रोहिंज्या ज़िन्दगियों की सलामती की ख़ातिर, बांग्लादेश को अन्तरराष्ट्रीय समर्थन की पुकार

संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी मामलों के उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैण्डी ने बांग्लादेश की अपनी पाँच दिन की यात्रा पूरी करने के बाद बुधवार को, रोहिंज्या शरणार्थियों और उनके मेज़बान समुदायों के लिये टिकाऊ और प्रत्याशित समर्थन की अपील की है.
फ़िलिपो ग्रैण्डी ने इस यात्रा के दौरान कॉक्सेस बाज़ार और बंगाल की खाड़ी में भासन चार द्वीप का दौरा किया.
उन्होंने कहा है कि दुनिया को इस संकट को याद रखना होगा जिसका सामना रोहिंज्या और उनके मेज़बान समुदाय, पिछले पाँच वर्षों से कर रहे हैं.
Today was spent with Rohingya refugees in Bangladesh: I am grateful to the government and its UN and NGO partners for the big relief efforts; mindful of the refugees’ wish to return to Myanmar if their rights and security are assured; and hopeful that donors will stay engaged. pic.twitter.com/btVDoHd41G
FilippoGrandi
बांग्लादेश में लगभग दस लाख रोहिंज्या शरणार्थी रह रहे हैं, जिनमें से ज़्यादातर म्याँमार से, 2017 में सुरक्षा की ख़ातिर निकले थे.
फ़िलिपो ग्रैण्डी ने शरणार्थियों के लिये महत्वपूर्ण सहायता करने के लिये बांग्लादेश सरकार के नेतृत्व की भूरि-भूरि प्रशंसा की, जिसमें 18 वर्ष और उससे ज़्यादा उम्र की लगभग 88 प्रतिशत आबादी के लिये, कोविड-19 की वैक्सीन का टीकाकरण किया जाना भी शामिल है.
यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त ने ज़ोर देकर कहा, “बांग्लादेश ने लगभग दस लाख शरणार्थियों की मदद करने में अग्रणी भूमिका निभाई है, इसलिये यह देश, यूएन शरणार्थी एजेंसी के लिये प्राथमिकता साझीदार है, मगर जीवनरक्षक सहायता मुहैया कराने और आशा निर्माण करने के लिये, लगातार अन्तरराष्ट्रीय समर्थन व सहायता अति महत्वपूर्ण है.“
शरणार्थी उच्चायुक्त ने ध्यान दिलाया कि शरणार्थियों की ज़िन्दगियाँ इस पर निर्भर करती हैं कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, उनकी देखभाल करने और उनका ख़याल रखने में किस तरह कार्रवाई करता है.
उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि रोहिंज्या शरणार्थियों के संरक्षण के लिये, लगातार धनराशि मिलते रहना बहुत महत्वपूर्ण है, जब तक कि ये शरणार्थी सुरक्षित तरीक़े से अपने घरों को वापिस नहीं लौट जाते.
फ़िलिपो ग्रैण्डी ने राष्ट्रीय स्तर के नेताओं, दानदाताओं और मानवीय सहायता कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात में, शरणार्थियों की स्वैच्छिक म्याँमार वापसी की उम्मीदें क़ायम रखने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया, जैसाकि हालात अनुमति देंगे.
शरणार्थी उच्चायुक्त ने कहा कि विश्व को इन लोगों के अपने स्थानों से भागने के लिये विवश होने के मूल कारणों का समाधान निकालना होगा और वापसी के उनके सपनों को वास्तविकता में बदलना होगा.
फ़िलिपो ग्रैण्डी के अनुसार, समाधान, म्याँमार के पाले में हैं. “जिन रोहिंज्या शरणार्थियों के साथ मैंने मुलाक़ातें की हैं, वो हालात अनुकूल होने पर, अपने घरों को वापिस लौटने की इच्छा रखते हैं.”
इस बीच, बांग्लादेश ने विस्थापित लोगों लोगों को अन्तरिम घर देने की पेशकश की है जिनमें से 52 प्रतिशत आबादी 18 वर्ष से कम आयु की है.
यूएन शरणार्थी प्रमुख ने, इस सन्दर्भ में रोहिंज्या माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूली शिक्षा के लिये भेजने और म्याँमार के पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षा हासिल करने की महत्ता को भी रेखांकित किया. यह पाठ्यक्रम शरणार्थी शिविरों में शुरू किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, “कॉक्सेस बाज़ार और भासन चार (द्वीप) में कौशल विकास व आजीविका अर्जित करने की गतिविधियाँ बहुत अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं, जिनसे शरणार्थियों को शान्तिपूर्ण समुदाय बनाने, एक सुरक्षित माहौल में योगदान करने और अपनी टिकाऊ वापसी को सहारा देने का मौक़ा मिलेगा.”
बांग्लादेश सरकार ने लगभग 28 हज़ार शरणार्थियों को, दूरदराज़ के भासन चार द्वीप में भेजा है, जहाँ मानवीय सेवाओं का स्तर बढ़ाया गया है.
यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त ने भासन चार द्वीप में सेवाओं के कुशल प्रबन्धन, शिक्षा की समुचित सुविधाओं, कौशल निर्माण और आजीविका अर्जन के कार्यक्रम चलाए जाने की ज़ोरदार पुकार लगाई.
मानवीय सहायता एजेंसियों को इस वर्ष लगभग 14 लाख लोगों की मदद करने के लिये, क़रीब 88 करोड़ 10 लाख डॉलर की धनराशि की ज़रूरत है जिनें कॉक्सेस बाज़ार और भासन चार में रहने वाले लगभग 9 लाख 20 हज़ार रोहिंज्या शरणार्थी भी शामिल हैं.
उनके अलावा पड़ोसी इलाक़ों में रहने वाले लगभग पाँच लाख 40 हज़ार बांग्लादेशी भी इन ज़रूरतमन्द लोगों में शामिल हैं.
संयुक्त कार्रवाई योजना की कुल धनराशि अपील में से अभी तक केवल 13 प्रतिशत ही प्राप्त हुई है.