अफ़ग़ानिस्तान: घातक भूकम्प के बाद, देशों से मदद बढ़ाने की पुकार
अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी डॉक्टर रमीज़ अल अकबरोफ़ ने देश में बीते सप्ताह आए विनाशकारी भूकम्प से बुरी तरह प्रभावित समुदायों का एक दिवसीय दौरा करने के बाद रविवार को, देश के लिये अधिक से अधिक अन्तरराष्ट्रीय समर्थन की गुहार लगाई.
महासचिव के उप विशेष प्रतिनिधि और अफ़ग़ानिस्तान के लिये मानवीय समन्वयक, डॉक्टर रमीज़ अल अकबरोफ़ ने कहा कि इस यात्रा ने उन्हें अफ़गानिस्तान में लोगों की अत्यधिक पीड़ा और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने में उनके अद्भुत संकल्प, दोनों की पुन: पुष्टि की है.
@unafghanistan humanitarian team today in Mir Sahib Village, Giyan District, where I met with most resilient community, UN delivers aid on the grounds direct response to #AfghanistanEarthquake this is why we are here and this is what we do food, medicines, shelter, cash and more pic.twitter.com/rqema62Oz4
RamizAlakbarov
संयुक्त राष्ट्र और साझीदारों ने इस विनाश के हालात में मदद करने के लिये, इस साल देश के लिये अपनी तीन महीने की आपातकालीन सहायता अपील जारी की है जोकि उनकी मानवीय योजना के भीतर शामिल है.
मदद बढ़ाएँ
इस अपील का मक़सद दो प्रान्तों, पक्तिका और ख़ोस्त में लगभग 3 लाख 62 हज़ार लोगों को मानवीय और लचीला सहायोग प्रदान करने में तेज़ी लाना है जो सबसे अधिक प्रभावित थे.
उन्होनें कहा, “हालाँकि पिछले दस अशान्त महीनों में दानदाताओं ने अफगानिस्तान के लिये पहले से ही असाधारण उदारता का प्रदर्शन किया है लेकिन मैं अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से इस समय अधिक मदद का आग्रह करता हूँ, और इन जीवनरक्षक और जीवन सततता प्रयासों के लिये समर्थन का संकल्प करें क्योंकि इस समय लोग एक और आपदा का सामना कर रहे हैं.
डॉक्टर रमीज़ अल अकबरोफ़ ने शनिवार को पक्तिका प्रान्त के गियान ज़िले में स्थित मीर साहिब और ख़ानादीन गाँवों की यात्रा की, जोकि 5.9 तीव्रता वाले भूकम्प से सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में हैं.
उनके साथ संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR), संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी (IOM), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), संयुक्त राष्ट्र महिला संगठन (UN WOMEN), खाद्य और कृषि संगठन (FAO) और संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता मामलों के कार्यालय (OCHA) के प्रतिनिधियों ने भी इन स्थानों का दौरा किया.
प्रतिनिधिमण्डल ने वहाँ के स्थानीय लोगों के साथ मुलाक़ात की, जिनके बहुत से परिजन, सगे सम्बन्धियों और दोस्तों की इस भूकम्प में मौत हो गई. इनमें बहुत से अनाथ और अपने परिवारों से बिछड़े हुए बच्चे भी शामिल थे. और अब इनके घर निवास योग्य नहीं बचे हैं.
डॉक्टर रमीज़ अल अकबरोफ़ ने कहा, "खाद्य सहायता और आपातकालीन आश्रय के अलावा, क्षतिग्रस्त पानी के पाइपों की मरम्मत और हैज़ा की रोकथाम जैसी गतिविधियों में सहायता बहुत महत्वपूर्ण हैं, और उसी तरह ही संचार लाइनों, सड़क तक पहुँच और बुनियादी आजीविका की बहाली भी अहम है.”
"इस तरह की तत्काल सहायता के बिना, महिलाएँ, पुरुष और बच्चे, अनावश्यक और अकल्पनीय कठिनाई सहन करते रहेंगे.
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यों की संयोजक एजेंसी - OCHA ने बताया कि अब भी स्थिति का आकलन चल रहा है और इसलिये भूकम्प से हुए विनाश का अभी पूरा स्तर तक ज्ञात नहीं है.
शुरुआती निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि गियान ज़िले में कम से कम 235 लोग मारे गए थे, जिनमें 134 बच्चे शामिल थे, लगभग 600 लोग घायल हुए हैं, जिनमें 200 से अधिक बच्चे हैं. एक हज़ार से अधिक घर नष्ट हो गए, और दो स्कूलों को नुकसान पहुँचा है.
सभी भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों में, उपग्रह तस्वीरों से कम से कम दो हज़ार घरों को नुक़सान का पता चला है जो पक्तिका प्रान्त में गियान और बरमल ज़िलों के सबसे प्रभावित क्षेत्रों और ख़ोस्त प्रान्त के स्पेरा ज़िले में एक कारगर सड़क से 5 किमी से अधिक दूर हैं.
संकट में महिलाएँ
इसके अलावा, हज़ारों ऐसे घर हैं जो अभी मौजूद तो हैं, मगर उन्हें व्यापक क्षति हुई है और उनके एकाएक गिरने का भी जोखिम है.
भूकम्प ऐसे समय में आया जब अफ़ग़ान महिलाओं और लड़कियों पर प्रतिबन्धों में वृद्धि ने उनकी ज़रूरतें और बढ़ा दी हैं और उनकी सहायता के लिये कोशिशों को और उलझा दिया है.
संयुक्त राष्ट्र महिला संगठन (UN Women) की देश में कार्यवाहक प्रतिनिधि ऐलिसन डेविडियन ने बताया कि महिलाएँ और लड़कियाँ संकट से अलग-अलग तरह से प्रभावित हैं.
उन्होंने कहा, "जब अफ़ग़ानिस्तान में होने के कारण, उनके आवागमन और काम करने के अधिकार प्रतिबन्धित होते हैं तो वे असमान रूप से प्रभावित होती हैं, ख़ासतौर पर भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और सुरक्षित आश्रय तक पहुँच में".
उन्होंने कहा कि महिला मानवीय सहायता कर्मियों और महिलाओं के नेतृत्व वाले सिविल सोसायटी समूहों को सहायता कार्यक्रमों के केन्द्र में रखा जाना होगा.
“संकट व जोखिम का सामना कर रही महिलाओं और लड़कियों की ज़रूरतें व अधिकार, प्रभावशाली तरीक़े से पहचाने जाने और उनकी पूर्ति सुनिश्चित करने का यही एक मात्र रास्ता है.”