और सुरक्षा

सुरक्षा परिषद को सोमवार को बताया गया है कि यमनी सरकार और हूथी विद्रोहियों के दरम्यान, संयुक्त राष्ट्र के समर्थन से हासिल किया गया युद्धविराम समझौता क़ायम तो है, मगर सड़कें खोले जाने का अहम मुद्दा अब भी अनसुलझा है, जबकि देश की मानवीय संकट की स्थिति और भी बदतर हो रही है.

यमन के लिये यूएन महासचिव के विशेष दूत हैन्स ग्रण्डबर्ग, और संयुक्त राष्ट्र के राहत मामलों की उप प्रमुख जॉयस म्सूया ने, सोमवार को सुरक्षा परिषद के सदस्य राजदूतों को ताज़ा स्थिति से अवगत कराया.

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हैन्स ग्रण्डबर्ग ने देश व्यापी युद्धविराम समझौता लागू होने के तीन महीने के दौरान हासिल की गई उपलब्धियों का विवरण दिया. पिछले छह वर्ष के युद्ध के दौरान ये पेश आ रही चुनौतियाँ भी गिनाईं.

बारीकियों में उलझाव

इस समझौते का तीन महीने के भीतर फिर से नवीनीकरण होगा, और इस समझौते को आगे बढ़ाने के लिये प्रयास जारी रखे जाएंगे. 

विशेष दूत ने, जॉर्डन के अम्मान से वीडियो लिंक के ज़रिये बात करते हुए कहा, “समझौता शुरू हुए साढ़े तीन महीने बीत चुके हैं, मगर हम अब भी ख़ुद को इस समझौते के क्रियान्वयन की बारीकियों में ही उलझा हुआ पाते हैं.” 

“यह अहम है. मगर इसका असर ये हुआ है कि हम आबादी तक और ज़्यादा फ़ायदा पहुँचाने और यमन को एक टिकाऊ राजनैतिक समाधान की तरफ़ रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिये, इस समझौते को मज़बूत करने और इसका विस्तार करने पर ज़्यादा समय व संसाधन नहीं लगा पाए हैं.”

दो महीने का ये विस्तार योग्य समझौता अप्रैल में, रमदान का पवित्र महीना शुरू होने के मौक़े पर घोषित किया गया था. जून में इस समझौते को दो और महीने के लिये बढ़ा दिया गया था.

आम लोगों की ज़िन्दगियाँ

हैन्स ग्रण्डबर्ग ने बताया कि इस अवधि के दौरान, यमन में आम लोगों की मौत और उनके घायल होने के मामलों में कमी दर्ज की गई है. इस संख्या में, समझौता लागू होने से पहले के तीन महीनों की अवधि की तुलना में, दो तिहाई कमी आई है.

संयुक्त राष्ट्र को दोनों पक्षों की तरफ़ से, आगज़नी, ड्रोन हमलों, जासूसी हवाई उड़ानों और नई तरह की क़िलेबन्दी बनाने और खाइयाँ खोदने के बारे में ख़बरें मिलती रहती हैं. 

ऐसा भी कहा जाता है कि दोनों पक्ष कुछ मुख्य मोर्चों के लिये सैन्य बलों की तैनाती कर रहे हैं, जिनमें माआरिब, हुदायदाह और ताइज़ भी शामिल हैं.

इस समझौते की बदौलत, हुदायदाह बन्दरगाह के ज़रिये ईंधन देश में दाख़िल हो सका है जोकि बहुत अहम है. आयात होने के कारण ऐसी ज़रूरी सार्वजनिक सेवाओं में बाधाओं को टाला जा सका है जो ईंधन पर निर्भर हैं, जिनमें पानी, स्वास्थ्य देखभाल, बिजली, और परिवहन शामिल हैं.

समझौते का विस्तार

संयुक्त राष्ट्र के दूत, इस समझौते के लम्बे विस्तार की सम्भावना और एक विस्तृत युद्ध विराम समझौते के लिये, पक्षों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे. ऐसा होने से अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, और अन्य प्राथमिकता वाले मुद्दों पर गम्भीर बातचीत शुरू करने के लिये समय और अवसर मिल सकेंगे.

वैसे तो ये समझौता ही आगे बढ़ने के लिये एक अहम पड़ाव का प्रतिनिधित्व करता है, मगर यमन में मानवीय ज़रूरतों की सम्भावित त्वरित वृद्धि को टालने में, ये समझौता मात्र ही पर्याप्त नहीं होगा. इन चुनौतियों में कुछ इलाक़ों में अकाल का जोखिम भी शामिल है.

संयुक्त राष्ट्र के राहत मामलों की उप प्रमुख जॉयस म्सूया ने ये स्पष्ट सन्देश सुरक्षा परिषद के सामने रखा. “यमन की मानवीय त्रासदी बद से बदतर होने के रास्ते पर है.”

उन्होंने और ज़्यादा बड़ी अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की पुकार लगाई.

ज़्यादा संसाधनों की दरकार

तात्कालिक प्राथमिकताओं के लिये धनराशि की भी क़िल्लत हो रही है जिसमें SAFER तेल टैंकर के क्षरण से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिये 14 करोड़ 40 लाख डॉलर की धनराशि की कमी भी शामिल है.

ये जहाज़ यमन के लाल सागर तट के पास पानी में खड़ा है जिसमें 10 लाख बैरल से भी ज़्यादा तेल लदा है और इस जहाज़ के टूटकर बिखर जाने या फट जाने का जोखिम बढ़ रहा है.

इसके अतिरिक्त व्यावसायिक आयात को आसान बनाने वाली यूएन पुष्टि व निगरानी प्रणाली के पास भी धन तेज़ी से ख़त्म हो रहा है, और ये सितम्बर 2022 में बन्द हो जाएगी.

इसके परिणामस्वरूप, पहले से ही अनेक बाधाओं का सामना कर रही खाद्य, ईंधन और अन्य ज़रूरी वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला के लिए और भी ज़्यादा अनिश्चितता उत्पन्न हो जाएगी.

जॉयस म्सूया ने उम्मीद जताई कि तात्कालीक ज़रूरतें पूरी करने के लिये, राजनैतिक और वित्तीय संसाधन उपलब्ध होंगे.