आपदा की रोकथाम व जोखिमों में कमी, 'टिकाऊ भविष्य के लिये अहम'
संयुक्त राष्ट्र उप महासचिव आमिना मोहम्मद ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के मुद्दे पर, इण्डोनेशिया के बाली शहर में आयोजित एक फ़ोरम को सम्बोधित करते हुए आगाह किया है कि यदि मज़बूत रोकथाम या जोखिमों में कमी लाने के उपाय नहीं अपनाए गए, तो दुनिया को इस दशक के अन्त तक, हर दिन 1.5 मध्यम या विशाल आपदाओं का सामना करना पड़ेगा.
यूएन एजेंसी (UNDRR) ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण (Disaster Risk Reduction) के लिये सातवें वैश्विक प्लैटफ़ॉर्म का आयोजन किया है, जिसकी मेज़बानी इण्डोनेशिया की सरकार ने की है.
कोविड-19 महामारी के फैलाव के बाद से यह पहली बार है जब इस मुद्दे पर पहला अन्तरराष्ट्रीय फ़ोरम आयोजित हो रहा है, जोकि देशों की सरकारों, संयुक्त राष्ट्र और अन्य हितधारकों को एक साथ लाता है.
इस तीन-दिवसीय बैठक के दौरान, वर्ष 2015 में हुए ‘सेण्डाई फ़्रेमवर्क’ समझौते को लागू करने में अब तक हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी. इस फ़्रेमवर्क का उद्देश्य आपदा जोखिमों से अब तक हुई प्रगति की रक्षा सुनिश्चित करना है.
यूएन उप प्रमुख आमिना जे मोहम्मद ने प्रतिभागियों से कहा कि इस विषय में नेतृत्व, समझ और विशेषज्ञता के लिये, दुनिया फ़ोरम की ओर देख रही है.
उन्होंने कहा, “आपके द्वारा लिये गए निर्णय, कोविड-19 महामारी जैसी एक और आपदा की रोकथाम करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.”
“हम रोकथाम व जोखिम न्यूनीकरण के लिये अपने मज़बूत प्रयास कर सकते हैं और हमें ऐसा करना होगा, और सर्वजन के लिये एक सुरक्षित, टिकाऊ, सुदृढ़ व न्यायोचित भविष्य का निर्माण करना होगा.”
आपदाओं के कारण टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के प्रयासों पर असर हुआ है और अवरोध पैदा हुए हैं.
उप महासचिव आमिना मोहम्मद ने कार्रवाई के लिये चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करने की पुकार लगाई है, जिसके लिये वैश्विक महामारी से सबक़ सीखने से शुरुआत करनी होगी.
जोखिमों से निपटने के लिये शासन व्यवस्था को बेहतर बनाया जाना ज़रूरी है, चूँकि फ़िलहाल जोखिमों में कमी आने की रफ़्तार, जोखिमों के पैदा होने से कहीं कम है.
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक समीक्षा रिपोर्ट 2022, ऐसे उपाय पेश करती है, जिनसे जिनसे शासन प्रणाली में बदलाव करते हुए व्यवस्थागत ख़तरों से निपटने के लिये बेहतर तैयारी की जा सकती है.
डेटा में निवेश
आमिना मोहम्मद ने डेटा क्षमता को मज़बूती देने के लिये निवेश की अहमियत को रेखांकित किया है.
इस सिलसिले में उन्होंने नए बहुपक्षीय औज़ारों का उल्लेख किया है, जिनमें यूएन का जटिल जोखिम विश्लेषण कोष भी है, जोकि डेटा पारिस्थितिकी तंत्रों को समर्थन प्रदान करता है, ताकि जटिल ख़तरों का पहले से अनुमान लगा पाना, और बड़ी आपदा में तब्दील होने से पहले ही उनकी रोकथाम सम्भव हो सके.
इसमें, जोखिम विश्लेषण को साझा रूप से विकसित करना और समन्वय व डेटा ढाँचा में निवेश करना भी शामिल है, जिससे ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलता होगा.
निर्बल देशों के लिये समर्थन
विश्व के सबसे कम विकसित देश और लघु द्वीपीय विकासशील देशों को आपदाओं के दौरान ग़ैर-आनुपातिक ढंग से गम्भीर सामाजिक व आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ता है, जिसके बचाव के लिये उन्होंने इन देशों के लिये समर्थन का आग्रह किया है.
“हमें सबसे सम्वेदनशील देशों और सबसे नाज़ुक हालात में रह रहे समुदायों में, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और उनकी रोकथाम के लिये तत्काल अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने की आवश्यकता है.”
इनमें महिलाएँ व लड़कियाँ, विकलांगजन, निर्धन, हाशियेकरण का शिकार व अलग-थलग रहने वाले लोग भी हैं.
समय पूर्व चेतावनी से जीवन रक्षा
यूएन उप प्रमुख ने समय रहते चेतावनी जारी करने की व्यवस्था को एक ऐसा कारगर उदाहरण बताया है जिसमें निवेश से काफ़ी हद तक मदद मिल सकती है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि यूएन महासचिव ने विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) से संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप27) के दौरान एक कार्रवाई योजना प्रस्तुत करने का आग्रह किया है. यह सम्मेलन इस वर्ष नवम्बर महीने में मिस्र की राजधानी काहिरा में होगा.
इस योजना का लक्ष्य अगले पाँच वर्षों में पृथ्वी पर हर व्यक्ति को शुरुआती चेतावनी प्रणाली के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा गया है.
आमिना मोहम्मद ने सार्वजनिक और वित्तीय सैक्टरों से जोखिमों को दूर हटाने और सुदृढ़ता के बारे में सोचने का अनुरोध किया है.
इसके लिये, आपदाओं की वास्तविक क़ीमत का ख़याल रखा जाना होगा, और जोखिमों में कमी लाने के प्रयासों को प्रोत्साहन देना होगा.
सुदृढ़ता पर बल
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने सचेत किया कि कोविड-19 महामारी और जलवायु संकट का एक बड़ा सबक़ ये है कि जो लोग क़तार में सबसे पीछे हैं, उन्हें ही सबसे अधिक पीड़ा उठानी पड़ती है.
“वैश्विक महामारी से हमारी पुनर्बहाली में इस ज्ञान को परिलक्षित किया जाना होगा. हमारा मंत्र, सुदृढ़ता होना चाहिये.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हर इमारत, हर नए सामाजिक कार्यक्रम, हर बजट और हर पहल को ऐसा बनाया व लागू किया जाना होगा, जिससे जोखिमों में कमी आए.
यूएन महासभा प्रमुख कहा कि इसकी अहमियत, बल्कि आवश्यकता, समय के साथ बढ़ेगी.