यूक्रेन: खाद्य, ऊर्जा व वित्त पोषण संकट से निपटने के लिये कार्रवाई का आहवान

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आगाह किया है कि यूक्रेन में युद्ध से उपजे प्रभावों के कारण, जीवन-व्यापन के लिये क़ीमतों में उछाल आया है और इससे कोई भी देश या समुदाय अछूता नहीं है. महासचिव गुटेरेश ने यूक्रेन में संकट से वैश्विक खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा व वित्त पोषण के लिये उत्पन्न चुनौतियों पर केन्द्रित एक नवीनतम रिपोर्ट बुधवार को जारी की है.
वैश्विक संकट जवाबी कार्रवाई समूह की रिपोर्ट के अनुसार, 94 देशों में कम से कम एक अरब 60 करोड़ लोग, यूक्रेन में संकट के कम से कम एक पहलू से प्रभावित हुए हैं. एक अरब 20 करोड़ लोग उन देशों में रहते हैं, जिन पर गम्भीर प्रभाव होने का जोखिम है.
रिपोर्ट में रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच रही खाद्य व ईंधन क़ीमतों में स्थिरता लाने, सामाजिक संरक्षा ताना-बाना लागू करने और विकासशील देशों के लिये वित्तीय समर्थन बढ़ाने का आग्रह किया गया है.
The impact of the war in Ukraine on food security, energy & finance is systemic, severe & speeding up.We must act now to save lives & livelihoods over the next months & years.It will take global action to fix this global crisis. We need to start today. https://t.co/j3qZwVry32
antonioguterres
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि सन्देश स्पष्ट है: ज़िन्दगियों व आजीविकाओं की रक्षा करने के लिये देशों को अभी कार्रवाई करनी होगी.
उन्होंने पत्रकारों को बताया कि, “यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के तीन महीने बीत जाने के बाद, हम एक नई वास्तविकता का सामना कर रहे हैं.”
“जो लोग ज़मीन पर मौजूद हैं, हर दिन उनके लिये रक्तपात और पीड़ा लेकर आता है. और विश्व भर में आम लोगों के लिये, युद्ध, भूख व निराश्रयता की अभूतपूर्व लहर का ख़तरा पैदा कर रहा है, जिससे सामाजिक व आर्थिक उथल-पुथल उत्पन्न होगी.”
यूक्रेन में संकट के कारण, देशों के समक्ष मौजूद अन्य चुनौतियाँ भी पैनी हुई हैं, जैसेकि जलवायु आपात स्थिति, वैश्विक महामारी कोविड-19 और महामारी से उबरने की प्रक्रिया में संसाधनों की विषमता.
भूख की मार झेल रहे लोगों की संख्या में युद्ध शुरू होने के बाद से ही वृद्धि हुई है, जोकि कहीं अधिक और व्यापक हो सकती है.
वैश्विक महामारी से पहले 13 करोड़ 50 लाख लोग, खाद्य असुरक्षा के शिकार थे, और यह संख्या केवल दो वर्षों में बढ़कर 27 करोड़ 60 लाख तक पहुँच गई है.
यूक्रेन में युद्ध के कारण यह संख्या 32 करोड़ के पार तक जा सकती है.
व्यापार एवं विकास पर यूएन सम्मेलन की प्रमुख, रेबेका ग्रीनस्पैन ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि, समय बीता जा रहा है और समाधान ढूंढने के स्थान पर, कुछ ना करने की ज़्यादा क़ीमत चुकानी पड़ेगी.
उन्होंने सचेत किया कि रोज़मर्रा की वस्तुओं की क़ीमतों में उछाल आने से सामाजिक अशान्ति व राजनैतिक अस्थिरता फैलने का ख़तरा है.
वैश्विक महामारी से पहले की तुलना में पहले से ही, दुनिया भर में क़रीब 60 फ़ीसदी कामगारों की वास्तविक आय कम हुई है.
इन हालात में परिवारों को अक्सर किसी एक समय भोजन ना करने, बच्चों को स्कूल ना भेजने और स्वास्थ्य से जुड़े बिल के भुगतान में चयन करना पड़ रहा है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि, “मौजूदा खाद्य संकट, तेज़ी से वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर एक खाद्य विनाशकारी स्थिति में तब्दील हो सकता है.”
ऊर्जा की ऊँची क़ीमतें और काला सागर क्षेत्र से उर्वरक आपूर्ति पर व्यापार पाबन्दियों के कारण, उर्वरक के दामों में खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों की तुलना में अधिक तेज़ी से वृद्धि हुई है.
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा और वित्त व्यवस्था पर युद्ध का असर गम्भीर व व्यवस्थागत है और यह तेज़ हो रहा है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि वैसे तो इस तूफ़ान को रोकने का एकमात्र उपाय इस घातक व विनाशकारी हिंसक संघर्ष पर विराम लगाना है. मगर, दो मोर्चों पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होगी: वैश्विक खाद्य एवं ऊर्जा बाज़ारों में स्थिरता और संकट से प्रभावित निर्धन देशों के लिये समर्थन.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी के अनुसार, मानवीय राहत मामलों में संयोजन के लिये अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स और रेबेका ग्रीनस्पैन एक पैकेज के समझौते को मूर्त रूप देने का प्रयास कर रहे हैं.
इससे, यूक्रेन में उत्पादित भोजन का सुरक्षित ढंग से काला सागर क्षेत्र के ज़रिये निर्यात सम्भव होगा, और रूस में उपजे भोजन व उर्वरक की वैश्विक बाज़ारों में निर्बाध आपूर्ति की जा सकेगी.
इस क्रम में, शीर्ष अधिकारियों ने दोनों देशों, तुर्की, योरोपीय संघ और अमेरिका के साथ मिलकर प्रयास शुरू कर दिये हैं. हालाँकि महासचिव गुटेरेश ने फ़िलहाल इस विषय में ज़्यादा कुछ कहने से परहेज़ किया है.