लीबिया: तरहुना में सामूहिक क़ब्रें मिलने का सन्देह, यूएन मानवाधिकार दल की जाँच

मानवाधिकार परिषद की एक पड़ताल के अनुसार लीबिया के तरहुना शहर में सामूहिक क़ब्रें मिलने का सन्देह जताया गया है. जाँच दल ने अपनी नई रिपोर्ट में, देश में मानवाधिकार हनन के मामले जारी रहने पर क्षोभ व्यक्त किया है, जिनसे बच्चे और वयस्क दोनों ही पीड़ित हुए हैं.
लीबिया के लिये गठित स्वतंत्र तथ्य-अन्वेषण मिशन के प्रमुख मोहम्मद अउज्जर ने सोमवार को जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि युद्ध-ग्रस्त देश में अब भी दण्डमुक्ति की संस्कृति व्याप्त है.
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इस वजह से लीबिया में पीड़ितों और उनके परिजनों के लिये राष्ट्रीय मेलमिलाप, सच जानने और न्याय प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में एक बड़ा अवरोध बना हुआ है.
मिशन की रिपोर्ट में तरहुना के सम्बन्ध में साक्ष्य और गवाही एकत्र की गई हैं, जिसमें व्यापक व व्यवस्थागत तौर पर लोगों के जबरन लापता होने, जान से मार दिये जाने, यातना दिये जाने, और बन्दी बनाये जाने के मामले हैं.
मिशन के अनुसार कथित रूप से अल कानी मिलिशिया द्वारा अंजाम दिये गए इन अपराधों को मानवता के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है.
मिशन प्रमुख का कहना है कि आधुनिकतम टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल के ज़रिये, जाँच के दौरान शहर में ऐसी क़ब्रें मिली हैं, जिनके बारे में पहले जानकारी नहीं थी.
तरहुना शहर, राजधानी त्रिपोली से 65 किलोमीटर दूर स्थित है.
मोहम्मद अउज्जर ने कहा, “हम नहीं जानते हैं कि और कितनी खुदाई की जानी होगी, लेकिन अब भी सैकड़ों लोग लापता हैं, जिनके बारे में कोई जानकारी नहीं है.”
बताया गया है कि तरहुना और पड़ोसी इलाक़ों से 200 से अधिक लोग लापता हैं, और यह उनके परिजनों के लिये बड़ी पीड़ा की वजह है.
लीबिया में वर्ष 2011 में पूर्व राष्ट्रपति मुआम्मर ग़द्दाफ़ी को सत्ता से बेदख़ल किये जाने के बाद, देश तबाही की ओर बढ़ा है, जिसकी आंच से महिलाएँ व लड़कियाँ भी नहीं बच पाई हैं.
लम्बे समय से जारी मतभेदों को सुलझाने में, हाल के समय में प्रगति हुई है, मगर, त्रिपोली में अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार अब भी, पूर्वी क्षेत्र में एक प्रतिद्वन्द्वी प्रशासन और संसदीय व्यवस्था का सामना कर रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक़ जब महिलाओं ने राष्ट्रीय चुनावों में हिस्सा लेने की इच्छा व्यक्त की, तो वे भेदभाव और हिंसा का निशाना बन गईं.
कुछ को अगवा किये जाने की भी सूचना है, जोकि लीबिया में लोगों के जबरन लापता हो जाने के मामलों के रुझान को दर्शाता है.
“भेदभाव और हिंसा लीबिया में अधिकाँश महिलाओं व लड़कियों के दैनिक जीवन का एक अहम हिस्सा है.”
मिशन प्रमुख ने कहा कि यौन व लिंग-आधारित हिंसा के विरुद्ध रक्षा सुनिश्चित करने में घरेलू क़ानून की विफलता, ऐसे अपराधों के लिये दण्डमुक्ति की भावना को प्रबल बनाती है.
महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध हिंसा के मामलों पर आदेश के लिये दो समर्पित न्यायालय तय किये गए हैं.
इसके बावजूद, मानवाधिकार विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी की है कि युवाओं को मौत की सज़ा दिये जाने, मनमाने ढँग से हिरासत में लिये जाने यौन व लिंग आधारित हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं.
इनमें वयस्क प्रवासियों के साथ आने वाले प्रवासी, शरणार्थी, और शरण पाने के इच्छुक लोग भी हैं, जिन्हें लीबिया के कुख्यात हिरासत केन्द्रों में बन्दी बनाया जाता है.
जाँच मिशन अपनी तीसरी रिपोर्ट 6 जुलाई को मानवाधिकार परिषद में पेश करेगा.