सीरिया की ज़रूरतें उच्चतम स्तर पर, यूएन जाँच प्रमुख
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की एक शीर्ष जाँच टीम ने बुधवार को बताया है कि सीरिया की मानवीय ज़रूरतें, अभी तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुँच गई हैं; और इस युद्धग्रस्त देश में पहुँचने वाली सहायता को रोकने के लिये किसी भी तरह के क़दम का ज़ोरदार विरोध किया जाना होगा.
सीरिया पर जाँच आयोग के अनुसार, देश के लगभग एक करोड़ 46 लाख लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं, और लगभग एक करोड़ 20 लाख लोग गम्भीर रूप से खाद्य असुरक्षित हैं. उनके अलावा हर 10 में से 9 लोग निर्धनता रेखा से नीचे जीवन व्यापन करते हैं.
#HRC50 | "As the war continues and the humanitarian situation is the worst ever, we cannot abandon #Syria's people," Paulo Pinheiro, @UNCoISyria, told the Human Rights Council."They have never been more impoverished and in need of our help"STATEMENT ▶️ https://t.co/AIByeWeEuh pic.twitter.com/pqTGSM2D9J
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इस जाँच आयोग के मुखिया पाउलो पिनहीरो ने कहा कि पिछले महीने ही मानवीय सहायताकर्मियों ने आगाह किया था कि राहत अभियानों के लिये संकल्पित धनराशि, सहायता मुहैया कराने के लिये बहुत कम है.
ग़लत प्राथमिकताएँ
पाउलो पिनहीरो ने कहा, “इस व्यथित करने वाली वास्तविकता के मद्देनज़र, ये देखना कल्पना से बाहर है कि सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर केन्द्रित चर्चा हो रही है कि सीमापार से सहायता पहुँचाने के लिये एक मात्र आधिकारिक सीमाचौकी को भी क्या बन्द कर दिया जाए, जबकि इसके उलट इस मुद्दे पर बात होनी चाहिये कि देश के भीतर जीवन रक्षक सहायता पहुँच का दायरा किस तरह बढ़ाया जाए, हर सम्भव मार्ग के ज़रिये.”
पाउलो पिनहीरो, तुर्कीये से सीरिया के उत्तरी इलाक़े में खुलने वाली मानवीय सहायता सीमा चौकी – बाब अल हवा को जल्द ही बन्द किये जाने की सम्भावनाओं का सन्दर्भ दे रहे थे. इस सीमा चौकी को 10 जुलाई से आगे भी खुली रखने के लिये, सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव की आवश्यकता होगी.
अन्तरराष्ट्रीय अभियानों के तहत सहायता पहुँचाने के लिये जो चार सीमा चौकियाँ थीं, बाब अल हवा उनमें से अन्तिम बची है, जोकि 2014 से 2020 तक खुली हुई थीं. सुरक्षा परिषद के सदस्यों के बीच इन सीमा चौकियों को खुले रखने के मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाने के कारण वो बन्द करनी पड़ीं.
सुरक्षा परिषद द्वारा स्वीकृत इस एक मात्र सीमा सहायता चौकी के ज़रिये, हर महीने लगभग 24 लाख लोगों तक मदद पहुँचती है, जोकि सीरिया के पश्चिमोत्तर हिस्से में रहने वाली आबादी के लिये जीवन रेखा है.
बारम्बार नाकामी
पाउलो पिनहीरो का कहना है, “संघर्ष से सम्बन्धित तमाम पक्ष, देश भर में तमाम ज़रूरतमन्द लोगों तक मानवीय सहायता निर्बाध तरीक़े से और त्वरित गति के साथ पहुँचने में मदद करने के लिये, अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाने में बार-बार विफल हुए हैं.”
“ये और मानवीय सहायता पहुँचाने में तमाम तरह की बाधाएँ हटाई जानी होंगी – जिनमें इकतरफ़ा तौर पर लगाए गए प्रतिबन्ध हटाया जाना भी शामिल है, चाहे वो ग़ैर-इरादतन ही क्यों ना लगाए गए हों.”
शीर्ष मानवाधिकार विशेषज्ञ ने ये चिन्ताएँ भी व्यक्त कीं कि क्या उन लगभग एक करोड़ 34 लाख सीरियाई लोगों के लिये लौटना सुरक्षित होगा जिन्हें अपने घर छोड़ने के लिये विवश होना पड़ा है.
पाउलो पिनहीरो ने कहा, “जिन लाखों शरणार्थियों को सीरिया छोड़ना पड़ा था, उन पर अब अपने घरों को वापिस लौटने के लिये दबाव बढ़ रहा है. यूएन शरणार्थी एजेंसी ने हाल ही में शरणार्थियों के दरम्यान सर्वे कराया था और 92.8 प्रतिशत ने कहा था कि वो अगले एक साल के दौरान तो स्वदेश नहीं लौटना चाहते हैं.”
सीरिया जाँच आयोग का गठन, यूएन मानवाधिकार परिषद ने अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तमाम कथित उल्लंघनों की जाँच करने के लिये, अगस्त 2011 में किया था.
आयोग ने एक बार फिर सतर्क किया है कि विदेशी लडाकों के हज़ारों सम्बन्धियों को अब भी सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े में बनाए गए एक शिविर में, भयानक ख़राब परिस्थितियों में रखा गया है.
अल होल की भयानक परिस्थितियाँ
पाउलो पिनहीरो ने कहा कि इस परिषद को यह याद दिलाए जाने की ज़रूरत है कि सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े में अल होल और अल रोज शिविरों में अब भी 40 हज़ार बच्चों को, भयानक परिस्थितियों में रखा गया है, उनके साथ बीस हज़ार वयस्क भी हैं जिनमें मुख्य रूप से महिलाएँ हैं.
“अल होल शिविर में असुरक्षा व्याप्त है और इस वर्ष कम से कम 24 लोगों की हत्याएँ दर्ज की गईं. यहाँ तक कि मानवीय सहायतकर्मियों को भी निशाना बनाया गया है.
सीरिया जाँच आयोग के अध्यक्ष के कथन पर प्रतिक्रिया देते हुए, सीरिया के प्रतिनिधि हुस्साम अदीन आला ने, आयोग की रिपोर्ट्स में दर्ज तमाम दावों और आरोपों को ख़ारिज या अस्वीकार कर दिया.
सीरिया के प्रतिनिधि ने देश पर किसी नई अन्तरराष्ट्रीय संस्था के गठन को बढ़ावा देने के प्रयत्न को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया.