‘यूक्रेन और बढ़ती वैश्विक असुरक्षा, हम सब के लिये परीक्षा’, मानवाधिकार प्रमुख
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने सोमवार को मानवाधिकार परिषद के 50वें सत्र के प्रारम्भ को सम्बोधित करते हुए कहा है कि यूक्रेन में युद्ध ने भीषण तबाही मचाना और बहुत से लोगों की ज़िन्दगियाँ तबाह करना जारी रखा हुआ है, और इस युद्ध के कारण उत्पन्न वैश्विक खाद्य, ईंधन व वित्तीय संकट को सीमित करना, हर एक इनसान की ज़िम्मेदारी है.
यूएन मानवाधिकार के रूप में, मानवाधिकार परिषद को मिशेल बाशेलेट का ये अन्तिम सम्बोधन था, क्योंकि कुछ ही महीनों में उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है.
📍 In Geneva, Human Rights Council president @FVillegasARG opened the landmark 50th session of the Council with a call to reflect on its mandate to protect and promote human rights all over the world.INFO ▶️ https://t.co/dhGUlAgcod pic.twitter.com/Sq9iBCTImC
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यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने यूक्रेन पर रूस का हमला शुरू होने के लगभग चार महीने पूरे होने के मौक़े पर, जिनीवा स्थित मानवाधिकार को अपने अन्तिम सम्बोधन का प्रयोग, सदस्य देशों से ये आग्रह करने के लिये किया कि वो कोविड-19 महामारी के बाद के दौर में, बेहतर पुनर्बहाली की अपनी योजना पर, हिम्मत नहीं हारें, और वैसी वैश्विक वित्तीय मन्दी ना दोहराने दें जैसी दुनिया ने 2008 में देखी थी.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने ज़ोर देकर कहा कि महामारी के स्याह दिनों में सहमत हुए उपायों पर अमल करने में नाकामी, इससे सीखे गए सबक़ की अनदेखी, और उससे भी ज़्यादा वैश्विक पुनर्बहाली के प्रयासों में अगर सर्वजन को प्राथमिकता पर नहीं रखा गया तो, लोग व अर्थव्यवस्थाएँ, वर्तमान की तुलना में, नए झटकों का सामना करने के योग्य भी नहीं बच पाएंगे.
उन्होंने कहा, “हमने बहुपक्षीय मंचों, उच्चस्तरीय चर्चा और दानदाता बैठकों में वार्ताएँ की हैं, और वैश्विक समाधानों के बारे में विचार व्यक्त किये हैं और अपने प्रयासों के केन्द्र में आम लोगों को रखने के बारे में बातें हुई हैं.”
“हमने ख़ुद को महामारी से सबक़ सीखने के लिये; और बेहतर बुनर्बहाली के लिये प्रतिबद्ध किया. 2008 की आर्थिक मन्दी के दौरान अपनाए गए कम ख़र्च करने यानि आत्मसंयम (Austerity) के गम्भीर परिणामों से बचने के लिये उत्सुक, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने अपना रास्ता बदलने पर सहमति जताई थी: एकजुट होकर ऐसे परिवर्तनशील समाजों व हरित अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करना जो संकटों का मुक़ाबला करने में कहीं ज़्यादा सहनसक्षम हों. इस समय हम उन संकल्पों की कठिन परीक्षा का सामना कर रहे हैं. और हमें इसमें सफल होना होगा.”
मैराथॉन सत्र
यूएन मानवाधिकार का सत्र आमतौर पर तीन सप्ताह चलता है, मगर ज़्यादा कामकाज की वजह से ये सत्र चार सप्ताह चलेगा. मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने इस ज़रूरत को रेखांकित किया कि तमाम देशों को, वर्ष 2015 में पेरिस जलवायु समझौते और 2030 के टिकाऊ विकास एजेण्डा में व्यक्त किये गए अपने जलवायु संकल्पों का सम्मान करना होगा. इस एजेण्डा के वित्तपोषण की कमी का दायरा अब प्रति वर्ष 4.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गया है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा, “वित्तीय संसाधनों में महत्वपूर्ण स्तर की स्फूर्ति जगाए बिना, हम, टिकाऊ विकास लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकते.”
उन्होंने कहा कि क़र्ज़दार देशों की मदद करने में, अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून इस मदद के लिये, फ़्रेमवर्क मुहैया कराता है, साथ ही ये भी सुनिश्चित करता है कि किये जाने वाले उपायों के परिणाम भेदभावपूर्ण ना हों, विशेष रूप से बेहद कमज़ोर हालात वाले लोगों व समुदायों के लिये.

देशों की स्थितियों के बारे में चिन्ताएँ
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने, परम्परा के अनुसार, अपने उदघाटन सम्बोधन में अनेक देशों में मौजूद चिन्ताजनक स्थितियों का सन्दर्भ दिया, जिनमें चिले से लेकर होण्डूरास भी थे, जहाँ मानवाधिकार कार्यालय ने लड़कियों व महिलाओं को उनकी पहचान के कारण मार दिये जाने की समस्या का मुक़ाबला करने में सहायता मुहैया कराई है. उन्होंने हेती का ज़िक्र भी किया जहाँ राजधानी पोर्ट ओ प्रिन्स में बढ़ती गैंग हिंसा का सामना करने में भी मदद मुहैया कराई गई है.
मिशेल बाशेलेट के सम्बोधन में इसराइल का भी ज़िक्र है जहाँ उन्होंने इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी इलाक़े में, पिछले महीने अल जज़ीरा की एक प्रख्यात पत्रकार शिरीन अबू अकलेह की हत्या की आपराधिक जाँच कराए जाने का आहवान किया है.
मिशेल बाशेलेट ने अपनी हाल की चीन यात्रा के बारे में भी, परिषद को जानकारी मुहैया कराई. इसमें चीन के शिनजियांग प्रान्त में उवीगर मुस्लिम व अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति के बारे में एक रिपोर्ट भी शामिल है जो अभी प्रकाशित होनी है, इनमें व्यापक पैमाने पर मनमाने तरीक़े से लोगों को बन्दी बनाकर रखे जाने और बन्दीकरण के दौरान उनका उत्पीड़न किये जाने के आरोप शामिल हैं.
मिशेल बाशेलेट ने बाद में परिषद के सत्र से इतर बातचीत में, पत्रकारों को बताया कि इस रिपोर्ट में चीन के शिनजियांग प्रान्त में मानवाधिकारों की स्थिति की जानकारी जोड़ी जा रही है, और ये रिपोर्ट उनका कार्यकाल समाप्त होने से पहले प्रकाशित होने की आशा है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने विधि के शासन के बारे में जारी चिन्ताओं के सन्दर्भ में जिन देशों का नाम लिया उनमें तुर्कीये, ब्रिटेन, ग्वाटेमाला और सिंगापोर शामिल हैं, जबकि बुर्कीना फासो, चाड, गिनी और माली में सत्ता में हुए असंवैधानिक बदलावों के सन्दर्भ में भी मानवाधिकार प्रमुख ने सत्ताधीन प्रशासनों से, लोकतांत्रिक वैधता वाली सिविल नेतृत्व वाली सरकारों को, सत्ता सौंपने का आहवान किया.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि इस तरह का सत्ता परिवर्तन समावेशी होना चाहिये और आबादियों की वृहद शिकायतों का निपटारा करे, व ऐसे लोकतांत्रिक समाजों का निर्माण करे जो जवाबदेही और विधि के शासन पर टिके हों.