लीबिया: राष्ट्रीय चुनावों की दिशा में गति बढ़ाने की ज़रूरत रेखांकित
संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने सुरक्षा परिषद को बताया है कि लीबिया में नेताओं को तमाम अनसुलझे मुद्दों के समाधान तलाश करने होंगे ताकि अन्ततः बहुप्रतीक्षित राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव कराए जा सकें.
रोज़मैरी डीकार्लो ने सोमवार को कहा, “लीबिया में संयुक्त राष्ट्र की प्राथमिकता – चुनावी प्रक्रिया की बहाली में सहायता करना है, जो चुनाव के लिये एक मज़बूत और सर्वसम्मत संवैधानिक बुनियाद पर आधारित हो. लीबिया के लोगों ने इसी के लिये इच्छा व्यक्त की है.”
उन्होंने मतदान की ख़ातिर एक संवैधानिक आधार तैयार करने के मुद्दे पर, संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित वार्ताओं के अन्तिम दौर के बाद, हाल में हुई प्रगति की प्रशंसा भी की. ये मतदान आरम्भिक प्रस्तावों व योजनाओं के अनुसार दिसम्बर 2021 में होना था.
Elections the only path to settle disagreements over the democratic legitimacy of Libyan institutions. I urge the leadership of the House of Representatives and the High State Council to agree on outstanding issues so polls can happen as early as possible. https://t.co/J0s6UwrlOO
DicarloRosemary
सहमतियाँ और मतभेद
हाल की बातचीत मिस्र की राजधानी काहिरा में हुई थी, जिसमें दो प्रतिद्वन्द्वी ख़ेमों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की. बैठक में संवर्धित संविधान की समीक्षा की गई, जिसमें तमाम लीबियाई लोगों के लिये लोकतांत्रिक भविष्य का रास्ता दिखाया गया है.
प्रतिनिधियों के दरम्यान, वर्ष 2017 के संवैधानिक प्रस्ताव के अधिकतर विवादास्पद अनुच्छेदों पर व्यापक सहमति बनी, अलबत्ता चुनावों तक पहुँचने की अवधि के दौरान सत्ता के उपायों के बारे में अब भी मतभेद बने हुए हैं.
अवसर का लाभ उठाएँ
रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा कि ये प्रगति, सही दिशा में अगला क़दम है और नेतागण, एक समाधान की दिशा में आगे बढ़ने के लिये, इस सप्ताह जिनीवा में बैठक करने वाले हैं.
उन्होंने उम्मीद जताई कि जिनीवा की बैठक में एक ऐसा अन्तिम और लागू करने योग्य समझौता बन सकेगा जिससे यथाशीघ्र चुनावों का रास्ता निकलेगा.
इस बीच, राजनैतिक विभाजन जारी रहने के कारण, राजधानी त्रिपोली में और उसके आसपास तनावपूर्ण सुरक्षा वातावरण बन रहा है, जो दो प्रतिद्वन्द्वी पक्षों के बीच गतिरोध से उपज रहा है, ये दोनों पक्ष ही वैध प्रधानमंत्री होने का दावा करते हैं.
तनाव वृद्धि
मार्च में उस समय तनाव भड़क उठा जब प्रतिनिधि सभा (HoR) ने एक नई सरकार का चुनाव किया. अलबत्ता, संयुक्त राष्ट्र और अन्तरराष्ट्रीय समर्थित अन्तरिम प्रधानमंत्री अब्दुल हामिद अल द्बीबाह ने पद से हटने से इनकार कर दिया.
पूर्वी क्षेत्र की संसद की पसन्द वाले प्रधानमंत्री फ़ाथी बशाग़ा राजधानी त्रिपोली में अपने समर्थित मिलिशिया के साथ दाख़िल हुए, जिसके बाद दोनों पक्षों के समर्थकों के बीच झड़पें हुईं.
रोज़मैरी डीकार्लो ने तनाव बढ़ने के जोखिम के बारे में आगाह करते हुए कहा कि सशस्त्र गुट ख़ुद को, इन दोनों राजनेताओं में से किसी एक के समर्थन में सक्रिय बनाए हुए हैं. उन्होंने अधिकतम संयम बरतने और बातचीत के लिये अपनी पुकार दोहराई है.
तेल बन्द होने से अरबों का नुक़सान
राजनैतिक गतिरोध के कारण अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है. रोज़मैरी डीकार्लो ने बताया कि तेल गतिविधियाँ आंशिक रूप से बन्द पड़ी हुई हैं. अप्रैल के मध्य से लीबियाई तेल निर्यात लगभग एक तिहाई घट गया है, जिससे देश को तीन अरब डॉलर से भी ज़्यादा राजस्व का नुक़सान हुआ है.
उन्होंने चेतावनी भरे शब्दों में कहा, “इसके अतिरिक्त, सार्वजनिक धन पर नियंत्रण और उसके ख़र्च के बारे में जिन असहमतियों की वजह से तेल गतिविधियों में ये रुकावट उत्पन्न हुई थी, वो असहमतियाँ अब भी बरक़रार हैं; और निकट भविष्य में, तेल मैदानों को पूरी तरह बन्द किये जाने के रूप में सामने आ सकती हैं.”
लीबिया में जारी चिन्ताजनक मानवाधिकार स्थिति के बारे में भी सुरक्षा परिषद को ताज़ा जानकारी दी गई.
सिविल स्थान का क्षय
राजनैतिक मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा कि नौ सिविल सोसायटी व मानवीय कर्मियों को गत नवम्बर से फ़रवरी के दरम्यान, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग करने पर गिरफ़्तार किया गया, और वो लोग अब भी बन्दी हैं.
उन्होंने राजदूतों को बताया, “मैं चिन्तित हूँ कि सिविल स्थान लगातार कम होता जा रहा है. सिविल सोसायटी संगठनों पर मनमाने ढंग से लगाए गए प्रतिबन्ध जारी हैं.
मानवाधिकारों की रक्षा के लिये राजनैतिक रूप से सक्रिय महिलाओं और पुरुषों को नफ़रत भरी भाषा व हिंसा के भड़काव के साथ निशाना बनाया जा रहा है, जिससे उन लोगों की सुरक्षा और सलामती के लिये जोखिम उत्पन्न हो रहा है.”
लीबिया में यूएन मिशन (UNSMIL) को भी बन्दीग्रहों और जेलों के भीतर, लीबियाई लोगों, प्रवासियों, और शरण इच्छुकों का उत्पीड़न किये जाने के गम्भीर आरोप मिले हैं.
रोज़मैरी डीकार्लो ने ज़ोर देकर कहा कि अधिकारियों को उत्पीड़न और मानवाधिकार हनन के तमाम आरोपों की जाँच करानी होगी, और ज़िम्मेदारों की जवाबदेही निर्धारित की जानी होगी.
उन्होंने साथ ही, उस स्वतंत्र अन्वेषण मिशन का शासनादेश (Mandate) बढ़ाने का भी आहवान किया जो मानवाधिकार हनन के मामलों की जाँच व रिपोर्ट तैयार कर रहा है.