सीरिया: अन्तिम सहायता सीमा चौकी को बन्द करना - नैतिक अत्याचार होगा

संयुक्त राष्ट्र के सीरिया जाँच आयोग ने गुरूवार को कहा है कि सीमा पार से पहुँचने वाली सहायता का दायरा अन्य मार्गों तक नहीं बढ़ाना, अपने आप में बहुत ऊँचे स्तर की नाकामी होगी. सुरक्षा परिषद में दी गई ये चेतावनी ऐसे समय में आई है जब पूरे सीरिया में मानवीय ज़रूरतें, 11 वर्ष पहले शुरू हुए विनाशकारी और विध्वंसक युद्ध के बाद से, अपने उच्चतम स्तर पर हैं.
यूएन सीरिया जाँच आयोग ने सुरक्षा परिषद से, सीरिया में जीवनरक्षक मानवीय सहायता सुनिश्चित किये जाने की पुकार लगाते हुए कहा है कि ऐसे में अन्तिम सीमा चौकी को बन्द करने के बारे में सोचना अनैतिक और अस्वीकार्य होगा, जबकि ज़रूरतें अपने उच्चतम स्तर पर हैं.
🔴 NEWThe UN Syria Commission is calling on the @UN Security Council to ensure that life-saving aid to #Syria is not halted.“It is unconscionable to consider closing the last border crossing,” @UNCoISyria chair Paulo Pinheiro said.PRESS RELEASE ▶️ https://t.co/rcPv9sHZAF pic.twitter.com/4vF4hNvuzo
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मानवाधिकार परिषद द्वारा स्थापित इस स्वतंत्र आयोग ने गुरूवार को एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा है कि इस समय मानवीय सहायता पहुँचाने के लिये, सीरिया के पश्चिमोत्तर इलाक़े में जो एक मात्र सीमा चौकी खुली हुई है, उसकी असाधारण स्वीकृति 10 जुलाई को समाप्त हो जाएगी. इसके मद्देनज़र, सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने पिछले सप्ताह, इसकी स्वीकृति बढ़ाए जाने के मुद्दे पर विरोधाभासी मत व्यक्त किये थे.
इस असाधारण स्वीकृति की बदौलत, 2014 के बाद से, लाखों सीरियाई लोगों तक अत्यधिक आवश्यकता वाली सहायता पहुँचाना सम्भव हो सका है.
प्रैस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि सीरिया चूँकि गृह युद्ध शुरू होने के बाद से, इस समय बदतरीन आर्थिक और मानवीय संकट का सामना कर रहा है, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की ये ज़िम्मेदारी बनती है कि वो सीमा पार से, मिलने वाली जीवनरक्षक सहायता जारी रहने दे और इस सहायता राशि की उपलब्धता को सहारा देने के लिये, अपने धन संकल्प भी बढ़ाए.
यूएन आँकड़ों के अनुसार, क़रीब एक करोड़ 46 लाख सीरियाई लोग, इस समय मानवीय सहायता पर निर्भर हैं, जोकि अभी तक की सबसे बड़ी संख्या है.
पूरे सीरिया में, एक करोड़ 20 लाख लोग, अत्यन्त गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं. इस संख्या में 2019 के बाद से 51 प्रतिशत बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
सीरिया के विपक्ष के नियंत्रण वाले पश्चिमोत्तर इलाक़े में, लगातार लड़ाई व गहराते आर्थिक संकट के कारण, मानवीय परिस्थितियाँ और भी ज़्यादा ख़राब हो रही हैं.
उससे भी ज़्यादा, वहाँ लगभग 41 लाख लोग, अपनी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने के लिये भी, मदद पर निर्भर हैं, और उनमें 80 प्रतिशत महिलाएँ व बच्चे हैं.
यूएन सीरिया आयोग के अध्यक्ष पाउलो पिनहीरो ने कहा है, “यह एक नैतिक विडम्बना है कि सीरिया की सरकार और अन्य पक्षों द्वारा ज़रूरतमन्द लोगों तक मानवीय सहायता पहुँचाने और पहुँचने देने में मदद करने की, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत लगातार अपनी ज़िम्मेदारियों के उल्लंघन के मद्देनज़र, सीमा पार सहायता को सम्भव बनाने के लिये, सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव ज़रूरी समझा गया.”
सुरक्षा परिषद द्वारा स्वीकृत इन सीमा पार अभियानों के ज़रिये, हर महीने 24 लाख लोगों तक मानवीय सहायता पहुँचती है, जोकि सीरिया के पश्चिमोत्तर इलाक़े में आबादी के लिये जीवनरक्षक साबित हुई है.
यूएन सीरिया जाँच आयोग ने, 11 वर्षों की संघर्ष की जाँच के दौरान इस बारे में दस्तावेज़ एकत्र किये हैं कि राहत कर्मियों, परिवहन और बुनियादी ढाँचे को प्रभावित करने वाले हमलों व उससे भी इतर हिंसा व असुरक्षा सहित पूरे संघर्ष ने, किस तरह, पूरे देश में मानवीय सहायता पहुँचाए जाने को प्रभावित किया है.
आयोग ने यह भी पाया है कि सरकार और ग़ैर-सरकारी सशस्त्र गुटों ने, किस तरह देश के भीतर मानवीय सहायता को बार-बार राजनैतिक सौदेबाज़ी के लिये इस्तेमाल किया है.
आयोग के अध्यक्ष पाउलो पिनहीरो ने याद दिलाते हुए कहा कि मानवीय सहायता के लिये प्राप्त धनराशि, वहाँ के लोगों की इस समय की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये पर्याप्त नहीं हैं.
उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, सीरियाई लोगों को बेसहारा नहीं छोड़ देने का आग्रह किया, जिन्होंने 11 वर्ष से विनाशकारी और विध्वंसक युद्ध देखा है.
यूक्रेन में हाल के युद्ध ने भी, सीरिया और वहाँ के लोगों के लिये अभूतपूर्व आर्थिक कठिनाइयों में योगदान किया है, जहाँ आवश्यक चीज़ों की आसमान छूती क़ीमतों के साथ-साथ, गेहूँ व अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की क़िल्लत ने भी भारी परेशानियाँ खड़ी कर दी हैं.