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नफ़रत भरे सन्देश व भाषा, 'विविधता व साझा मूल्यों' के लिये बड़ा ख़तरा

यूनेस्को का कहना है कि नफ़रत भरी भाषा और सन्देश, दुनिया भर में फैलाव पर हैं.
Unsplash/Jon Tyson
यूनेस्को का कहना है कि नफ़रत भरी भाषा और सन्देश, दुनिया भर में फैलाव पर हैं.

नफ़रत भरे सन्देश व भाषा, 'विविधता व साझा मूल्यों' के लिये बड़ा ख़तरा

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शनिवार, 18 जून को नफ़रत भरी बोली, सन्देश व सम्बोधन (hate speech) का मुक़ाबला करने के लिये अन्तरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर जारी अपने सन्देश में आगाह किया है कि ‘हेट स्पीच’ से हिंसा को उकसावा मिलता है, विविधता व सामाजिक जुड़ाव दरकता है और सर्वजन को आपस में बांधने वाले साझा मूल्यों के लिये जोखिम पनपता है.

‘हेट स्पीच’ से मन्तव्य ऐसे किसी भी मौखिक सन्देश, लेखन, या व्यवहार से है जिससे किसी एक व्यक्ति या समुदाय के विरुद्ध उनके धर्म या जातीयता के आधार पर अपमानजनक या भेदभावपूर्ण भाषा का इस्तेमाल किया जाए.

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जुलाई 2021 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व भर में नफ़रत भरे सन्देशों व भाषणों में तेज़ उभार पर गहरी चिन्ताओं को रेखांकित करने वाला एक प्रस्ताव पारित करके, हर वर्ष 18 जून को यह अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी. 

इस प्रस्ताव का उद्देश्य ‘हेट स्पीच’ की चुनौती से निपटने के लिये अन्तर-धार्मिक व अन्तर-सांस्कृतिक सम्वाद और सहिष्णुता को बढ़ावा देना है.

वर्ष 2022 में यह पहली बार है जब हेट स्पीच का मुक़ाबले करने के लिये अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा है.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि इससे नस्लवाद, स्वयं से अलग लोगों के प्रति डर या नापसन्दगी और स्त्रीद्वेष को बढ़ावा मिलता है, और इससे व्यक्तियों व समुदायों को मनुष्यत्व से वंचित कर दिया जाता है.

साथ ही, ऐसे सन्देशों व भाषणों से शान्ति व सुरक्षा, मानवाधिकार और टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये प्रयासों पर गम्भीर असर होता है.

“शब्दों को हथियार बनाया जा सकता है और उनसे शारीरिक नुक़सान पहुँच सकता है.” 

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि आधुनिक युग में सबसे भयावह और त्रासदीपूर्ण अपराधों के लिये, हेट स्पीच से पनपने वाली हिंसा ही ज़िम्मेदार रही है – यहूदी विरोध से हॉलोकॉस्ट तक, और 1994 में रवाण्डा में तुत्सियों के विरुद्ध जनसंहार तक. 

महासचिव गुटेरेश के अनुसार इण्टरनेट और सोशल मीडिया से हेट स्पीच को बल मिला है और यह सीमाओं से परे जाकर जंगल में आग की तरह फैलती है.

“कोविड-19 महामारी के दौरान अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हेट स्पीच का फैलना इस बात का सबूत है कि इससे जिन कलंक, भेदभाव और षड़यंत्रों को जो बढ़ावा मिलता है, अनेक समाज [उस नज़रिये से] सम्वेदनशील हैं.”

यूएन की कार्ययोजना

हेट स्पीच, संयुक्त राष्ट्र के बुनियादी मूल्यों को ना केवल नकारती है, बल्कि यूएन चार्टर के मानव गरिमा, समानता व शान्ति जैसे मूलभूत सिद्धान्तों और उद्देश्यों को भी कमज़ोर करती है.

संयुक्त राष्ट्र के मिशन के मूल में मानवाधिकारों को बढ़ावा देना और नफ़रत का मुक़ाबला करना है, और इसी क्रम में 18 जून 2019 को एक नई पहल शुरू की गई थी. 

महासचिव ने उसका उल्लेख करते हुए कहा कि बढ़ते ख़तरे को ध्यान में रखते हुए, तीन वर्ष पहले उन्होंने ‘हेट स्पीच पर संयुक्त राष्ट्र रणनीति व कार्ययोजना’ पेश की थी. 

यह कार्ययोजना एक ऐसा फ़्रेमवर्क प्रदान करती है, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए इस समस्या से निपटने के लिये सदस्य देशों को समर्थन प्रदान किया जाता है.

इस क्रम में, नागरिक समाज, मीडिया, टैक्नॉलॉजी कम्पनी और सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म से रचनात्मक सहयोग पर बल दिया गया है.

यूएन प्रमुख ने अपने सन्देश का समापन करते हुए सचेत किया कि हेट स्पीच, सर्वजन के लिये एक ख़तरा है और इससे लड़ाई का दायित्व भी हर किसी का है.

“आइये, हम विविधता व समावेशन के लिये सम्मान को बढ़ावा देकर, हेट स्पीच की रोकथाम व उसका अन्त करने के लिये अपनी सामर्थ्य में हर प्रयास करने का संकल्प लें.”