Zero Waste: मछलियों के कूड़ा-करकट से, कुत्तों के लिये स्वादिष्ट ख़ुराक

इसमें कोई सन्देह नहीं है कि भोजन की हानि व बर्बादी के कारण, हमारी खाद्य प्रणालियों की सततता कमज़ोर हो रही है. इस समस्या का मुक़ाबला करने के लिये, दुनिया भर में कुछ लघु व्यवसाय, अपशिष्ट प्रबन्धन की नई टिकाऊ आदतों पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं.
यूएन न्यूज़ ने पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में एक ऐसी ही परियोजना का हाल में दौरा किया जिसका नाम है – सान्चो पान्चो. ग़ौरतलब है कि लिस्बन में ही, जून के अन्त में, संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन आयोजित हो रहा है.
सान्चो पान्चो की शुरुआत एक रूसी महिला दारिया देमीदेन्को ने की थी जो 2015 में पुर्तगाल आकर बसी थीं. उनके इस अदभुत कारोबारी विचार में, ताज़ा मछली के बचे हिस्सों को, कुत्तों के लिये अच्छी ख़ुराक में तब्दील करना शामिल है.
दारिया देमीदेन्को ने अपना कारोबार, एक जापानी रेस्तराँ और पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में कुछ मछली बाज़ारों के साथ मिलकर स्थापित किया. वो मछली के उन ताज़ा बचे हिस्सों या टुकड़ों का प्रयोग करती हैं जो भोजन की थाली तक नहीं पहुँचते हैं, और जिनका इस्तेमाल सुशी और साशिमी व्यंजन बनाने में नहीं हो पाता है.
हर दिन, मछलियों के विभिन्न हिस्सों की काफ़ी बड़ी मात्रा, कूड़े में फेंक दी जाती है, मगर दारिया देमीदेन्को ने इस तरह की भोजन बर्बादी में से एक क्रान्तिकारी रास्ता निकाल लिया है. इस सिलसिले में उन्होंने लिस्बन की सान्तोस बस्ती में एक जापानी रेस्तराँ सेकाई सुशी बार के साथ साझेदारी की है.
रेस्तराँ हर दिन लगभग 10 किलोग्राम सैलमन, ट्यूना और सफ़ेद मछली मंगाता है.
सेकाई रेस्तराँ के मालिक ऐडिल्सन नीवास यूएन न्यूज़ को बताते हैं कि मछलियों के औसतन 30 प्रतिशत हिस्से, रेस्तराँ के इस्तेमाल के योग्य नहीं होते हैं. ये जो लगभग 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा, कूड़े में जाता है, उसे साँचो पाँचो के माध्यम से, फिर से प्रयोग किया जाता है.
दारिया देमीदेन्को के व्यवसाय का नाम, मिगुएल डी सेरवाण्टेस (Miguel de Cervantes) के प्रसिद्ध उपन्यास ‘डॉम क्विक्ज़ोटे’ (Dom Quixote) के एक पात्र सान्चो पान्ज़ा से लिया गया है, और ये नाम उनके एक कुत्ते को श्रद्धांजलि के रूप में भी चुना गया है, जिसका नाम पान्चो था.
दारिया देमीदेन्को ने यूएन न्यूज़ को, उस कुछ भोज्य सामग्री और व्यंजनों के बारे में भी बताया जो उन्होंने, इस अपशिष्ट का प्रयोग करके बनाई हैं.
उन्होंने कुत्तों के लिये तैयार किये गए एक व्यंजन की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, “ये बिस्कुट इसी तरह की सफ़ेद मछली का प्रयोग करके बनाई जाती है, जिसे हम पहले पकाते हैं और फिर मसलते हैं ताकि हड्डियाँ कुछ मुलायम हो जाएँ.”
“हम इन्हें कूटते हैं, इसमें आटा मिलाते हैं और फिर इस सामग्री के बिस्कुट बनाते हैं. मगर कुछ अन्य तरह का अपशिष्ट भी होता है, मसलन सफ़ेद मछली और सैलमन मछली की त्वचा, जिसे सुखाया जा सकता है. इस तरह की सामग्री को मशील में लगभग 20 घण्टों तक, 70 डिग्री सेल्सियस के तापमान में रखा जाता है, और जब वो सामान बाहर निकलता है तो सूखा और कड़क होता है, जिसे हमें छोटे टुकड़ों में काटते हैं और उसके चिप्स और गुच्छे वग़ैरा बनाते हैं.”
दारिया सेकाई रेस्तराँ में मछलियों का कूड़ा-कचरा इकट्ठा करने के अलावा, लिस्बन में कुछ अन्य रेस्तराँ और मछली बाज़ारों के साथ भी मिलकर काम करती हैं.
वो हर सप्ताह, इस तरह का लगभग 25 किलोग्राम एकत्र करती हैं. उनके इन प्रयासों को, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन (FAO) के वरिष्ठ मछली विशेषज्ञ मारशियो कास्त्रो डी सूज़ा से सराहना मिल चुकी है, जो रोम में रहते हैं.
उनका कहना है कि यह परियोजना बहुत दिलचस्प है और दरअसल हमने देखा है कि ना केवल औद्योगिक स्तर पर, बल्कि लघु उदाहरण भी कि मछली का कूड़ा-करकट किस तरह कम किया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि स्कैण्डिनेवियाई देशों में बहुत से उद्योग, पहले ही मछलियों का 100 प्रतिशत प्रयोग करने के स्तर पर पहुँच गए हैं. वो मछलियों का ज़रा सा हिस्सा भी नहीं बर्बाद नहीं जाने देते. इस तरह बिल्कुल भी बर्बादी नहीं होती.
दुनिया के अन्य हिस्सों में मछलियों की त्वचा से, इनसानों के पहनने योग्य पदार्थ या वस्तुएँ बनाए जाते हैं, लिपस्टिक बनाने में मछलियों के पंखों का प्रयोग होता है, इत्यादि.
सैलमन मछली की त्वचा से बने उप आहार ओमेगा 3 तेल में समृद्ध होते हैं, जो कुत्तों और बिल्लियों जैसे पालतू जानवरों की त्वचा और बाल स्वस्थ रखने में मददगार होते हैं.
सान्चो पान्चो की मालिक दारिया का कहना है कि उन्होंने भोजन की बर्बादी से होने वाली समस्याओं के बारे में, इस परियोजना के माध्यम से, उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाई है.
“हमारे कुछ ग्राहक हमें बताते हैं कि वो हमसे काफ़ी-कुछ सीख रहे हैं, और वो यहाँ पुर्तगाल के मछली बाज़ारों व माँस विक्रेताओं के पास जाते हैं और ख़ुद ही खाद्य अपशिष्ट इकट्ठा करते हैं. वो बिक्री के लिये उप आहार नहीं बनाते, मगर इस माध्यम से वो, अपने पालतू जानवरों के लिये ख़ुद ही भोजन का प्रबन्ध करते हैं.”
वर्ष 2030 तक, दुनिया भर में भोजन की बर्बादी को आधा करना, संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDGs) में से एक है.
टिकाऊ विकास लक्ष्य – 14 में भी समुद्री जीवन के टिकाऊ प्रबन्धन की बात कही गई है. महासागरों का संरक्षण और भविष्य को सहेजना, यूएन महासागर सम्मेलन का एक उद्देश्य भी है जो, पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में 27 जून से एक जुलाई तक आयोजित किया जा रहा है.