यमन में फँसे प्रवासियों से मुँह नहीं फेरना होगा – IOM
प्रवासन मामलों के लिये संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने इस वर्ष अब तक, हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका क्षेत्र की सीमा पार करके 27 हज़ार से अधिक लोगों के युद्धग्रस्त यमन पहुँचने पर, उनके सुरक्षा व कल्याण के प्रति चिन्ता व्यक्त की है.
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के ‘विस्थापन निगरानी मैट्रिक्स’ के अनुसार, पिछले पूरे साल जितने लोगों ने ये ख़तरनाक यात्रा तय की थी, उससे कहीं अधिक संख्या में लोगों ने 2022 के पाँच महीनों के दौरान यात्राएँ की हैं.
At least 27,800 migrants have entered Yemen from the Horn of Africa in the first five months of 2022. IOM is concerned about the safety and well-being of people moving through Yemen. https://t.co/jLxYbMoA9L
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यमन में यूएन एजेंसी की मिशन प्रमुख क्रिस्टा रौटेनस्टाइनर ने कहा कि, “यमन से होकर जाने वाले लोगों की सुरक्षा व कल्याण के प्रति हमारी चिन्ता बढ़ती जा रही है.”
इससे पहले पिछले वर्ष तथाकथित पूर्वी मार्ग के ज़रिये, 27 हज़ार 700 प्रवासियों ने यमन में प्रवेश किया था.
वर्ष 2019 में एक लाख 38 हज़ार लोगों की तुलना में यह संख्या कम है, जिसकी वजह कोविड-19 महामारी के कारण आवाजाही पर लगी पाबन्दियों को बताया गया है.
वर्ष 2020 में क़रीब 37 हज़ार 500 लोगों ने यात्रा की थी.
यूएन एजेंसी के अनुसार आगमन में वृद्धि के कारण, हिंसक संघर्ष में पिछले आठ वर्षों से झुलस रहे देश के लिये चिन्ता बढ़ी है.
“हमारी टीम उन प्रवासियों से हर रोज़ मिलती है जोकि हिंसक संघर्ष में घायल हुए हैं या फिर अपनी यात्राओं में फँस गए हैं.”
हर मोड़ पर ख़तरा
कोविड-19 महामारी के कारण लागू की गई पाबन्दियों में कुछ ढिलाई दिये जाने, मौसमी परिस्थितियाँ बेहतर होने, और इथियोपिया में सुरक्षा हालात व सूखे की स्थिति में कुछ सुधार, इन कुछ वजहों से ये संख्या बढ़ी है.
अधिकाँश प्रवासियों के लिये स्रोत बिन्दु इथियोपिया ही है.
पहुँचने के बाद, यात्री जोखिम भरी इन यात्राओं को करते हैं, जिनमें से कुछ उत्तर दिशा में कामकाज की तलाश में खाड़ी देशों का रुख़ करते हैं.
उन्हें अक्सर स्थानीय इलाक़ों में अग्रिम मोर्चों से होकर गुज़रना पड़ता है, जिससे उनके लिये गम्भीर मानवीय हनन – हिरासत में लिये जाने, अमानवीय परिस्थितियों में रखे जाने, शोषण व जबरन कहीं और भेजे जाने का शिकार होने - का ख़तरा बढ़ता है.
महिलाओं और लड़कियों के लिये यह जोखिम विशेष रूप से अधिक है, जिन्हें अक्सर तस्करों के हाथों लिंग-आधारित हिंसा, दुर्व्यवहार और शोषण का सामना करना पड़ता है.
बड़ी संख्या में हताहत
यूएन एजेंसी के साझीदार संगठनों और स्थानीय समुदायों के अनुसार, उत्तरी क्षेत्र में इस वर्ष अब तक लगभग एक हज़ार प्रवासी बच्चे, महिलाएँ और पुरुष हमलों में हताहत हुए हैं.
हर महीने, सैकड़ों लोग गोलियों से घायल होन के बाद अपना इलाज कराने के लिये, सीमावर्ती नगर सदाह शहर में यूएन एजेंसी समर्थित एक अस्पताल मे आते हैं.
बताया गया है कि लगभग साढ़े चार हज़ार प्रवासी मारिब में फँसे हुए हैं, जोकि हिंसक संघर्ष के मुख्य अग्रिम मोर्चों में से एक से 25 किलोमीटर दूर स्थित है.
मौजूदा हालात में इन प्रवासियों के लिये अपनी यात्रा को जारी रख पाना या फिर लौटना मुश्किल साबित हुआ है.
अतिरिक्त धनराशि की दरकार
प्रवासन संगठन के अनुसार, स्वैच्छिक मानवीय आधार पर उड़ानों की मदद से लगभग 900 प्रवासी इस महीने यमन से जा चुके हैं.
इसके बावजूद, यूएन एजेंसी ने अदन, सना और मारिब में वहाँ से जाने की प्रतीक्षा कर रहे अन्य हज़ारों यात्रियों की वापसी सम्भव बनाये जाने के लिये अतिरिक्त धनराशि की पुकार लगाई है.
यूएन एजेंसी की शीर्ष अधिकारी ने कहा कि राहत व संरक्षण का एक रास्ता, घर लौटने के इच्छुक प्रवासियों के लिये अतिरिक्त अवसरों को पेश करना और ज़रूरतमन्दों के लिये जीवनरक्ष सहायता व चिकित्सा देखभाल मुहैया कराना है.
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन ने फँसे हुए हज़ारों प्रवासियों को यमन से इथियोपिया वापिस भेजे जाने के लिये 75 लाख डॉलर की अपील जारी की है.
इसके अलावा, संगठन को विस्थापन व आवाजाही निगरानी सम्बन्धी गतिविधियाँ संचालन जारी रखने के लिये 90 लाख डॉलर की आवश्यकता होगी.
यूएन एजेंसी अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा है कि यमन में सहायता मिलने की प्रतीक्षा कर रहे एक लाख 90 हज़ार से अधिक लोगों की पीड़ा में कमी लाने के लिये जल्द रक़म का प्रबन्ध किया जाना होगा.