गर्भपात मुद्दा: अमेरिका के सांसदों से महिला अधिकार कन्वेन्शन का पालन करने का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने शुक्रवार को, अमेरिका के सांसदों से महिलाओं के यौन व प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों की हिफाज़त करने वाले अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का पालन करने का आग्रह किया है. ये आग्रह अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक सप्ताह पहले दिये गए उस ऐतिहासिक निर्णय के सन्दर्भ आया है जिसमें गर्भपात की गारण्टी देने वाले 50 साल पुराने एक निर्णय को पलट दिया गया था.
संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने शुक्रवार को, अमेरिका के सांसदों से महिलाओं के यौन व प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों की हिफाज़त करने वाले अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का पालन करने का आग्रह किया है.
#RoeVwade: #CEDAW urges #USA, among the only 7 countries NOT parties to the #womensrights Convention, to ratify it & ensure 🚺women access’s to safe & legal abortion. 👉https://t.co/4DFkESJ7vI pic.twitter.com/pkX8XqTxSz
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ये आग्रह अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक सप्ताह पहले दिये गए उस ऐतिहासिक निर्णय के सन्दर्भ आया है जिसमें गर्भपात की गारण्टी देने वाले 50 साल पुराने एक निर्णय को पलट दिया गया था.
संयुक्त राष्ट्र की महिला अधिकार समिति ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका पूरी दुनिया में उन केवल 7 देशों में से एक है जिन्होंने महिलाओं के अधिकारों की हिफ़ाज़त करने वाले अन्तरराष्ट्रीय कन्वेन्शन को स्वीकार नहीं किया है, जिनमें महिलाओं के यौन व प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार शामिल हैं.
कमेटी ने एक वक्तव्य में कहा है, “महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव के उन्मूलन पर समिति (CEDAW) संयुक्त राज्य अमेरिका से, महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों का सम्मान करने, संरक्षण, पूर्ण करने और प्रोत्साहन देने की प्रक्रिया में, महिलाओं के ख़िलाफ़ तमाम तरह के भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेन्शन का पालन करने का आग्रह करती है.”
CEDAW ने रेखांकित किया कि अमेरिका ने इस कन्वेन्शन पर 1980 में हस्ताक्षर किये थे मगर अभी इसकी पुष्टि किया जाना बाक़ी है.
यूएन मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने महिलाओं के गर्भपात को स्वीकृति देने वाले पुराने निर्णय को पलटने के, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को, “महिलाओं के अधिकारों और लैंगिक समानता के लिये एक भारी झटका क़रार दिया है”.
कमेटी ने इस कन्वेन्शन के पक्ष सभी देशों से, उन महिलाओं के लिये दण्डात्मक उपाय हटाने की पुकार दोहराई है जो गर्भपात कराती हैं. और कम से कम बलात्कार, दुराभिचार, गर्भवती महिलाओं के जीवन या स्वास्थ्य के लिये जोखिम, और भ्रूण को गम्भीर क्षति के मामलों में गर्भपात को क़ानूनी दर्जा दिये जाने की पुकार भी लगाई गई है.
वक्तव्य में कहा गया है, “CEDAW, 189 पक्ष देशों के साथ एक मात्र ऐसी लगभग सार्वभौमिक सन्धि है जो वृहद रूप से महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण करती है, इनमें महिलाओं के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार शामिल हैं.“
यूएन द्वारा नियुक्त पैनल ने अनुच्छेद 16 की तरफ़ विशेष ध्यान आकर्षित किया, जो महिलाओं को अपने बच्चों के जन्म के बीच समय का अन्तर रखने के बारे में स्वतंत्र व ज़िम्मेदारी तरीक़े से फ़ैसला करने के अधिकार की हिफ़ाज़त करता है.
ये भी कहा गया है कि असुरक्षित गर्भपात कराना, जच्चा महिलाओं की मौतों का एक बड़ा कारण है.
पैनल ने रेखांकित किया कि अनुच्छेद 12 के अन्तर्गत स्वास्थ्य के अधिकार में शारीरिक स्वायत्तता और यौन व प्रजनन स्वतंत्रताएँ भी शामिल हैं.