यूक्रेन: युद्ध प्रभावितों के लिये सर्दियों में कठिनाइयाँ और बढ़ने की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने गुरूवार को आगाह किया है कि यूक्रेन में युद्ध से प्रभावित लाखों लोगों के लिये सर्दी के महीने बेहद कठिनाई भरे साबित हो सकते हैं. यूएन एजेंसी की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में भीषण लड़ाई के बीच रूसी सैन्य बल आगे बढ़ रहे हैं.
रूसी सैन्य बलों द्वारा यूक्रेन पर 24 फ़रवरी को आक्रमण के बाद से, अब तक देश में एक करोड़ 15 लाख लोग अपना घर छोड़ने पर मजबूर हुए हैं. इनमें से 63 लाख से अधिक लोग देश की सीमाओं के भीतर ही विस्थापित हुए हैं.
यूएन शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख फ़िलिपो ग्रैण्डी ने राजधानी कीयेव के पास इरपिन व बूचा में बमबारी से तबाह हुए इलाक़ों का दौरा किया.
In the rubble of Irpin, the result of Russian shelling (and as reports from Eastern Ukraine brought news of fresh destruction), we also saw people repairing, fixing, clearing.Solidarity with the people of Ukraine remains vital and must continue, especially as winter approaches. pic.twitter.com/FhEp1v3DML
FilippoGrandi
उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि सर्दियों का मौसम जल्द ही हमारे सामने होगा और यह कठिनाई भरा समय साबित हो सकता है.
“और यूक्रेन में सर्दियाँ कड़ाके की, बहुत कठिनाई भरी होती हैं, बहुत ही ठण्डी. इसलिये हमें हरसम्भव प्रयास करने होंगे ताकि पहले से ही अपने जीवन में बहुत कुछ सह रहे लोगों के लिये, ठण्ड को उनकी अगली चुनौती बनने से रोका जा सके.”
यूएन शरणार्शी एजेंसी ने आगाह किया कि लोग अपने क्षतिग्रस्त घरों को फिर से खड़ा करने, अपने परिवार से फिर मिलने और चार महीने से जारी युद्ध के सदमे से उबरने के लिये संघर्ष कर रहे हैं.
उनके रोज़गार व आय का स्रोत ख़त्म हो गया है, जबकि अति-आवश्यक वस्तुओं की क़ीमतें बढ़ रही हैं, ईंधन और उन्हें तत्काल वित्तीय सहायता की आवश्यकता है,
शरणार्थी मामलों के उच्चायुक्त ने युद्ध प्रभावितों से मुलाक़ात और बातचीत के बाद कहा कि कठिन चुनौतियों के बावजूद, उन्हें लोगों में इस संकट से उबरने और अपनी क्षतिग्रस्त इमारतों का फिर से निर्माण करने के लिये, सहनक्षमता, शक्ति व दृढ़ संकल्प के दर्शन हुए.
यूक्रेन में मानवीय मामलों में समन्वय के लिये संयुक्त राष्ट्र समन्वय कार्यालय के अनुसार, युद्ध से एक करोड़ 57 लाख लोग प्रभावित हुए हैं और उन्हें अब समर्थन की दरकार है.
यूएन एजेंसी ने अभी तक इनमें से दो-तिहाई लोगों तक सहायता पहुँचाई है.
लड़ाई जारी रहने और युद्धरत पक्षों द्वारा अवरोध खड़े किये जाने की वजह से दुर्गम इलाक़ों में सहायता वितरित करने में मुश्किलें पेश आ रही हैं, विशेष रूप से लुहान्स्क के सरकारी और ग़ैर-सरकारी नियंत्रण वाले इलाक़ों में.
असुरक्षा के कारण, लड़ाई से प्रभावित इलाक़ों से आमजन के लिये सुरक्षित बाहर निकलना, चुनौतीपूर्ण हो गया है.
यूएन एजेंसी का आकलन दर्शाता है कि हिंसा प्रभावित इलाक़ों में जल सुलभता और स्वास्थ्य देखभाल चिन्ताजनक रूप से सीमित है.
बताया गया है कि बिजली की सुलभता का अभाव बेहद चिन्ताजनक स्तर पर है और लुहान्स्क व दोनेत्स्क क्षेत्र में परिवारों, व्यवसायों और सार्वजनिक संस्थानों में पिछले कई हफ़्तों से बिजली आपूर्ति ठप है.
यूएन के नए अपडेट के अनुसार, पूर्वी क्षेत्र में 60 प्रतिशत से अधिक लोग अपना घर छोड़कर जाने के लिये मजबूर हुए हैं. देश के उत्तरी हिस्से के लिये यह आँकड़ा 15 फ़ीसदी, दक्षिण के लिये 11 प्रतिशत और राजधानी कीयेव के लिये 11 प्रतिशत है.