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यमन: युद्ध विराम समझौता बरक़रार, मगर और ज़्यादा उपायों की दरकार

यमन के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि हैन्स ग्रुण्डबर्ग, देश में ताज़ा स्थिति के बारे में, सुरक्षा परिषद को अवगत कराते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe
यमन के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि हैन्स ग्रुण्डबर्ग, देश में ताज़ा स्थिति के बारे में, सुरक्षा परिषद को अवगत कराते हुए.

यमन: युद्ध विराम समझौता बरक़रार, मगर और ज़्यादा उपायों की दरकार

शान्ति और सुरक्षा

सुरक्षा परिषद को बताया गया है कि यमन में असाधारण युद्ध विराम समझौता लागू होने के बाद से लड़ाई में कमी और अन्य सकारात्मक घटनाक्रम देखे गए हैं, मगर इस युद्ध विराम समझौते को सम्पूर्ण रूप से लागू करने और बढ़ती मानवीय ज़रूरतों व असुरक्षा के समाधान निकालने के लिये कार्रवाई किये जाने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया गया है.

संयुक्त राष्ट्र के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद में मौजूद राजदूतों को ताज़ा स्थिति से अवगत कराया जिन्होंने यमन सरकार और हूथी विद्रोहियों के दरम्यान हुए समझौते के प्रभावों के बारे में भी जानकारी दी.

ये समझौता हाल ही में दो और महीने के लिये भी बढ़ाया गया है. यूएन अधिकारियों ने हालाँकि मौजूद चुनौतियों का ज़िक्र भी किया.

यमन के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हैन्स ग्रुण्डबर्ग ने यमन के दोनों पक्षों की सराहना करते हुए कहा, “यमन में युद्ध विराम समझौता लागू हुए अब लगभग ढाई महीने हो गए हैं, जोकि इस युद्ध में एक असाधारण बात है, और ये कुछ ऐसा है जो इस वर्ष के आरम्भ में अकल्पनीय नज़र आता था.”

लड़ाई में कमी

यमन सरकार और अंसार अल्लाह गुट के प्रतिनिधियों के बीच एक बैठक, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के यमन दूत भी शिरकत कर रहे हैं.
OSESGY
यमन सरकार और अंसार अल्लाह गुट के प्रतिनिधियों के बीच एक बैठक, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के यमन दूत भी शिरकत कर रहे हैं.

विशेष दूत ने बताया कि ये युद्ध विराम समझौता पहली बार अप्रैल में घोषित होने के बाद से, यमन में  किसी हवाई हमले की पुष्टि नहीं हुई है, और ना ही देश के भीतर से कोई सीमा-पार हमला हुआ है. आम लोगों के हताहत होने के मामलों में भी महत्वूपर्ण कमी आई है.

अलबत्ता, बारूदी सुरंगों और अनफटी विस्फोटक सामग्रियों की चपेट में आने के कारण हताहत होने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है क्योंकि लोग अग्रिम मोर्चों के विस्फोटकों से दूषित ऐसे इलाक़ों में भी जा रहे हैं जहाँ अब से पहले आम लोगों की पहुँच नहीं थी.

लड़ाई में हालाँकि कुल मिलाकर कमी दर्ज की गई है, मगर अब भी संयुक्त राष्ट्र को दोनों पक्षों द्वारा कथित मानवाधिकार हनन की ख़बरें मिल रही हैं, जिनमें गोलाबारी, ड्रोन हमले, जासूसी व निगरानी उड़ानें, और सैन्य बलों की पुनःतैनाती जैसे घटनाक्रम शामिल हैं.

कुछ सशस्त्र झड़पों की भी ख़बरें मिली हैं, विशेष रूप से, माआरिब, ताइज़, और हुदायदाह गवर्नरेट्स में.

एक सैन्य संयोजन कमेटी, सामयिक मुद्दों पर विचार करने के लिये हर महीने बैठक करेगी जिसमें दोनों पक्षों के प्रतिनिधि और यमन सरकार को समर्थन दे रहे गठबन्धन ताक़तें भी शामिल होंगे.

हवाई उड़ानें और ईंधन

यमन की राजधानी सना से व्यावसायिक उड़ानें लगभग छह वर्ष तक बन्द रहने के बाद, अब जॉर्डन के अम्मान व मिस्र के काहिरा के लिये चलनी शुरू हो गई हैं. हुदायदाह बन्दरगाह शहर के ज़रिये भी ईंधन भी देश के भीतर सुचारू रूप से आ रहा है.

एक असाधारण अवसर

विशेष प्रतिनिधि हैन्स ग्रुण्डबर्ग ने सुरक्षा परिषद को बताया कि आगामी सप्ताहों के दौरान, वो दो मोर्चों पर आगे बढ़ेंगे. वो युद्ध विराम समझौते के पूर्ण क्रियान्वयन, और देश की ख़स्ताहाल अर्थव्यवस्था व सुरक्षा मुद्दों के और ज़्यादा टिकाऊ समाधान के लिये सम्बद्ध पक्षों के साथ मिलकर काम करेंगे. उन्होंने सुरक्षा परिषद के लगातार समर्थन की ज़रूरत को भी रेखांकित किया.

उन्होंने कहा, “अलबत्ता ये सम्बद्ध पक्षों पर निर्भर करेगा कि वो इस अवसर का फ़ायदा, सदभाव के साथ बातचीत करने के लिये उठाते हैं या नहीं, और पूरे देश की भलाई के लिये कोई आवश्यक समायोजन करते हैं या नहीं. ये युद्ध विराम समझौता शान्ति की दिशा में आगे बढ़ने के लिये एक असाधारण मौक़ा मुहैया कराता है, जिसे हाथ से नहीं निकलने देना चाहिये.”

बढ़ती मानवीय ज़रूरतें

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता संयोजन कार्यालय (OHCHA) में ऑपरेशन्स मामलों की उप निदेशिका ग़ादा अलताहिर मुदावी.
United Nations
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता संयोजन कार्यालय (OHCHA) में ऑपरेशन्स मामलों की उप निदेशिका ग़ादा अलताहिर मुदावी.

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता संयोजन कार्यालय – OCHA में एक वरिष्ठ अधिकारी ग़ादा अलताहिर मुदावी ने भी सुरक्षा परिषद से, एक ऐसे देश के बेहद ख़तरनाक हालात पर विचार करने का आग्रह किया जहाँ लगभग एक करोड़ 90 लाख लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं, जिनमें से क़रीब एक लाख 60 हज़ार लोग तो अकाल के मुहाने पर खड़े हैं.

उन्होंने कहा, “यमन का मानवीय संकट आज भी गम्भीर बना हुआ है, जैसाकि युद्ध विराम समझौता लागू होने से पहले था. दरअसल, ये संकट जल्द ही और भी ज़्यादा गम्भीर हो सकता है. अगर ऐसा होने दिया गया तो युद्ध विराम समझौते के ज़रिये हासिल की गई प्रगति पलट सकती है और भविष्य की प्रगति की सम्भावनाएँ भी धूमिल हो सकती हैं.”

यमन के लोग खाद्य पदार्थों की आसमान छूती क़ीमतों के नीचे दब रहे हैं जो यूक्रेन पर रूस के हमले के परिणामस्वरूप बढ़ रही हैं. 
मुद्रा अवमूल्यन ने भी हालात को और ज़्यादा बिगाड़ दिया है, जबकि जल, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं में व्यापक खाइयाँ मौजूद हैं. 

40 लाख से ज़्यादा यमनी लोगों को अपने घर छोड़ने के लिये विवश होना पड़ा है जिनमें क़रीब सात हज़ार लोग, केवल पिछले दो महीनों में बेघर हुए हैं.