अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस शुरू होने की दास्ताँ
हर वर्ष 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है. योग एक प्राचीन शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक योगिक क्रिया है, जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी. आज, यह दुनिया भर में विभिन्न रूपों में प्रचलित है और इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है. दिसम्बर 2014 में संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव के तहत घोषित, अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के बारे में, उस समय संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन में उच्चायुक्त रहे, राजदूत अशोक मुखर्जी ने यूएन न्यूज़ को, कुछ दिलचस्प क़िस्से बताए...
What if I were to tell you that there exists a single word bringing together the concepts of sustainability, unity, peace, and nature? Yoga - A single word with unlimited possibilities. India’s ancient gift to the modern world. -- Message by @ShombiSharp #UNRC🇮🇳 on #YogaDay pic.twitter.com/XbLThLx3Kz
UNinIndia
27 सितम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव रखा था.
इसके मात्र 75 दिनों बाद, 11 दिसम्बर 2014 को, संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव 69/131 के ज़रिये, 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मानने की घोषणा की. ख़ास बात यह थी कि 193 सदस्य देशों में से, 177 देशों ने ना केवल इस प्रस्ताव का समर्थन किया, बल्कि इसे सह-प्रायोजित भी किया.
पृष्ठभूमि - तीन महत्वपूर्व विचार
उस समय संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन में उच्चायुक्त रहे राजदूत अशोक मुखर्जी ने इस पूरे वाक्य का ज़िक्र करते हुए बताया कि भारतीय प्रधानमंत्री की पेशकश के बाद, संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थाई मिशन सक्रिय हुआ और उन्होंने इसे अपनाने की तैयारी हेतु तीन प्रमुख विषयों पर विचार किया.
पूर्व राजदूत अशोक मुखर्जी बताते हैं कि “पहली बात ये हुई कि "चूँकि इस तरह के प्रस्ताव के लिये कोई पृष्ठभूमि नहीं थी, इसलिये हमें महासभा की किसी भी समिति में जाने की आवश्यकता नहीं थी, हम सीधे आम सभा की बैठक में जा सकते थे. इससे हमें समय सीमा कम करने में बहुत मदद मिली.”
उन्होने बताया, “दूसरी बात यह थी कि हमें उस वर्ष महासभा के स्वीकृत एजेण्डा में से मौजूदा विषय का चयन करना था. अन्यथा यह अगले साल के लिये टल जाता. इसलिये जब हमने उस वर्ष के लिये स्वीकृत महासभा एजेण्डे को देखा, तो महसूस किया कि वैश्विक स्वास्थ्य पर चर्चा के विषय के साथ प्रधानमंत्री का प्रस्ताव बहुत अच्छी तरह मेल खाएगा.”
उन्होंने कहा, “तीसरा निर्णय जो हमें लेना था वह यह था कि इस प्रस्ताव पर महासभा के अधिकांश सदस्यों की सहमति कैसे हासिल की जाए. चूँकि यह एक सामान्य प्रस्ताव था, इसलिये हमें इसे अपनाने के लिये महासभा में बहुमत की आवश्यकता थी. और 193 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का मतलब था, कम से कम 97 सदस्यों का समर्थन.”
पूर्व राजदूत ने बताया कि यह एक रिकॉर्ड था कि इस प्रस्ताव को, 75 दिनों के अन्दर,177 सह-प्रायोजकों द्वारा समर्थन प्राप्त हुआ.
उन्होंने कहा, “इसका मतलब यह हुआ कि इसके लिये सभी 193 देश एकमत थे.”
सहमति जुटाने की प्रक्रिया
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने सभी सदस्य देशों से बातचीत की प्रक्रिया शुरू की तो वो अचम्भित रह गए. वो बताते हैं, “वह मेरे और मेरे साथियों के लिये नई खोज के समान थी. उदाहरण के लिये, जब मोज़ाम्बीक़ के राजदूत ने कहा कि वह इस प्रस्ताव को सह-प्रायोजित करना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि मोज़ाम्बीक़ में योग बहुत लोकप्रिय था क्योंकि वे हिन्द महासागर के साथ अपने तट पर पर्यटन को विकसित करने के लिये काफ़ी समय से योग का उपयोग कर रहे थे.”
“इसी तरह कुछ देश ऐसे भी थे जहाँ योग बहुत लोकप्रिय था. उदाहरण के लिये, प्रधानमंत्री के प्रस्ताव से 10 साल पहले भी जब हम न्यूयॉर्क में थे, तब हर साल मैनहैटेन के बीचों-बीच, दुकानों का संघ स्वेच्छा से टाइम्स स्क्वायर की सड़कों को बन्द करके योग आयोजित किया करता था. इस तरह के समर्थन ने भी यह उत्साह और ऊर्जा जुटाने में एक भूमिका निभाई, और इस विचार के लिये समर्थन प्राप्त करने में मदद की - एक ऐसा विचार, जिसका शायद अब समय आ गया था.”
उन्होंने बताया कि किस तरह ऐसे क्षेत्रों से भी इस प्रस्ताव को समर्थन मिला, जिनके बारे नें उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी, “हमें प्रशान्त द्वीप समूह, लातिन अमेरिका जैसे स्थानों से समर्थन मिला - ये ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ राजनैतिक रूप से हमने कभी योग जैसे विचार के लिये समर्थन की अपेक्षा नहीं की थी.”
कुछ गतिरोध आया जब कुछ प्रतिनिधिमण्डलों ने यह जाना चाहा कि इसके लिये बजट कहाँ से आएगा. अशोक मुखर्जी बताते हैं कि इसका उत्तर यह दिया गया कि इन गतिविधियों को हर साल 21 जून को स्वैच्छिक योगदान से वित्त-पोषित करके मनाया जाएगा. इसलिये इससे संयुक्त राष्ट्र के बजट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.”
बहुपक्षीय प्रणाली का अहम उदाहरण
राजदूत अशोक मुखर्जी उन लम्हों को याद करते हुए बताते हैं, “11 दिसम्बर को, जब मुझे महासभा में इसका मसौदा पेश करना था, तो वो हमारे देश के लिए बहुत गर्व का दिन था, क्योंकि हम इस विचार को इतनी तत्परता से लागू करने में सक्षम हुए, साथ ही हममें से जो लोग एक बहुपक्षीय प्रणाली में काम करते हैं – उनके लिये यह गर्व की बात थी, कि इसके ज़रिये यह स्पष्ट था कि यह प्रणाली उन विचारों को अपनाने के लिये तैयार थी - जो समावेशी हों, जो दूरदर्शी हों और मनुष्य व प्रकृति के बीच सम्बन्ध बेहतर बनाने में सक्षम हों.
उन्होंने बताया, “यह हमारी सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा है और हमने इसका लाभ उठाया. और इसने दिखाया कि हम लगातार वैश्विक कल्याण के लिये काम करते रहे हैं. और जब लोग पूछते हैं कि वैश्विक कल्याण का अर्थ क्या है, तो अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस एक अच्छा उदाहरण है. हमने संयुक्त राष्ट्र में ऐसी पहल की जो मानवता की मदद कर सकती है, और जिसे बाक़ी मानवता रचनात्मक तरीक़े से अपनाने के लिये राज़ी हुई.”
योगाभ्यास की लोकप्रियता
पिछले आठ वर्षों में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस बहुत लोकप्रिय हो चुका है और हर साल इस दिवस पर, भारत समेत दुनिया भर के लोग सार्वजनिक स्थानों पर योगाभ्यास करने के लिये एकत्र होते हैं.
21 जून 2017 को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में, संयुक्त राष्ट्र डाक प्रशासन ने 1.15 डॉलर मूल्य के 10 डाक टिकट भी जारी किये, जिनमें विभिन्न योग मुद्राओं और पवित्र "ओम" प्रतीक को दर्शाया गया है.
ये दस डाक टिकट एक बड़े काग़ज़ पर छपे हुए हैं, जिस पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय की तस्वीर के साथ ही - अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस दर्शाया गया है.