मंकीपॉक्स फ़िलहाल वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा नहीं: WHO

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शनिवार को कहा है मंकीपॉक्स का मौजूदा फैलाव, इस समय वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिन्ता की बात नहीं है, अलबत्ता इसके और ज़्यादा फैलाव को रोकने के लिये संघन प्रतिक्रियात्मक प्रयासों की दरकार है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने मंकीपॉक्स की ताज़ा स्थिति पर विचार करने के लिये आपदा समिति की दो दिवसीय बैठक बुलाई थी जिसके बाद ये घोषणा की गई है.
Deeply concerned about the #Monkeypox outbreak, which represents a serious, evolving threat. I convened an Emergency Committee. The experts advised that it currently doesn't constitute a Public Health Emergency of International Concern. My statement: https://t.co/sZIlUSdoGM pic.twitter.com/puOwg4RFTX
DrTedros
ये बैठक मंकीपॉक्सके संक्रमण के संक्रमण फैलाव पर विचार करने के लिये, अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों (IHR) के तहत बुलाई गई थी.
स्वास्थ्य संगठन ने एक एक वक्तव्य में कहा है, “विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक, अनेक देशों में मंकीपॉक्स के संक्रमण फैलाव से सम्बन्धित IHR आपदा समिति के परामर्श से सहमत हैं और, ये राय व्यक्त की है कि ये संक्रमण फैलाव इस समय अन्तरराष्टीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा नहीं परिभाषित होती.”
इस समति द्वारा इस तरह की कोई घोषणा, सर्वाधिक उच्च स्तर का वैश्विक ऐलर्ट होता है, जो इस समय केवल कोविड-19 महामारी और पोलियो पर लागू होता है.
मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरस बीमारी है जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ़्रीका के उष्णकटिबन्धीय वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है, अलबत्ता ये अक्सर कुछ अन्य क्षेत्रों में भी देखी जाती है.
इस वर्ष मई के बाद से 47 देशों में, मंकीपॉक्स के संक्रमण के 3 हज़ार मामले देखे गए हैं जहाँ पहले कभी, इस बीमारी की मौजूदगी नहीं देखी गई.
सर्वाधिक मामले योरोपीय देशों में दर्ज किये गए हैं, और ज़्यादातर मामले ऐसे पुरुषों में देखे गए हैं जो पुरुषों के साथ यौन सम्बन्ध बनाते हैं.
इस बीमारी से पीड़ित कुछ मरीज़ों को अस्पताल में भी भर्ती कराना पड़ा है और अभी तक एक मरीज़ की मौत भी हुई है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के वक्तव्य में कहा गया है, “समिति ने सर्वसम्मति से इस बीमारी की आपात प्रकृति को स्वीकार किया है और ये भी कि इसके और ज़्यादा फैलाव को रोकने के लिये, सघन प्रतिक्रियात्मक प्रयासों की ज़रूरत है.”
समिति के सदस्यों ने ये सिफ़ारिश भी की है कि स्थिति की निकट निगरानी करनी चाहिये और कुछ सप्ताहों के बाद स्थिति की फिर समीक्षा होनी चाहिये.
कुछ मामले त्वरित पुनर्समीक्षा की स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं जिनमें आगामी 21 दिनों के भीतर संक्रमण फैलाव के सबूत सामने आना, यौनकर्मियों में मामले दर्ज होना, अतिरिक्त देशों में महत्वपूर्ण संक्रमण फैलाव, और निर्बल परिस्थितियों वाले समूहों – एचआईवी संक्रमण की कमज़ोर नियंत्रण स्थिति वाले लोगों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों में संक्रमण मामलों का बढ़ना शामिल होगा.
अन्य स्थितियों में पशु आबादी में वापिस संक्रमण फैलाव के सबूत सामने आना, और वायरल की प्रकृति में महत्वपूर्ण परिवर्तन शामिल हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम ने एक वक्तव्य में कहा है कि वो इस बीमारी के फैलाव पर गम्भीर रूप से चिन्तित हैं, और वो स्वयं और स्वास्थ्य एजेंसी, इस बढ़ते जोखिम पर नज़दीकी नज़र रखे हुए हैं.
उन्होंने कहा, “मौजूदा संक्रमण फैलाव को, जो बात विशेष रूप से चिन्ताजनक बनाती है वो है - इसका नए देशों व क्षेत्रों में त्वरित और लगातार फैलाव, और निर्बल परिस्थितियों वाली आबादियों में संक्रमण फैलाव का जोखिम, जिनकी रोग प्रतिरोधी क्षमता कमज़ोर है, गर्मभवती महिलाओं और बच्चों में भी.”
उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों में सामूहिक सावधानी और संयोजित कार्रवाई की आवश्यकता पर ज़ोर दिया, जिनमें निगरानी, सम्पर्क की जानकारी रखना, एकान्तवास और मरीज़ों की देखभाल शामिल है.
साथ ही, वैक्सीन सुनिश्चितता, उपचार और उच्च जोखिम के दायरे वाली आबादियों के लिये अन्य उपकरण उपलब्ध हों.
एजेंसी प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि कमेटी ने रेखांकित किया है कि मंकीपॉक्स, अनेक दशकों से अनेक अफ़्रीकी देशों में मौजूद रही है, और शोध, सावधानी और समुचित धन की उपलब्धता के मामले में नज़रअन्दाज़ होती रही है.
उन्होंने कहा, “ये चलन ना केवल मंकीपॉक्स के लिये बदलना चाहिये, बल्कि निम्न आय वाले देशों में अन्य बीमारियों के मामले में भी ऐसा ही होना चाहिये, क्योंकि दुनिया को एक बार फिर ये याद दिलाया जा रहा है कि स्वास्थ्य, एक आपस में जुड़ी हुई आवश्यकता है.”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने मंकीपॉक्स के बारे में शोध और विकास कार्य करने तेज़ करने के लिये, सैकड़ों वैज्ञानिक व शोधकर्ता काम पर लगाए हैं.
यूएन ऐजेंसी ने तमाम देशों से आपस में सहयोग करने, जानकारी साझा करने, और प्रभावित समुदायों के साथ सम्पर्क साधने का आग्रह किया है ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा उपाय, त्वरित और प्रभावशाली तरीक़े से फैलाए जाएँ.