अफ़ग़ानिस्तान: महिला अधिकारों की चिन्ताजनक स्थिति, दृढ़ समर्थन व सहायता की पुकार
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय उच्चायुक्त (OHCHR) मिशेल बाशेलेट ने अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं व लड़कियों के मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति पर क्षोभ व्यक्त करते हुए, उनकी सहायता के लिये तत्काल, दृढ़ कार्रवाई की पुकार लगाई है. उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि यदि जल्द हालात नहीं बदले, तो देश में महिलाओं का भविष्य और अधिक अंधकामरय हो जाने की आशंका है.
उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने शुक्रवार को मानवाधिकार परिषद में अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं व लड़कियों की स्थिति पर आयोजित एक चर्चा के दौरान यह बात कही.
उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में कुछ ही दिन पहले आए भूकम्प के पीड़ितों के प्रति अपनी सम्वेदना व एकजुटता व्यक्त करते हुए चिन्ता जताई कि इस आपदा से अफ़ग़ान आबादी के लिये परिस्थितियाँ और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई हैं.
#Afghanistan: "We are at a crucial moment in time, with the fate of the country’s women & girls hanging in the balance. They deserve no less than our determined & immediate action" –UN Human Rights Chief @mbachelet tells the @UN_HRC.👉https://t.co/oe6gmRrgt6#HRC50 pic.twitter.com/7jkndWk0Ko
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देश गम्भीर भूख और खाद्य असुरक्षा से जूझ रहा है, और इससे 90 फ़ीसदी वो घर-परिवार हैं, जिनकी बागडोर महिलाओं ने सम्भाली हुई थी.
“घरेलू हिंसा और उत्पीड़न बढ़ रहा है. महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, न्यायाधीशों, वकीलों और अभियोजकों पर हमले हुए हैं.”
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने के कगार पर है, और महिलाओं में बेरोज़गारी चरम पर है.
महिलाओं की आवाजाही, पोशाक पहनने पर पाबन्दी है, जिससे उनके लिये बुनियादी सेवाओं की सुलभता प्रभावित हुई है, और उनमें मानसिक अवसाद व बेचैनी बढ़ रही है.
महिलाओं के स्वामित्व में उनके द्वारा संचालित व्यवसाय बन्द हो रहे हैं, जबकि 12 लाख लड़कियाँ अब माध्यमिक शिक्षा के दायरे से बाहर हैं.
महिला अधिकारों को ठेस
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने ध्यान दिलाया कि महिलाओं व लड़कियों के लिये हालात पर चिन्ताएँ, तालेबान द्वारा अगस्त 2021 में सत्ता हथियाए जाने के पहले से भी व्यक्त की जा रही थीं.
“मगर, उस समय सुधार सही दिशा में आगे बढ़ रहे थे, हालात में बेहतरी हुई थी और आशा थी.”
उन्होंने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि तालेबान के सत्ता सम्भालने के बाद महिलाओं व लड़कियों के मानवाधिकारों को भीषण ठेस पहुँची है.
“अगर जल्द ही कुछ बदलाव ना हुआ, तो उनका भविष्य और भी अंधकारमय होगा. इसकी ज़िम्मेदारी हम सभी पर है.”
यूएन की शीर्ष अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा कि अफ़ग़ान महिलाओं को आगे रखकर, सभी महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों की रक्षा व उन्हें बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता है.
मिशेल बाशेलेट ने इस वर्ष मार्च महीने में अपने अफ़ग़ानिस्तान दौरे का उल्लेख करते हुए कहा कि, तालेबान ने, इस्लामी शरिया क़ानून के अनुरूप, मानवाधिकार दायित्वों का सम्मान किये जाने की बात कही थी.
उच्चायुक्त बाशेलेट ने कहा कि इन आश्वासनों के बावजूद, “हम सार्वजनिक जीवन से महिलाओं व लड़कियों की लगातार ग़ैरमौजूदगी, और उनके संस्थागत, व्यवस्थागत दमन को देख रहे हैं.”
भागीदारी पर बल
यूएन एजेंसी प्रमुख ने तालेबान प्रशासन से आग्रह किया है कि महिलाओं की पुकार को सुना जाना होगा, और अर्थपूर्ण सम्वाद में उनकी भागीदारी रखनी होगी, जिसका लाभ अफ़ग़ानिस्तान को मिलेगा.
साथ ही, उन्होंने सेकेण्डरी स्कूलों को लड़कियों के लिये खोलने, बिना किसी भेदभाव के गुणवत्तापरक शिक्षा सुनिश्चित करने और शिक्षकों को संसाधन मुहैया कराये जाने पर बल दिया है.
इसके अलावा, महिलाओं की आवाजाही की आज़ादी पर लगाई गई पाबन्दियों को हटाना होगा, बाहर जाते समय किसी पुरुष संगी को साथ लेकर जाने व चेहरा अनिवार्य रूप से ढंकने की अनिवार्यता को समाप्त करना होगा और रोज़गार सुलभता के अधिकार को देना होगा.

यूएन उच्चायुक्त ने लिंग आधारित हिंसा के पीड़ितों की रक्षा व इस विषय में शिकायत के लिये स्वतंत्र तंत्रों को फिर से स्थापित किये जाने को प्रोत्साहित किया है, ताकि स्वतंत्र जाँच व दोषियों की जवाबदेही तय की जा सके.
उन्होंने अफ़ग़ान महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों की पुनर्बहाली, रक्षा व उन्हें बढ़ावा देने के लिये अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से और अधिक प्रयास किये जाने का आग्रह किया है.
मिशेल बाशेलेट ने कहा कि तालेबान के साथ किसी भी तरह के सम्पर्क व बातचीत के हिस्से के रूप में, महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों की सैद्धांतिक व सतत पैरवी को रखना होगा.
साथ ही, मानवीय राहत ज़रूरतों की समीक्षाओं व कार्यक्रमों में भी उनके अधिकारों व चिन्ताओं को प्रमुखती दी जानी होगी.