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यूक्रेन संकट: विकासशील देशों के समक्ष आर्थिक बर्बादी का जोखिम

विश्व खाद्य कार्यक्रम यूक्रेन में हिंसा से जान बचाकर भागने वाले लोगों को खाद्य सहायता प्रदान कर रहा है.
© WFP/Viktor Pesenti
विश्व खाद्य कार्यक्रम यूक्रेन में हिंसा से जान बचाकर भागने वाले लोगों को खाद्य सहायता प्रदान कर रहा है.

यूक्रेन संकट: विकासशील देशों के समक्ष आर्थिक बर्बादी का जोखिम

शान्ति और सुरक्षा

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण देश में बड़े पैमाने पर विनाश और पीड़ा की वजह बना है, मगर यहाँ हालात से एक ऐसा बवण्डर भी उठ रहा है, जोकि अनेक विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं में तबाही ला सकता है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश स्टॉकहोम+50 सम्मेलन में शिरकत करने के लिये स्वीडन की राजधानी पहुँचे हैं, जहाँ उन्होंने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए यह बात कही है. 

 

महासचिव गुटेरेश ने स्वीडन की प्रधानमंत्री मैगडेलीना एण्डरस्सन के साथ पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह सम्मेलन, पृथ्वी के समक्ष मौजूद तिहरे ख़तरों – जलवायु व्यवधान, प्रदूषण और जैवविविधता हानि से निपटने के लिये प्रयासों को मज़बूती देगा.

यूएन प्रमुख के अनुसार संयुक्त राष्ट्र ने उन व्यावहारिक क़दमों पर ध्यान केन्द्रित किया है, जिनसे लोगों के जीवन की रक्षा और मानव पीड़ा को कम किया जा सकता है. इनमें मानवीय राहत गलियारों को खुला रखना भी शामिल है.

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मगर जलवायु संकट, बढ़ता क़र्ज़ और आर्थिक असुरक्षा जैसी चुनौतियाँ, युद्ध के कारण बढ़ती ऊर्जा क़ीमतों और भुखमरी के कारण विकराल रूप धारण करती जा रही हैं.

उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में एक ऐसा बड़ा तूफ़ान उठ रहा है जिससे अनेक विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाएँ तबाह हो सकती हैं.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि खुले बाज़ारों में भोजन व ईंधन की स्थाई आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिये त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की जानी होगी.

इसके लिये पाबन्दियों को हटाना, अतिरिक्त मात्रा को निर्बल आबादी के लिये आबण्टित करना और बाज़ारों में मची उथल-पुथल को शान्त करने के लिये खाद्य क़ीमतों में आए उछाल से निपटना होगा.

मगर, उन्होंने सचेत भी किया कि यूक्रेन से खाद्य उत्पादन और रूस से भोजन व उर्वरक को वापिस वैश्विक बाज़ारों में लाए बिना, कोई भी समाधान सम्भव नहीं है.

हरसम्भव प्रयास

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने रूस व यूक्रेन के बीच सम्वाद और युद्ध पर विराम लगाने के लिये हरसम्भव प्रयास जारी रखे हैं.

संयुक्त राष्ट्र के दो शीर्ष अधिकारी, मानवीय आपात राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स और यूएन व्यापार एवं विकास मामलों की प्रमुख रेबेका ग्रीनस्पैन, इस क्रम में खाद्य संकट के दंश को कम करने के लिये एक समझौता तैयार कर रहे हैं.  

बताया गया है कि यूएन की दोनों एजेंसियों के प्रमुखों द्वारा तैयार किया जा रहा यह ऐसा समझौता होगा, जिससे काला सागर के ज़रिये यूक्रेन में उत्पादित भोजन का सुरक्षित निर्यात किया जा सकेगा.  

साथ ही, रूसी खाद्य सामग्री व उर्वरकों की भी वैश्विक बाज़ारों में निर्बाध आपूर्ति सम्भव होगी, विशेष रूप से विकासशील देशों में.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता के अनुसार, रेबेका ग्रीनस्पैन ने अनाज व उर्वरक निर्यात के मुद्दे पर मंगलवार को रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री के साथ बातचीत की है और अब वह वॉशिंगटन में हैं.

यूएन महासचिव ने बताया कि उनकी स्वीडन के प्रधानमंत्री के साथ यूक्रेन संकट और योरोपीय क्षेत्र में सुरक्षा पर इसके व्यापक प्रभावों पर बातचीत हुई है.

साथ ही तनाव व टकराव में कमी लाने और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून व यूएन चार्टर के अनुरूप बातचीत के ज़रिये समाधान की तलाश करने के विकल्पों पर भी विचार-विमर्श हुआ है. 

एकजुटता का स्वागत

यूएन प्रमुख ने यूक्रेन से आए शरणार्थियों का स्वागत करने और मानवीय राहत अभियानों के लिये स्वीडन द्वारा असाधारण एकजुटता दर्शाए जाने पर आभार प्रकट किया है.

महासचिव गुटेरेश ने जलवायु कार्रवाई के मुद्दे पर भी स्वीडन के नेतृत्व का स्वागत करते हुए कहा कि जलवायु लक्ष्यों की दिशा में प्रयासों के ज़रिये, रोज़गार सृजित किये जा सकते हैं, हरित प्रगति को साकार किया जा सकता है और सामाजिक तानेबाने को भी मज़बूती दी जा सकती है.

यूएन प्रमुख ने वर्ष 2045 तक कार्बन तटस्थता प्राप्ति और उसके बाद उत्सर्जन में कमी लाने के स्वीडन के संकल्प का भी स्वागत किया है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि अनुकूलन व कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिये समान ऊर्जा के साथ प्रयास किये जाने होंगे और विकासशील देशों को तेज़ी से आवश्यक समर्थन मुहैया कराए जाने की आवश्यकता है.

यूएन प्रमुख ने उम्मीद जताई है कि सभी विकसित देश, विकाशील देशों के लिये एक सुस्पष्ट रोडमैप सुनिश्चित करेंगे जिसमें अनुकूलन प्रयासों के लिये दोगुने वित्त पोषण पर विश्सनीय जानकारी दी जाएगी, जैसाकि पिछले वर्ष ग्लासगो सम्मेलन में सहमति बनी थी.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि पैरिस समझौते के अहम लक्ष्यों को साकार किया जाना होगा, वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने को जीवित रखना होगा और टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल किये जाने होंगे.