म्याँमार: बच्चों के लिये गहराता संकट, यूएन समिति की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समिति ने जिनीवा में बुधवार को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि म्याँमार में संकटग्रस्त परिस्थितियों में जीवन गुज़ारने को मजबूर बच्चों की एक पूरी पीढ़ी की, जल्द से जल्द रक्षा सुनिश्चित की जानी होगी. समिति ने देश में मौजूदा हालात से त्रस्त बच्चों को राहत प्रदान करने के लिये, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से शीघ्र कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
समिति ने म्याँमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर की रिपोर्ट में चौंकाने वाले निष्कर्षों का उल्लेख करते हुए आगाह किया कि देश में 78 लाख बच्चे शिक्षा से वंचित हैं.
“Children continue to bear the brunt of the #Myanmar military's ongoing attacks to assert control over the territory." UN Children's Rights Committee #CRC urges the international community to act swiftly to protect children in 🇲🇲.https://t.co/3HJRq1a4NR pic.twitter.com/ytCSSLanxS
UNGeneva
दो लाख 50 हज़ार आन्तरिक रूप से विस्थापित हुए हैं, और बच्चों का अपहरण करके उन्हें सशस्त्र संघर्ष का हिस्सा बनाए जाने की भी ख़बरें मिली हैं.
"क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित करने के लिये, म्याँमार के सैन्य बलों द्वारा जारी हमलों का, बच्चे लगातार ख़मियाज़ा भुगत रहे हैं.”
फ़रवरी 2021 में सैन्य तख़्तापलट के बाद से अब तक, सशस्त्र गुटों की गतिविधियों के कारण कम से कम 382 बच्चे हताहत हुए हैं.
इस दौरान क़रीब 1,400 से अधिक बच्चों को मनमाने ढंग से गिरफ़्तार किया गया है.
बताया गया है कि सेना ने जिन बच्चों को हिरासत में लिया है, उन्होंने या तो विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था, या फिर उन पर इसमें शामिल होने का सन्देह था.
इस वर्ष 27 मई तक, कम से कम 274 बाल राजनैतिक बन्दियों को भी सैन्य हिरासत में रखे जाने की बात कही गई है.
म्याँमार में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर आत्मसमर्पण का दबाव डालने के लिये भी, सेना द्वारा बच्चों को बन्धक बनाए जाने की ख़बरें मिली हैं.
मानवाधिकारों की स्थिति पर स्वतंत्र विशेषज्ञ की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, सैन्य नेतृत्व ने कम से कम 61 बच्चे फ़िलहाल बन्धक बनाए हुए हैं.
कथित प्रवासन-सम्बन्धी अपराधों के लिये रोहिंज्या बच्चों को गिरफ्तार व हिरासत में लिया गया है. समिति के अनुसार, इन बच्चों के साथ बुरा बर्ताव किये जाने, उनका यौन शोषण होने समेत हनन के अन्य आरोप सामने आए हैं.
सैनिक के रूप में भर्ती करने के उद्देश्य से अपहरण किये जाने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है, साथ ही वे स्थानीय रक्षा समूहों में भी शामिल हो रहे हैं.
बच्चों को सशस्त्र संघर्ष में शामिल होने के लिये भेजा जा रहा है और इन हालात में उनके हताहत होने का जोखिम बढ़ रहा है.
देश में आर्थिक और मानवीय संकट बच्चों पर विनाशकारी प्रभाव डाल रहे हैं और सभी प्रकार की हिंसा और शोषण को हवा दे रहे हैं.
समिति ने चिंता जताई है कि म्याँमार सेना जानबूझकर भोजन, धन, चिकित्सा सहायता और संचार की सुलभता में रुकावट पैदा कर रही है, ताकि हथियारबन्द प्रतिरोध के लिये समर्थन को कमज़ोर किया जा सके.
म्याँमार में बच्चों की तस्करी और बाल श्रम के मामले बढ़ने की भी आशंका व्यक्त की गई है.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सैन्य तख़्तापलट के बाद से देश में आन्तरिक रूप से विस्थापित लोगों की अनुमानित संख्या ने, 1 जून को सात लाख का आँकड़ा छू लिया, जिनमें ढाई लाख से अधिक बच्चे हैं.
फ़रवरी 2021 में, तख़्तापलट के बाद से अब तक, स्कूलों और शिक्षा कर्मियों पर 260 हमलों की पुष्टि की गई है. फ़रवरी 2021 और मार्च 2022 के दौरान सशस्त्र गुटों द्वारा स्कूलों का अपनी गतिविधियों के लिये इस्तेमाल किये जाने के 320 मामले सामने आए हैं.
समिति ने म्याँमार में सैन्य नेतृत्व से बच्चों को बन्धक बनाए जाने से रोकने, टकराव में उनका इस्तेमाल ना किये जाने, ग़ैरक़ानूनी ढंग से उन्हें हिरासत में रखे जाने और उनके साथ बुरा बर्ताव ना किये जाने का आग्रह किया है.
साथ ही, बन्दी बनाए गए सभी बच्चों को तत्काल, बिना किसी शर्त के रिहा किये जाने की अपील की गई है.
समिति का कहना है कि बच्चों के विरुद्ध अत्याचार किये जाने के अपराध के दोषियों की जवाबदेही, निष्पक्ष व स्वतंत्र अदालत में तय की जानी होगी.
इस क्रम में, म्याँमार में सर्वाधिक निर्बल बच्चों तक सहायता व सेवा पहुँचाने के लिये, संयुक्त राष्ट्र और नागरिक समाज संगठनों को सुरक्षित व निर्बाध मार्ग मुहैया कराए जाने की पुकार दोहराई गई है.
समिति ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से म्याँमार में संकट की तत्काल समीक्षा किये जाने और आवश्यकता अनुरूप वैश्विक प्रयासों में बदलाव लाने का आग्रह किया है.
उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों को प्राथमिकता देते हुए उनकी पीड़ा को दूर करने के लिये ठोस उपाय किये जाने होंगे.