अफ़ग़ानिस्तान: एक पीढ़ी में 'सबसे कठिन पल' से गुज़रता देश
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने मानवाधिकार परिषद को अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदा हालात से अवगत कराते हुए बताया है कि स्थानीय आबादी, एक पीढ़ी में "सबसे बुरे क्षणों" से गुज़र रही हैं.
मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा कि वर्षों के संघर्ष और पिछले साल अगस्त में तालेबान द्वारा सत्ता हथियाए जाने के बाद से, देश एक गहरे आर्थिक, सामाजिक, मानवीय और मानवाधिकार संकट में डूब गया है.
उन्होंने, तालेबान की दमनकारी नीतियों के कारण "गम्भीर" स्थिति का सामना करने के बावजूद, अपने अधिकारों की मांग पर डटे रहने के लिये, अफ़ग़ान महिलाओं के अदम्य साहस की प्रशंसा की.
At #HRC50, UN High Commissioner for Human Rights Michelle Bachelet updated the Human Rights Council on the human rights outlook in #Afghanistan."Let me be clear: what we are witnessing today in #Afghanistan is the institutionalized, systematic oppression of women," she said. pic.twitter.com/NojvOfnigO
UN_HRC
मिशेल बाशेलेट ने लड़कियों की स्कूली शिक्षा पर लगे प्रतिबन्ध का हवाला दिया, जिससे 11 लाख माध्यमिक विद्यालय की लड़कियाँ प्रभावित हुई हैं.
साथ ही ऐसे ही अन्य आदेशों के तहत सख़्त हिजाब नियम लागू किये गए हैं; महिलाओं की रोज़गार तक पहुँच में बाधाएँ पैदा हुई हैं, महिलाओं की सार्वजनिक और राजनैतिक जीवन में भागीदारी पर असर पड़ा है, और उनकी आवाजाही की स्वतन्त्रता पर गम्भीर प्रतिबन्ध लगाए गए हैं,
इससे उनकी स्वास्थ्य सेवाओं, आजीविका और मानवीय सहायता की सुलभता भी प्रभावित हुई है.
उच्चायुक्त ने बताया कि, "अफ़ग़ानिस्तान में आज हम जो कुछ देख रहे हैं, वो महिलाओं का संस्थागत, व्यवस्थागत दमन है."
अनुपालन की पुकार
यूएन एजेंसी प्रमुख ने चिन्ता जताई कि अफ़ग़ान महिलाओं के लिये हालात तेज़ी से बिगड़ रहे हैं, जिसका पहले से ही डर था.
महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर सन्धि समेत अन्य अन्तरराष्ट्रीय सन्धियों की पुष्टि करने के बावजूद, तालेबान नेतृत्व अपने अन्तरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करने से बहुत दूर हैं.
उन्होंने कहा, "मैं सत्ता पर क़ाबिज़ अधिकारियों से महिलाओं के अधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का सम्मान करने, अफ़ग़ान महिलाओं के साथ तत्काल सार्थक सम्वाद स्थापित करने और उनकी आवाज़ सुनने का आहवान करती हूँ."
संयुक्त राष्ट्र मिशन
संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ अधिकारी ने, पूर्व अधिकारियों और सुरक्षा बलों को दी गई आम माफ़ी पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उल्लेख किया कि अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) की मानवाधिकार सेवा को, मनमाने ढंग से गिरफ़्तारी व हिरासत में लिये जाने, दुर्व्यवहार और न्यायेतर हत्याओं की विश्वसनीय ख़बरें मिल रही हैं.
UNAMA ने स्कूलों, बाज़ारों और सार्वजनिक परिवहन नैटवर्क सहित, नागरिकों पर हमलों के असर को दर्ज करने का काम जारी रखा है.
मिशेल बाशेलेट ने कहा, “जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर भी सीधे हमले किये जा रहे हैं. मैं सत्तारूढ़ अधिकारियों को उनके अधीन सभी अफ़ग़ान लोगों की रक्षा करने की उनकी ज़िम्मेदारी ध्यान दिलाती हूँ.”
अधिकारों का उल्लंघन
मिशेल बाशेलेट ने उत्तरी प्रान्तों में नागरिकों के ख़िलाफ़ कथित मानवाधिकार उल्लंघन और दुर्व्यवहार पर भी चिन्ता व्यक्त की, जिसमें मनमाने ढंग से गिरफ़्तारियाँ, न्यायेतर हत्याएँ और यातनाएँ शामिल हैं.
साथ ही उन्होंने, सभी संघर्षरत पक्षों से "संयम का पालन करने और अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून का पूरी तरह से सम्मान करने" का आग्रह किया.
तालेबान प्रशासन द्वारा लगातार मानवाधिकारों का सम्मान करने की प्रतिबद्धताओं के बावजूद, काबुल पर नियंत्रण के बाद से ही नागरिकों के लिये स्थान, तेज़ी से और नाटकीय रूप से सिकुड़ता जा रहा है.
मानवाधिकार प्रमुख ने ध्यान दिलाया, "राय और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, शान्तिपूर्ण सभा के अधिकार, और सार्वजनिक मामलों में भाग लेने के अधिकारों पर प्रतिबन्ध का, व्यक्तियों व समुदायों पर दहला देने वाला असर हुआ है."
गम्भीर संकट
इस बीच, मानवीय और आर्थिक संकटों का सभी अफ़ग़ान जिन्दगियों पर विनाशकारी प्रभाव जारी है.
बढ़ती बेरोज़गारी के बीच, 93 प्रतिशत परिवार उच्च स्तर की खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, जिसमें महिलाओं के नेतृत्व वाले घरों, वृद्ध व्यक्तियों, विकलांगजन और बच्चों पर इसका विनाशकारी असर पड़ा है.
साथ ही, स्वास्थ्य सेवा सहित बुनियादी सेवाओं तक पहुँच भी कम होती जा रही है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, लगभग 1 करोड़ 81 लाख लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है, जिनमें पाँच वर्ष से कम आयु के 31 लाख 90 हज़ार बच्चे शामिल हैं.
मिशेल बाशेलेट ने कहा, "मानवाधिकारों के उल्लंघन की निगरानी के लिये राष्ट्रीय तंत्र की स्पष्ट अनुपस्थिति से यह सब और जटिल हो जाता है, जिससे अफ़ग़ान लोगों के लिये बुनियादी सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता गम्भीर रूप से सीमित हो गई है."
हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान स्वतन्त्र मानवाधिकार आयोग के विघटन से यह चिन्ता और भी बढ़ गई हैं. यह आयोग, मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना कर रहे अफ़ग़ानों की मदद के लिये प्रमुख राष्ट्रीय तंत्र था.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा, "मैं एक स्वतंत्र मानवाधिकार तंत्र की स्थापना का आग्रह करती हूँ, जो जनता से शिकायतें प्राप्त कर सके, और जो अधिकारियों को इन समस्याओं से अवगत कराकर, उनका समाधान निकाल सके."
सहयोग पर बल

उन्होंने आश्वासन दिया कि UNAMA, सभी अफ़ग़ान लोगों के लिये मानवाधिकारों को बढ़ावा देने व उनकी रक्षा करने, मानवाधिकारों के हनन का आलेखन करने, अधिकारों के रुझान को रेखांकित करने, व्यक्तिगत मामलों को उठाने और जवाबदेही स्थापित करने की पैरोकारी के लिये, वर्तमान अधिकारियों के साथ काम करना जारी रखेगा.
18 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 83 प्रतिशत अफ़ग़ान नागरिक बेरोज़गार हैं. बुनियादी आय की कमी व खाद्य कीमतों में निरन्तर वृद्धि के साथ, अफ़ग़ानिस्तान में विस्थापितों के लिये भोजन तक पहुँच सबसे अधिक चिन्ता का विषय बन गया है.
उन्होंने कहा, "नीति और निर्णय की प्रक्रियाओं में सभी अफ़ग़ान लोगों का प्रतिनिधित्व महत्वपूर्ण होगा" और इसके लिये "महिलाओं व लड़कियों की आवाज़ें सुनने" के साथ-साथ "धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की पुकार पर ध्यान देने" की आवश्यकता है.
उन्होंने देश में सर्वजन के मानवाधिकार क़ायम रखने के लिये वर्तमान प्रशासन द्वारा समन्वित ढंग से कार्य, नागरिक समाज के लिये नए स्थान और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन की आवश्यकता बनाए रखने पर ज़ोर दिया.