खाद्य प्रणालियों के रूपान्तरकारी बदलाव में, बढ़त दिखाते अफ़्रीकी देश

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने गुरूवार को कहा है कि अफ़्रीकी देश, खाद्य सुरक्षा, पोषण, सामाजिक और पर्यावरणीय संरक्षण का सामना करने के साथ-साथ, सहनक्षमता में जान फूँकने की ख़ातिर, खाद्य प्रणालियों में महत्वपूर्ण रूपान्तरकारी बदलाव करने के अग्रिम मोर्चे पर हैं.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, अफ़्रीका सम्वाद श्रंखला 2022 सिरीज़ के तहत, न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में आयोजित एक उच्चस्तरीय नीति सम्वाद के उदघाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे.
ये सिरीज़ पूरे अफ़्रीका द्वीप में ऐसे हालात में खाद्य आपूर्ति क्षेत्र में सहनक्षमता मज़बूत करने के लिये आयोजित की जा रही है, जब भुखमरी का सामना करने के क्षेत्र में दशकों के दौरान हासिल की गई प्रगति उलट रही है.
उन्होंने कहा कि बहुत लम्बे समय तक पोषण, खाद्य सुरक्षा, संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र और स्वास्थ्य, जैसे मुद्दों को अलग-अलग चिन्ताएँ समझा गया है, “मगर ये वैश्विक चुनौतियाँ आपस में गुँथी हुई हैं. संघर्ष भुखमरी को जन्म देते हैं. जलवायु संकट संघर्षों को गहरा करते हैं”, और व्यवस्थागत समस्याएँ और भी बदतर हो रही हैं.
यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि एक दशक से भी ज़्यादा समय के दौरान बेहतरी दर्ज किये जाने के बाद, वर्ष 2020 में, पाँच में से एक अफ़्रीकी व्यक्ति कुपोषण के शिकार थे, जबकि छह करोड़ 10 लाख बच्चे, बढ़त धीमी होने के प्रभावों की चपेट में थे. महिलाओं और लड़कियों को सबसे ज़्यादा प्रभाव झेलने पड़ते हैं.
और जब भोजन की क़िल्लत होती है तो “अक्सर महिलाएँ ही सबसे अन्त में बचा-खुचा भोजन खाने के लिये विवश होती हैं; सबसे पहले स्कूल से हटाने वालों में भी वो ही होती हैं और कामकाज करने या शादी करने के लिये भी उन्हें ही सबसे पहले विवश किया जाता है.”
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि यूएन मानवीय सहायता कर्मी और साझीदार, संकटों की स्थितियों में, अफ़्रीकी ज़रूरतों को पूरा करने के भरसक प्रयास कर रहे हैं, मगर ये सहायता, भुखमरी के व्यवस्थागत कारकों का मुक़ाबला नहीं कर सकती.
अन्य बाहरी झटके भी स्थिति को और ज़्यादा गम्भीर बना रहे हैं, जिनमें कोविड-19 महामारी से विषम पुनर्बहाली और यूक्रेन में युद्ध शामिल हैं जिससे अनाजों की कमी और बढ़ते क़र्ज़ के कारण, भारी रूप में प्रभावित होने वाले देशों में अफ़्रीकी देश भी हैं.
सहनक्षमता निर्माण के लिये, जलवायु संकट का सामना करने की भी ज़रूरत है.
यूएन प्रमुख ने कहा, “अफ़्रीकी किसान, हमारे गरम होते पृथ्वी ग्रह के अग्रिम मोर्चे पर हैं, उन्हें बढ़ते तापमान से लेकर सूखा और बाढ़ों का सामना करना पड़ रहा है.”
“अफ़्रीका को जलवायु आपदा के प्रभावों का सामना करने और पूरे महाद्वीप में अक्षय ऊर्जा मुहैया कराने के लिये व्यापक पैमाने पर तकनीकी और वित्तीय समर्थन की आवश्यकता है.”
उन्होंने कहा कि विकसित देशों को, विकासशील देशों के लिये संकल्पित 100 अरब डॉलर की जलवायु वित्त सहायता, अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के माध्यम से देनी होगी ताकि विशेष रूप से अफ़्रीकी देश, कोविड-19 महामारी से मज़बूत पुनर्बहाली में संसाधन निवेश कर सकें और अक्षय ऊर्जा की तरफ़ बढ़ सकें.
यूएन महासचिव ने कहा कि खाद्य प्रणालियाँ, इन तमाम चुनौतियों को आपस में जोड़ती हैं, जैसाकि सितम्बर 2021 में हुए यूएन विश्व खाद्य प्रणालियाँ सम्मेलन में रेखांकित किया गया था.
उन्होंने वर्ष 2022 को पोषण वर्ष नामांकित करने के, अफ़्रीकी संघ के निर्णय का स्वागत भी किया.