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भारत: नमक उत्पादन से जुड़ी महिला श्रमिकों के लिये, सौर ऊर्जा आजीविका प्रशिक्षण

भारत में यूएन के रैज़िडेण्ट कोऑर्डिनेटर, शॉम्बी शार्प (बाएँ से तीसरे), और रीन्यू पावर की चीफ़ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर, वैशाली निगम सिन्हा  (बाएँ से दूसरी),गुजरात के ढोकावाड़ा में 'प्रोजेक्ट सूर्य' के सौर उपकरण प्रशिक्षण केन्द्र में.
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भारत में यूएन के रैज़िडेण्ट कोऑर्डिनेटर, शॉम्बी शार्प (बाएँ से तीसरे), और रीन्यू पावर की चीफ़ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर, वैशाली निगम सिन्हा (बाएँ से दूसरी),गुजरात के ढोकावाड़ा में 'प्रोजेक्ट सूर्य' के सौर उपकरण प्रशिक्षण केन्द्र में.

भारत: नमक उत्पादन से जुड़ी महिला श्रमिकों के लिये, सौर ऊर्जा आजीविका प्रशिक्षण

एसडीजी

भारत में स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में प्रगति के लिये, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), स्वच्छ ऊर्जा कम्पनी, ‘ReNew Power और स्व-रोजगार महिला संघ (SEWA - सेवा) ने एक साथ मिलकर, गुजरात प्रदेश में 'प्रोजेक्ट सूर्य' नामक एक परिवर्तनकारी पहल की शुरुआत की है. इस परियोजना के तहत, क्षेत्र में नमक उत्पादन कार्य से जुड़ी महिला श्रमिकों को, आधुनिक स्वच्छ ऊर्जा उद्योग के कामकाज का प्रशिक्षण दिया जाएगा.

‘प्रोजक्ट सूर्य’ के तहत, कच्छ के रण में चुनौतीपूर्ण और अत्यधिक गर्मी में काम करने वाली एक हज़ार महिला श्रमिकों को, गुजरात के पाटन ज़िले के धोकावाड़ा गाँव में, सौर पैनल और सौर पम्प तकनीशियनों के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा.

वर्तमान में, ये महिलाएँ,10 महीनों में औसतन ₹10,000 (US$ 128) की बचत कर पाती हैं, जबकि एक सोलर पैनल तकनीशियन के रूप में काम करके, वो एक महीने में ₹18,000 (US$ 130) तक कमा सकती हैं.

बेहतर आमदनी, शिष्ट कामकाज

गीता अहीर भी यहाँ प्रशिक्षण के लिये आती हैं. पहले नमक श्रमिक का काम करने वाली, गीता के परिवार में 7-8 लोग हैं, जिनमें से अधिकतर मज़दूरी करके जीवन-यापन करते हैं.

गीता ख़ुशी से बताती हैं, “मैं यहाँ सौर ऊर्जा, सौर पम्प व सौर कुकर का काम सीख रही हूँ. प्रोजेक्ट सूर्य में प्रशिक्षण के ज़रिये, मैं सौर उपकरणों पर काम करना सीख रही हूँ. इससे मुझे मासिक 12 हज़ार रूपये का रोज़गार मिलेगा, जिससे मैं अपने परिवार का गुज़र-बसर कर सकूँगी.”

गाँव धोकावाड़ा की वनीताबेन पन्चाल एक गृहणी हैं और उनके पति बढ़ई का काम करके परिवार का पेट पालते हैं. उनके तीन बच्चे हैं जो अभी पढ़ाई कर रहे हैं. प्रशिक्षण केन्द्र में भर्ती को लेकर वो काफ़ी उत्साहित हैं, “मैंने जब से प्रशिक्षण केन्द्र में आना शुरू किया है, मैं बहुत ख़ुश हूँ.”

वो बताती हैं, “यह ट्रेनिंग प्राप्त करके और सौर उपकरणों के बारे में सीखकर, मुझे पास के चरन्का गाँव की सौर परियोजना में काम मिल जाएगा. मैं उस आमदनी से अपने परिवार के खर्चों में और बच्चों की पढ़ाई में मदद कर सकूँगी.”   

भारत में संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडेण्ट कोऑर्डिनेटर, शॉम्बी शार्प,  गुजरात में 'प्रोजेक्ट सूर्य' के सौर उपकरण केन्द्र में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिलाओं के साथ बातचीत करते हुए.
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भारत में संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडेण्ट कोऑर्डिनेटर, शॉम्बी शार्प, गुजरात में 'प्रोजेक्ट सूर्य' के सौर उपकरण केन्द्र में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिलाओं के साथ बातचीत करते हुए.

ख़ास बात यह है कि इस अनूठी और समावेशी परियोजना के ज़रिये, एक ही बार में, ग़रीबी उन्मूलन, लैंगिक समानता, किफ़ायती व स्वच्छ ऊर्जा, शिष्ट कामकाज, आर्थिक विकास एवं जलवायु कार्रवाई जैसे कई टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी.   

भारत में संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडेण्ट कोऑर्डिनेटर, शॉम्बी शार्प ने कहा, “हम ऊर्जा का उत्पादन कैसे करते हैं, इसका हमारे जलवायु संकट में सबसे बड़ा योगदान होता है, और यह वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस उत्सर्जन के 75 फ़ीसदी के लिये ज़िम्मेदार है."

उन्होंने कहा कि देश की 80 फ़ीसदी आबादी जलवायु परिवर्तन के नज़रिये से अत्यधिक सम्वेदनशील क्षेत्रों रहती है.

'अक्षय ऊर्जा में निवेश, न केवल इन समुदायों और पर्यावरण के लिये अच्छा है, बल्कि इससे सबसे कमज़ोर तबके के लोगों के लिये रोज़गार एवं सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है.”

स्वच्छ ऊर्जा बदलाव

सौर ऊर्जा प्रशिक्षण के लिये उपकरण.

यह कार्यक्रम 60 महिलाओं के प्रशिक्षण के साथ शुरू होगा और अंतत: लगभग एक हज़ार महिलाएँ नवीन स्वच्छ ऊर्जा भूमिकाओं में कौशल हासिल करेंगी. कार्यक्रम को भारत सरकार के राष्ट्रीय कौशल विकास निगम से भी समर्थन मिलेगा.

यूएन पर्यावरण एजेंसी ने, परियोजना की निगरानी और मूल्याँकन की ज़िम्मेदारी सँभाली है.

भारत में संगठन के कार्यालय के प्रमुख, अतुल बगई ने बताया कि दुनिया भर से प्राप्त साक्ष्य, महिलाओं के नेतृत्व वाले नवीकरणीय ऊर्जा उद्यमों और आपूर्ति श्रृँखलाओं का समर्थन करने की पैरोकारी करते हैं.

इससे बिजली तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाने और कम कार्बन व सहनसक्षम भविष्य का निर्माण करने में मदद मिल सकेगी.

"यह पहल हमारे साझीदार संगठनों, रीन्यू पावर और सेवा की अनूठी और पूरक ताकत का लाभ उठाने का एक प्रयास है, ताकि मज़बूत व विस्तार योग्य मॉडल तैयार किया जा सके, जो महिलाओं को जलवायु सहनसक्षमता एवं समावेशी आर्थिक विकास के लिये सशक्त बना सके.”

कार्यक्रम में वित्तीय सहायता प्रदान कर रहे संगठन, ReNew की चीफ़ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर, वैशाली सिन्हा ने कहा, “यह कार्यक्रम उन प्रेरक महिलाओं को स्वच्छ ऊर्जा बदलाव के केन्द्र में लाता है, जो पारम्परिक तरीक़े से आजीविका कमाने में कठिनाईयों का सामना करती हैं और बहुत कम ही कमा पाती हैं."

"इससे न केवल उनका जीवन बेहतर होगा बल्कि वो जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी सहयोग कर सकेंगी.”

परियोजना के प्रमुख कार्यान्वयन साझीदार SEWA संस्था की रीमा नानावती ने कहा, “हरित कौशल पहल से सेवा को स्वच्छ आसमान, स्वच्छ हवा और स्वच्छ पानी के निर्माण के अपने 50 वर्षों के संकल्प की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी."

"हमने इसे स्वच्छ आकाश नाम दिया है. ये कार्बन पदचिन्ह छोटे ज़रूर हैं, लेकिन सामूहिक रूप से महत्वपूर्ण योगदान देंगे. SEWA की युवा पीढ़ी को अब शिष्ट कामकाज मिलेगा और वे सम्मान एवं स्वाभिमान पूर्ण जीवन जी सकेंगे.”

भारत में संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडेण्ट कोऑर्डिनेटर, शॉम्बी शार्प ‘सूर्य परियोजना’ का मुआयना करते हुए.
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भारत में संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडेण्ट कोऑर्डिनेटर, शॉम्बी शार्प ‘सूर्य परियोजना’ का मुआयना करते हुए.