भूख और कुपोषण के विरुद्ध लड़ाई में वैश्विक प्रयासों को बड़ा झटका
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में भूख की मार झेलने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 82 करोड़ 80 लाख तक पहुँच गई. संगठन का नया विश्लेषण दर्शाता है कि दुनिया निर्धनता, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण के अन्त समेत, टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये तय समयसीमा और रास्ते से भटक रही है.
नवीनतम आँकड़ा वर्ष 2020 से क़रीब चार करोड़ 60 लाख की बढ़ोत्तरी को प्रदर्शित करता है, जब कोविड-19 महामारी के कारण विश्व अर्थव्यवस्था दरक रही थी.
The world is moving further away from ending hunger, food insecurity & malnutrition in all forms according to #SOFI2022.Governments must repurpose current support to agriculture to reduce cost of nutritious & sustainable foods.📙 New @UN report👉 https://t.co/l7RnrsD9zt pic.twitter.com/fcsYhUq8Mx
FAO
विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति पर रिपोर्ट (The State of Food Security and Nutrition in the World) के नए संस्करण में स्वस्थ आहार की क़ीमतों और उसके आमजन की पहुँच से दूर होने पर भी अनुमान व्यक्त किये गए हैं.
रिपोर्ट में उन उपायों की भी पड़ताल की गई है, जिनके ज़रिये सरकारें कृषि के लिये अपने मौजूदा समर्थन में बदलाव लाकर स्वस्थ व पोषक भोजन की क़ीमतों में कमी ला सकती हैं.
विश्व के अनेक हिस्सों में सार्वजनिक संसाधन सीमित रूप से ही उपलब्ध होने के कारण इसे अहम बताया गया है.
यह रिपोर्ट खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), अन्तरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने साझा रूप से प्रकाशित की है.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में खाद्य असुरक्षा व कुपोषण के लिये ज़िम्मेदार कारकों की ओर ध्यान आकर्षित किया है.
“यह रिपोर्ट बार-बार खाद्य असुरक्षा व कुपोषण के लिये इन मुख्य कारकों के गम्भीर होते जाने को रेखांकित करती है: टकराव, चरम जलवायु घटनाएं, और बढ़ती विषमताओं के साथ आर्थिक झटके.”
उन्होंने कहा कि दाँव पर यह नहीं लगा है कि ये चुनौतियाँ आगे भी जारी रहेंगी या नहीं, महत्वपूर्ण यह है कि भविष्य के संकटों से निपटने के इरादे से सहनक्षमता निर्माण के लिये साहसिक कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाए.
चिन्ताजनक आँकड़े
वर्ष 2015 के बाद से भूख पीड़ितों की संख्या में मोटे तौर पर ज़्यादा बदलाव नहीं देखा गया है, मगर 2020 और 2021 में इसमें उछाल दर्ज किया गया.
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में 82 करोड़ 80 लाख लोग भूख से पीड़ित थे. एक साल पहले की तुलना में भूख की मार झेलने वाले लोगों की यह संख्या साढ़े चार करोड़ और 2019 की तुलना में 15 करोड़ अधिक है.
दुनिया भर में, दो अरब 30 करोड़ लोग गम्भीर या उससे कम स्तर की खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे, जोकि वैश्विक महामारी से पहले की तुलना में 35 करोड़ अधिक है.
92 करोड़ से अधिक लोग गम्भीर स्तर पर खाद्य असुरक्षा को झेल रहे हैं, और पिछले दो वर्षों में पीड़ितों की संख्या में 20 करोड़ से अधिक की वृद्धि हुई है.
विशेषज्ञों के अनुसार वर्ष 2020 में, सेहतमन्द आहार तीन अरब 10 करोड़ लोगों की पहुँच से बाहर था, और वर्ष 2019 की तुलना में यह संख्या 11 करोड़ 20 लाख अधिक है.
कोविड-19 महामारी के कारण उपजी आर्थिक चुनौतियों और महामारी से निपटने के लिये लागू की गई पाबन्दियों से खाद्य क़ीमतों में उछाल दर्ज किया गया है.
एक अनुमान के अनुसार, पाँच वर्ष से कम उम्र के साढ़े चार करोड़ बच्चे कुपोषण के सबसे घातक रूप से जूझ रहे हैं.
इसके अलावा, पाँच वर्ष से कम आयु के 14 करोड़ 90 लाख बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास अवरुद्ध है, चूँकि उन्हें आहार में पोषक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं.
यूक्रेन, जलवायु परिवर्तन
रिपोर्ट बताती है कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के कारण दोनों देशों और अन्तरराष्ट्रीय सप्लाई चेन में, अनाज, तेल के बीजों और उर्वरक की आपूर्ति में व्यवधान आया है, जिससे क़ीमतें बढ़ी हैं.
इन हालात में गम्भीर रूप से कुपोषित बच्चों के उपचार में उपयोग में लाये जाने वाले, इस्तेमाल के लिये पहले से तैयार भोजन भी महंगा हो गया है.
ये रुझान एक ऐसे समय में दिखाई दिये हैं जब चरम मौसम की घटनाओं की संख्या और उनसे सप्लाई चेन में आने वाले व्यवधान के मामले निरन्तर बढ़ रहे थे. निम्न-आय वाले देश इससे विशेष रूप से पीड़ित हैं.
वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिये यह चिन्ताजनक है.
चुनौतियां व समाधान
यूएन एजेंसियों के विश्लेषण के अनुसार, वैश्विक आर्थिक पुनर्बहाली के बावजूद वर्ष 2030 में, क़रीब 67 करोड़ लोग द्वारा भूख की मार झेलने की सम्भावना है, जोकि विश्व आबादी का आठ फ़ीसदी होगा.
यह 2015 के आँकड़े के समान ही है, जब 2030 के अन्त तक भूख, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण का अन्त करने के लिये टिकाऊ विकास लक्ष्यों को पेश किया गया था.
दूसरे शब्दों में, भूख के विरुद्ध लड़ाई में दुनिया को आगे ले जाने के लिये, टिकाऊ विकास लक्ष्यों के विफल होने की सम्भावना है.
तथ्यों के अनुसार, यदि सरकारों ने अपने संसाधनों का इस्तेमाल, पोषक भोजन के उत्पादन, आपूर्ति, और उपभोग को प्रोत्साहन देने में किया, तो उससे स्वस्थ आहार की क़ीमतों में कमी आएगी, और वे अधिक संख्या में लोगों की पहुँच के भीतर होंगे.
रिपोर्ट में सरकारों से व्यापार अवरोधों को हटाने का भी आग्रह किया है, जिससे सेहतमन्द भोजन, जैसेकि फल, सब्ज़ी, दालों की क़ीमतों में कमी लाने में मदद मिलेगी.