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अमेरिका में गर्भपात पर प्रतिबन्ध सम्बन्धी निर्णय पर गम्भीर मानवाधिकार चिन्ता

अमेरिका के वाशिंगटन डीसी शहर में, अक्टूबर 2021 में, गर्भपात अधिकारों के समर्थन में मार्च.
© Unsplash/Gayatri Malhotra
अमेरिका के वाशिंगटन डीसी शहर में, अक्टूबर 2021 में, गर्भपात अधिकारों के समर्थन में मार्च.

अमेरिका में गर्भपात पर प्रतिबन्ध सम्बन्धी निर्णय पर गम्भीर मानवाधिकार चिन्ता

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के सुप्रीम कोर्ट द्वारा 50 वर्ष पुराने रो बनाम वेड निर्णय को पलटने का फ़ैसला, महिलाओं के मानवाधिकार और लैंगिक समानता के लिये बहुत विशाल झटका है. रो बनाम वेड निर्णय में, पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका देश में, गर्भपात कराने की गारण्टी दी गई थी.

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का शुक्रवार को आया निर्णय, डॉब्स बनाम जैक्सन के विशिष्ट मामले में सुनाया गया, जिस पर जूरी के छह वोट समर्थन में और तीन वोट विरोध में पड़े.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने एक वक्तव्य में कहा कि ताज़ा निर्णय पूरे देश में महिलाओं के यौन व प्रजनन स्वास्थ्य के लिये एक भारी झटका है.

इस ऐतिहासिक निर्णय में, गर्भपात की वैधता और उस तक पहुँच के तमाम सवाल, देश के राज्यों पर छोड़ दिये गए हैं.

संयुक्त राष्ट्र की यौन व प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी (UNFPA) ने और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस निर्णय पर प्रतिक्रिया तो व्यक्त की मगर इस निर्णय का सीधे तौर पर सन्दर्भ नहीं लिया.

इन एजेंसियों ने कहा कि दुनिया भर में कुल गर्भपातों में से 45 प्रतिशत, असुरक्षित होते हैं, जिससे ये प्रक्रिया, जच्चा या गर्भवती महिलाओं की मौत का एक प्रमुख कारण है.

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने कहा कि ये स्पष्ट है कि और जैसे-जैसे राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सरकारों द्वारा प्रतिबन्ध बढ़ेंगे, और ज़्यादा महिलाओं की मौतें होंगी.

प्रतिबन्ध प्रभावहीन

यूएन यौन व प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है, “गर्भपात क़ानूनी है या नहीं, ये अक्सर बहुत जल्दबाज़ी में होता है.

आँकड़े दिखाते हैं कि गर्भपात तक पहुँच पर प्रतिबन्ध लगाने से, लोगों को गर्भपात कराने से नहीं रोका जा सकता, ये प्रतिबन्ध गर्भपात को केवल और ज़्यादा घातक बनाते हैं.”

यूएन एजेंसियों की 2022 की विश्व जनसंख्या स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में तमाम गर्भ मामलों की लगभग आधी संख्या अनचाही होती है, और उनमें से लगभग 60 प्रतिशत मामलों की परिणति गर्भपात में होती है.

UNFPA का कहना है कि डर ये है कि अगर गर्भपात तक पहुँच को और ज़्यादा प्रतिबन्धित बना दिया जाता है तो उसके परिणामस्वरूप और ज़्यादा असुरक्षित गर्भपात होंगे.

महिलाओं की स्वायत्तता पर एक हमला

यूएन मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने याद दिलाया कि सुरक्षित, क़ानूनी और प्रभावशील गर्भपात तक सुलभ पहुँच की बुनियाद, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून में निहित है और ये महिलाओं व लड़कियों की स्वायत्तता और उनके शरीरों व ज़िन्दगियों के बारे में फ़ैसले लेने की पसन्द के लिये अति महत्वपूर्ण है, जो किसी भी तरह के भेदभाव, हिंसा और प्रताड़ना से मुक्त हों.

गर्भपात सम्बन्धी पाबन्दियाँ, महिलाओं व लड़कियों को असुरक्षित प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करने के लिये मजबूर कर सकती हैं.
© WHO
गर्भपात सम्बन्धी पाबन्दियाँ, महिलाओं व लड़कियों को असुरक्षित प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करने के लिये मजबूर कर सकती हैं.

मिशेल बाशेलेट ने आगाह करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से, संयुक्त राज्य अमेरिका में लाखों महिलाओं की स्वायत्तता छिन गई है, विशेष रूप में उन महिलाओं की, जिनकी आय कम है और जो नस्लीय व जातीय अल्पसंख्यक समुदायों से सम्बन्ध रखती हैं; और ये स्थिति उनके बुनियादी अधिकारों के विरुद्ध है.”

यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि ये निर्णय ऐसे समय आया है जब 50 ऐसे देशों ने, गत 25 वर्षों के दौरान गर्भपात सम्बन्धी क़ानूनों में उदारता दिखाई है, जहाँ अतीत में गर्भपात के सम्बन्ध में प्रतिबन्धित क़ानून लागू थे.

देशों की ज़िम्मेदारियाँ

इस बीच महिलाओं के कल्याण और प्रगति के लिये काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसी UN Women ने एक वक्तव्य में आगाह किया है कि महिलाओं के शरीरों के साथ क्या बर्ताव हो, इस पर नियंत्रण पाने की सामर्थ्य समाजों में उनकी भुमिकाओं से सम्बद्ध है, चाहे वो परिवार की एक सदस्य हैं, एक कामकाजी महिला या सरकार में किसी पद पर हैं.

1994 के अन्तरराष्ट्रीय जनसंख्या और विकास सम्मेलन (ICPD) के कार्रवाई कार्यक्रम में ये माना गया है कि असुरक्षित गर्भपात कितने घातक हैं.

इस पर 179 देशों ने हस्ताक्षर किये हैं जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) भी शामिल है.

इसमें तमाम देशों से, गर्भपात की क़ानूनी हैसियत की परवाह किये बिना, गर्भपात के बाद की स्थिति में ज़िन्दगियाँ बचाने के लिये उपयुक्त देखभाल मुहैया कराने का आग्रह किया गया है.