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कोविड-19: बीए.4 और बीए.5 वैरिएण्ट्स के कारण संक्रमण मामलों में 20% वृद्धि

यूगाण्डा में एक स्वास्थ्य केन्द्र पर, एक नर्स एक महिला को कोविड वैक्सीन का टीका लगाते हुए.
© UNICEF/Zahara Abdul
यूगाण्डा में एक स्वास्थ्य केन्द्र पर, एक नर्स एक महिला को कोविड वैक्सीन का टीका लगाते हुए.

कोविड-19: बीए.4 और बीए.5 वैरिएण्ट्स के कारण संक्रमण मामलों में 20% वृद्धि

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख ने कहा है कि लगभग 110 देशों में कोविड-19 संक्रमण के मामले फिर से उभार पर हैं जिनके लिये BA.4 और BA.5 वैरिएण्ट ज़िम्मेदार हैं. ये संक्रमण वृद्धि कुल मिलाकर 20 प्रतिशत तक दर्ज की गई है, और विश्व के छह में से तीन क्षेत्रों में मौतों की संख्या में भी वृद्धि दर्ज की गई है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने बुधवार को अपनी साप्ताहिक प्रैस वार्ता में ज़ोर देकर कहा कि कुल मिलाकर वैश्विक संख्या औसतन स्थिर है, मगर किसी को भी ऐसे किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिये कि कोरोनावायरस ख़त्म होने के रास्ते पर है.

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“ये महामारी अपने रूप बदल रही है, मगर ये अभी ख़त्म नहीं हुई है. हमने भी प्रगति की है, मगर अभी काम ख़त्म नहीं हुआ है.”

एकजुट होकर काम करें

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख ने कहा, “सरकारों, अन्तरराष्ट्रीय एजेंसियों और निजी क्षेत्र की एकजुट व समन्वित कार्रवाई के ज़रिये ही, हम उभरती चुनौतियों के समाधान निकाल सकते हैं.”

उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि वायरस पर नज़र रखने की हमारी सामर्थ्य पर जोखिम मंडरा रहा है क्योंकि इसके वैज्ञानिक चरित्र के बारे में जानकारी प्राप्त करने में कमी आ रही है.

इस वर्ष के मध्य तक सभी देशों की कम से कम 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण करने के लक्ष्य की पूर्ति सम्भव नज़र नहीं आ रही है, और निम्न आय वाले देशों में टीकाकरण की औसत दर 13 प्रतिशत से भी कम है.

वहीं दूसरी तरफ़ उजला पक्ष देखें तो पिछले 18 महीनों के दौरान, दुनिया भर में 12 अरब से ज़्यादा वैक्सीन टीकों का वितरण हुआ, और दुनिया भर के 75 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मी और 60 वर्ष से ज़्यादा उम्र के लोगों का टीकाकरण हो चुका है.

वैक्सीन से दो करोड़ ज़िन्दगियाँ बचीं

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि प्रख्यात लैन्सेट चिकित्सा पत्रिका का अनुमान है कि वैक्सीन टीकाकरण की बदौलत, लगभग दो करोड़ लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाई जा सकी हैं.

उन्होंने जोखिम वाले तमाम आयु समूहों के लिये टीके और बूस्टर, जल्द से जल्द लगाए जाने की पुकार लगाई.

“आम आबादी के लिये, ये बात तार्किक लगती है कि रोग प्रतिरोधी क्षमता की दीवार को मज़बूत रखा जाए, जो इस बीमारी की गम्भीरता को कम करती है, और कोविड-19 संक्रमण के बाद के हालात में व दीर्घकालीन कोविड के जोखिम को भी कम करती है.”

उन्हें कहा कि कम गम्भीर संक्रमण के मामले भी बाधक और नुक़सानदेह साबित हो रहे हैं, जिनके कारण कुछ बच्चे स्कूलों से बाहर हैं और आम लोगों को भी अपने कामकाज से बाहर रहना पड़ रहा है, जिनके कारण और भी ज़्यादा आर्थिक व सामान आपूर्ति बाधाएँ उत्पन्न हो रही हैं.

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि सभी देशों में कम से कम 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण किया जाना अब भी एक वांछित लक्ष्य है, और ये इस सिद्धान्त पर आधारित है कि हम अगर समान रूप से टीकाकरण नहीं करते हैं तो, हम इस अवधारणा को ही कमज़ोर करते हैं कि सभी इनसानों की ज़िन्दगियों की समान अहमियत है.

दूसरी पीढ़ी के वैक्सीन टीके

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि दूसरी पीढ़ी की वैक्सीन्स बनाने के लिये धन का प्रबन्ध किया जाना अति महत्वपूर्ण है, साथ ही, परीक्षणों और उपचारों के लिये भी धन का इन्तेज़ाम करना होगा.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुखिया ने कहा कि इस संगठन के एकजुटता परीक्षणों के ज़रिये, नई वैक्सीन्स की सुरक्षा और कुशलता स्थापित करने के लिये, नए परीक्षण त्वरित गति से कराए जा सकते हैं.

उन्होंने निष्कर्षतः कहा कि देशों के सरकारी स्वास्थ्य विभागों को टैस्ट और वायरस विरोधी वैक्सीन्स को, क्लीनिकल देखभाल में शामिल करने के लिये, “अभी सही समय है”, ताकि जो लोग बीमार हैं, उनका उपचार यथाशीघ्र किया जा सके.