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सीरिया: सर्वाधिक ज़रूरतमन्दों के लिये ब्रैड की उपलब्धता बढ़ाने के प्रयास

सीरिया में यूएन विकास कार्यक्रम द्वारा सहायता के फलस्वरूप एक परिवार भोजन कर रहा है.
© UNDP Syria
सीरिया में यूएन विकास कार्यक्रम द्वारा सहायता के फलस्वरूप एक परिवार भोजन कर रहा है.

सीरिया: सर्वाधिक ज़रूरतमन्दों के लिये ब्रैड की उपलब्धता बढ़ाने के प्रयास

मानवीय सहायता

एक ऐसे समय जब सीरिया में युद्ध अपने 12वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, और यूक्रेन में युद्ध के कारण खाद्य संकट और ज़्यादा गहरा रहा है, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), सीरिया में नाज़ुक हालात में गुज़र बसर कर रहे और सर्वाधिक प्रभावित परिवारों तक सहायता पहुँचाने के लिये प्रयासों में जुटा है.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने बुधवार को बताया कि सीरिया में खाद्य असुरक्षा रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई है, सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ विकट हुई हैं और मानवीय आवश्यकताएँ अपने चरम स्तर पर है.

यूएन विकास कार्यक्रम व अन्य साझीदार संगठनों ने मौजूदा हालात के मद्देनज़र अपने जवाबी अभियान का दायरा बढ़ाया है. इस क्रम में सबसे बुनियादी ज़रूरत, ब्रैड या रोटी पर ध्यान केन्द्रित किया गया है, जिसे स्थानीय भाषा में ख़ुब्ज़ कहा जाता है.

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एक अनुमान के अनुसार, सीरिया में लगभग 60 फ़ीसदी लोग खाद्य असुरक्षा से पीड़ित हैं. इसे ध्यान में रखते हुए, यूएन एजेंसी मानवीय सहायता योजना के ढाँचे के तहत सर्वाधिक निर्बलों तक राहत पहुँचाने के लिये प्रयासरत है.

देश में एक करोड़ 24 लाख लोग, अपनी न्यूनतम दैनिक कैलोरी सम्बन्धी ज़रूरतों के लिये सार्वजनिक बेकरी में तैयार की जाने वाली ब्रैड पर निर्भर हैं.

मानवीय सहायता योजना के ज़रिये, यूएन विकास कार्यक्रम और साझीदार संगठनों ने सिलसिलेवार एकीकृत मानवीय राहत उपाय प्रस्तुत किये हैं.

वर्षों से जारी हिंसक संघर्ष और सूखे की वजह से गेहूँ से ब्रैड बनाए जाने तक की वेल्यू चेन में बड़ा व्यवधान आया है. 

इस चुनौती से निपटने के लिये, अब वैल्यू चेन को मज़बूत किये जाने का लक्ष्य रखा गया है. 

इनमें किसान समुदाय को समर्थन, सिंचाई प्रणालियों की फिर से बहाली और देश भर में सार्वजनिक बेकरी व्यवस्था को पुख़्ता बनाया जाना है.

ख़मीर उत्पादन को सहारा

इसके समानान्तर, देश की एकमात्र ख़मीर फ़ैक्ट्री (yeast) को भी फिर से स्थापित किया जाएगा, जोकि होम्स गवर्रनरेट में स्थित है.

मौजूदा संकट से पहले, सीरिया में चार सरकारी कारख़ानों की मदद से सार्वजनिक बेकरी के नैवटर्क को, दैनिक रूप से 113 टन ख़मीर की आपूर्ति की जा रही थी.

मगर, फ़िलहाल होम्स की फ़ैक्ट्री ही बची है और वहाँ भी उत्पादन का स्तर भी बहुत कम है, जहाँ केवल छह से 10 टन ख़मीर ही तैयार किया जाता है.

यह आँकड़ा, संकट से पहले उत्पादन के स्तर का लगभग 5 से 9 फ़ीसदी ही है.

तैयार किया गया ख़मीर अलेप्पो, होम्स, हमा, टारटुस और लताकिया गवर्नरेट की सार्वजनिक बेकरी में हर दिन वितरित किया जाता है. फ़िलहाल देश में कहीं भी बड़े पैमाने पर और निजी स्तर पर ख़मीर का उत्पादन नहीं हो रहा है.

वर्तमान हालात दर्शाते हैं कि ख़मीर का आयात किया जाना होगा, मगर इसकी एक बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ेगी, चूँकि सीरियाई मुद्रा में बड़े पैमाने पर गिरावट आई है.

इस वजह से निर्बल परिवारों के लिये ब्रैड की क़ीमतों में उछाल आया है.

इसके मद्देनज़र, होम्स में ख़मीर के उत्पादन में वृद्धि को एक ऐसा हस्तक्षेप बताया गया है जिसका बड़ा असर होगा और ज़रूरतमन्द इलाक़ों में तेज़ी से आम लोगों की पहुँच के भीतर ब्रैड की सुलभता बढ़ाई जा सकती है.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के अनुसार, इन गवर्नरेट में खाद्य असुरक्षा से पीड़ित देश की लगभग एक-तिहाई आबादी रहती है, जिसे मानवीय राहत योजना के ज़रिये सहायता पहुँचाए जाने का लक्ष्य है.

यूएन एजेंसी के आकलन के अनुसार, होम्स में ख़मीर फ़ैक्ट्री को फिर से बहाल करने में 10 लाख डॉलर की लागत आएगी.

इस कार्य को पूरा कर लिये जाने के बाद, फ़ैक्ट्री में हर दिन 24 टन ख़मीर का उत्पादन होने की सम्भावना है, जिसे इन इलाक़ों में सार्वजनिक बेकरी में वितरित किया जाएगा.

निर्बल परिवारों को प्राथमिकता

इसके ज़रिये, निर्बल हालात में रह रहे 30 लाख अतिरिक्त सीरियाई नागरिकों के लिये ब्रैड की सुलभता सुनिश्चित की जा सकेगी.

यूएन विकास कार्यक्रम का लक्ष्य सीरिया में संकट प्रभावित आबादी के लिये अति-आवश्यक पुनर्बहाली सहायता को सुनिश्चित करना है.  

स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षित जल और किफ़ायती भोजन समेत अति-आवश्यक मानवीय राहत सेवाओं की सुलभता को निर्बल सीरियाई समुदायों की सहनक्षमता के लिये बेहद अहम बताया गया है.

यूएन एजेंसी द्वारा आवश्यकताओं की स्वतंत्र व विस्तृत समीक्षा के बाद ही, सहायता सम्बन्धी प्राथमिकताएँ तैयार की जाती हैं.

एजेंसी ने सभी ज़रूरतमन्द लोगों के बुनियादी मानवाधिकारों और जोखिमों को कम करने के इरादे से, आवश्यकताएँ पूरी किये जाने का संकल्प व्यक्त किया है.

संगठन का कहना है कि बिना किसी हस्तक्षेप के, आवश्यकता पर आधारित और मानव कल्याण सिद्धान्तों के तहत, अभियान संचालन सुनिश्चित करने के लिये यह ज़रूरी है.