FAO: ज़्यादा धन में कम भोजन, बेहद कमज़ोर देश सर्वाधिक प्रभावित
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर के देशों को इस वर्ष खाद्य आयात पर 1.8 ट्रिलियन डॉलर की रक़म ख़र्च करने का अनुमान है, जोकि एक नया रिकॉर्ड होगा, मगर चिन्ता की बात ये है कि इस रिकॉर्ड रक़म में भी ज़्यादा नहीं, कम खाद्य सामग्री ख़रीदी जा सकेगी.
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन (FAO) की गुरूवार को जारी इस ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, कुछ देशों के लिये तो ये स्थिति, बढ़ती क़ीमतों का बोझ वहन करने की उनकी सामर्थ्य ख़त्म हो जाने का संकेत है.
🔵 World’s most vulnerable are paying more for less food - Food Outlook report. The global food import bill is on course to hit a new record this year, but higher prices & transport costs rather than volumes account for the bulk of the expected increase.https://t.co/F0TuBlgXi3
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इस वर्ष के अभी तक के सबसे विशाल वैश्विक खाद्य आयात बिल के लिये, किसानों के लिये उर्वरक व ईंधनों जैसे कृषि पदार्थों की आसमान छूती क़ीमतें, सर्वाधिक ज़िम्मेदार होंगी.
कम पड़ती रक़म
यूएन एजेंसी ने अपनी नवीनतम खाद्य परिदृश्य रिपोर्ट में कहा है कि इस वर्ष दुनिया भर में खाद्य पदार्थों के आयात पर जो अतिरिक्त 51 अरब डॉलर की रक़म ख़र्च होगी, उसमें से केवल दो अरब डॉलर की रक़म के अलावा, यानि 49 अरब डॉलर की रक़म, बढ़ी हुई क़ीमतों के कारण ख़र्च होगी.
एजेंसी के अनुसार इस वर्ष के बढ़े हुए आयात बिल में सबसे ज़्यादा योगदान, पशुओं से मिलने वाली वसा और वनस्पति तेल पर ख़र्च होने वाली रक़म का होगा, अलबत्ता, विकासशील देशों के लिये, यही स्थिति अनाजों के मामले में भी है.
“विकासशील देश कुल मिलाकर अनाजों, तेल बीजों और माँस के आयात में कमी कर रहे हैं, जिससे बढ़ती क़ीमतों का सामना करने में उनकी अक्षमता झलकती है.”
यूएन एजेंसी का अनुमान है कि सबसे कमज़ोर हालात वाले देशों में, शायद कम विकसित देशों के पास, इस वर्ष खाद्य आयात पर 5 प्रतिशत कम धनराशि ख़र्च करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.
उप सहारा अफ़्रीका क्षेत्र व ऐसे अन्य देश जो अपने यहाँ से निर्यात की तुलना में ज़्यादा खाद्य सामग्री का आयात करते हैं, उन्हें ज़्यादा क़ीमतें अदा करनी होंगी, जिसके बदले में उन्हें आवश्यक खाद्य सामग्री की कम मात्रा मिलेगी.
खाद्य व कृषि संगठन ने आगाह करते हुए कहा है, “खाद्य सुरक्षा के नज़रिये से, ये चिन्ताजनक संकेत हैं. आयातक देशों को, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती क़ीमतें अदा करने के लिये, अतिरिक्त रक़म का प्रबन्ध करने में कठिनाई होगी...”
यूएन एजेंसी ने निम्न आय वाले देशों में और ज़्यादा खाद्य असुरक्षा को टालने और खाद्य आयात की गारण्टी के लिये, भुगतान-सन्तुलन समर्थन प्रणाली सृजित करने की सिफ़ारिश की है.
अनाज में कमी
रिपोर्ट के अन्य निष्कर्षों में वर्ष 2022 के दौरान वैश्विक स्तर पर अनाज उत्पादन में कमी होने की तरफ़ ध्यान दिलाया गया है और ऐसा पिछले चार वर्षों में पहली बार हो रहा है.
वर्ष 2022 के दौरान दुनिया भर के गेहूँ के भण्डारों में कुछ वृद्धि होने का अनुमान है, जिसके लिये चीन, रूस और यूक्रेन में सुरक्षित भण्डारों की बदौलत होगा.
दुनिया भर में मक्का की फ़सल और मांग में नई ऊँचाई आने की सम्भावना है जोकि ब्राज़ील व अमेरिका में ऐथनॉल के ज़्यादा उत्पादन से सम्बन्धित होने के साथ-साथ चीन में स्टार्च के औद्योगिक उत्पादन से भी जुड़ी है.
उत्पादन से ज़्यादा मांग
यूएन एजेंसी ने ध्यान दिलाया है कि दुनिया भर में वनस्पति तेल का उपभोग, उसके उत्पादन की तुलना में ज़्यादा होगा, जबकि मांग पर कुछ सीमितताएँ भी लगाए जाने की सम्भावना है.
खाद्य व कृषि संगठन ने बताया है अलबत्ता, अर्जेण्टीना, योरोपीय संघ (EU) और अमेरिका में माँस उत्पादन घटने की सम्भावना है, फिर भी माँस का वैश्विक निर्यात 1.4 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है.
वर्ष 2022 के दौरान, दुनिया भर में दुग्ध उत्पादन, पहले के वर्षों की तुलना में कुछ धीमा रहने की सम्भावना है, जिसके लिये प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में दुग्ध देने वाले जानवरों की कम संख्या और कम लाभ अन्तर जैसे कारक ज़िम्मेदार हैं.
दुनिया भर में चीनी का उत्पादन, तीन वर्षों तक धीमा रहने के बाद, बढ़ने का अनुमान है, जिसमें भारत, थाईलैण्ड और योरोपीय संघ में बढ़त का योगदान रहेगा.
और अन्त में, समुद्री खाद्य सामग्री का उत्पादन 2.9 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है. मछली की बढ़ती क़ीमतों के कारण, समुद्री खाद्य पदार्थों के निर्यात से अर्जित होने वाली रक़म में 2.8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने का अनुमान है, जबकि कुल मात्रा में 1.9 प्रतिशत की कमी होगी.