योग: बेहतर मानव स्वास्थ्य के लिये विशेष मंत्र, यूएन मुख्यालय में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम
संयुक्त राष्ट्र में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों और कर्मचारियों ने आठवें 'अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस' के अवसर पर, सोमवार शाम को आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जिसके ज़रिये, मानव स्वास्थ्य व कल्याण और बेहतर जीवन में इस प्राचीन पद्धति की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया. यह दिवस हर वर्ष 21 जून को मनाया जाता है.
सोमवार की शाम, यूएन मुख्यालय के नॉर्थ लॉन को, एक योग अभ्यास केन्द्र के रूप में तब्दील कर दिया गया था, जहाँ अनुभवी योग गुरुओं और पहली बार आज़मा रहे लोगों ने शारीरिक व मानसिक तन्दरुस्ती के लिये योग आसनों में हिस्सा लिया.
#YogaDayHonoured to inaugurate the 8th International Day of Yoga celebrations @UN.The power of Yoga is the power of unity for a healthier, happier and prosperous future for all.https://t.co/fJ3gOCYScB pic.twitter.com/fI6FvoQlvF
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योग एक ऐसी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक व्यायाम प्रक्रिया है जो भारत में शुरू हुई थी और अब दुनिया भर में विभिन्न रूपों में लोकप्रिय व प्रचलित है.
योग शब्द का मूल संस्कृत भाषा में है जिसका अर्थ होता है – शामिल या एकत्र होना. इसका भावार्थ शरीर और चेतना को एक करने से है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन द्वारा इस वर्ष अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की थीम है: मानवता के लिये योग.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने कार्यक्रम का उदघाटन करते हुए ध्यान दिलाया कि कोविड-19 महामारी के दौरान ज़िन्दगियों में उथलपुथल मची है और तनाव व मानसिक अवसाद बढ़ा है.
इन चुनौतियों के मद्देनज़र, शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक स्वास्थ्य व कल्याण के लिये योग अभ्यास, एक अहम समग्र पद्धति के तौर पर काम करती है.
“यह असल मे कारगर है.”
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि, राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान, लाखों-करोड़ों लोगों ने स्वस्थ रहने, मानसिक अवसाद व व्यग्रता से उबरने में योग का सहारा लिया. इसी को ध्यान में रखते हुए, इस वर्ष अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम, मानवता के लिये योग रखी गई है.
उन्होंने कहा कि योग, महामारी से बेहतर ढंग से उबरने और बेहतर पुनर्निर्माण रणनीति का एक अभिन्न हिस्सा भी हो सकता है.”
नॉर्थ लॉन में योग सत्र
सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में योग गुरुओं ने बुनियादी योग आसनों समेत ध्यान क्रिया का प्रदर्शन किया, जोकि योग सीखने की दिशा में क़दम बढ़ा रहे लोगों के लिये एक महत्वपूर्ण शुरुआती पड़ाव था.
कोविड-19 महामारी के कारण लागू की गई पाबन्दियों के कारण, दो वर्ष बाद यह पहली बार है जब अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में लोगों ने व्यक्तिगत रूप से हिस्सा लिया है.
भक्ति केन्द्र में योग प्रशिक्षक किशोर चन्द्र 15 वर्ष की आयु से ही योगाभ्यास कर रहे हैं और उनके लिये, संयुक्त राष्ट्र के नॉर्थ लॉन में लौटना सुखद अनुभूति थी.
उन्होंने कहा कि यहाँ आकर बहुत अच्छा महसूस हो रहा है क्योंकि, “2019 में बारिश हो रही थी, और हमें कार्यक्रम महासभा में करना पड़ा था. तो इसलिये 2018 के बाद पहली बार हम यहाँ बाहर आए हैं...बाहर आकर सभी के साथ हिस्सा लेने जैसा अनुभव और कुछ भी नहीं है.”
किशोर चन्द्र ने यूएन न्यूज़ हिन्दी को बताया कि उनके लिये योग, महज़ आसन ना होकर एक जीवन शैली है, जीवन जीने का तरीक़ा है. चूँकि आसनों के ज़रिये आप कुछ विशेष हासिल करते हैं: मानसिक शान्ति.
अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस
संयुक्त राष्ट्र ने 2014 में महासभा द्वारा पारित प्रस्ताव संख्या 69/131 के ज़रिये 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया था.
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल और प्रोत्साहन के तहत ये निर्णय लिया गया था.
उन्होंने महासभा के 69वें सत्र में कहा था, “योग मस्तिष्क और शरीर का सम्मिलन करता है, ये एक ऐसी व्यापक प्रक्रिया है जो हमारे स्वास्थ्य और जीवन की बेहतरी के लिए मूल्यवान है.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी सदस्य देशों से नागरिकों को शारीरिक निष्क्रियता में कमी लाने के लिये प्रोत्साहित करने का आग्रह किया है, चूँकि शारीरिक निष्क्रियता दुनिया भर में मौतों की मुख्य वजहों में से है.
यूएन महासभा प्रमुख अब्दुल्ला शाहिद के मुताबिक़, योग तन, मन और आत्मा का जोड़ता है.
“वैश्विक स्वास्थ्य में बेहतरी लाना हमारा दीर्घकालिक उद्देश्य है. आज का यह आयोजन इसलिये ज़्यादा टिकाऊ जीवनशैली और जीवन में एक स्वस्थ दृष्टिकोण अपनाने का एक अवसर है.”
उन्होंने कहा कि योग की शक्ति से एक अधिक स्वस्थ, ख़ुशहाल और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है.
यूएन की भूमिका
इन्टीग्रल योग इन्स्टीट्यूट की प्रशिक्षक काली मोर्स ने इस कार्यक्रम में, एक ध्यान सत्र का संचालन किया.
उनका मानना है कि योग में निहित विविध सम्भावनाओं के प्रति जागरूकता के प्रसार में संयुक्त राष्ट्र की महती भूमिका है.
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का यूएन में आयोजित होना एक बड़ी बात है, चूँकि संयुक्त राष्ट्र हमेशा से एक ऐसा स्थान रहा है, जहाँ हम लोगों को साथ लाकर मानवता के लिये निर्णय लेते हैं.
काली मोर्स के अनुसार अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस का होना अहम है, जहाँ आप लोगों को एक साथ जोड़ते हैं, और फिर वक्ता, मानवता की सेवा के लिये साझी बात करते हैं, ताकि दुनिया में युद्ध व अशान्ति का अन्त किया जा सके.
स्वस्थ जीवन और मानव कल्याण को टिकाऊ विकास के 2030 एजेण्डा में एक अति-आवश्यक आयाम के रूप में चिन्हित किया गया है.
सतत जीवनशैली में सहायक
योग गुरुओं का मानना है कि योग के मूल में सन्तुलन है, और इसलिये पृथ्वी के साथ समरसतापूर्ण सम्बन्ध और सतत जीवनशैली को बढ़ावा देने में भी योग एक महत्वपूर्ण माध्यम साबित हो सकता है.
ईशा योग में योग प्रशिक्षक सैम चेज़ का कहना है कि हमने हमेशा मानवता को सही और ग़लत के सन्दर्भ में ठीक करने का प्रयास किया है, मगर इस सम्बन्ध में योग का नज़रिया अलग है.
“अगर आप एक ऐसा अनुभव महसूस करते हैं, जहाँ आप और आपके इर्द-गिर्द हर चीज़ आपका ही हिस्सा है, तो किसी को यह सिखाना नहीं है कि क्या सही है और क्या ग़लत. आप अपने इर्दगिर्द लोगों और पृथ्वी के साथ बहुत सम्मान के साथ बर्ताव करेंगे, चूँकि यह सब आपका ही एक हिस्सा है.”
उनके अनुसार, पर्यावरण संकटों की पृष्ठभूमि में पहले के समय की तुलना में अब यह कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि हमें मिलकर एक साथ आना है, और यह सुनिश्चित करना है कि हमारा ग्रह कहीं विलुप्त ना हो जाए.