सूडान: राजनैतिक संकट के समाधान के लिये ‘बीता जा रहा है समय’
सूडान के लिये संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि ने सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को बताया है कि देश में लम्बे समय से जारी राजनैतिक संकट के समाधान की तलाश करने के लिये कम समय ही बचा है. यूएन प्रतिनिधि ने आगाह किया है कि यदि गतिरोध को जल्द टाला नहीं गया, तो इसके दुष्परिणामों को राष्ट्रीय सीमाओं से भी परे महसूस किया जाएगा.
सूडान में यूएन मिशन (UNITAMS) के प्रमुख और विशेष प्रतिनिधि वोल्कर पैर्थेस ने मंगलवार को कहा, “सूडान के समक्ष मौजूद संकट पूरी तरह से देश में ही उत्पन्न हुआ है और देश के लोगों द्वारा ही सुलझाया जा सकता है.”
SRSG @volkerperthes Remarks to the Security Council on 24 May 2022, during the 9041st meeting on the situation in #Sudan https://t.co/84y8IGm9FF pic.twitter.com/jr0zCfecTj
UNITAMS
इस क्रम में, एक त्रिपक्षीय ढाँचे के तहत, संयुक्त राष्ट्र, अफ़्रीकी संघ और विकास पर अन्तर-सरकारी प्राधिकरण साथ मिलकर, सूडान में वार्ता को आगे बढ़ा रहे हैं.
यूएन प्रतिनिधि ने ज़ोर देकर कहा कि वार्ता के सफलता के लिये अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण किया जाना, सूडान की जनता पर ही निर्भर करता है.
यूएन के विशेष दूत ने इस वर्ष मार्च महीने के बाद से घटनाक्रम से अवगत कराते हुए बताया कि देश भर में अब तक 86 बन्दियों को रिहा किया गया है,
प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध सुरक्षा बलों द्वारा की गई हिंसा में भी कमी आती प्रतीत हुई है, लेकिन उल्लंघन के मामले अब भी सामने आते रहे हैं.
सूडान की राजधानी ख़ारतूम, पोर्ट सूडान और अन्य स्थानों पर कम से कम 111 लोगो को हिरासत में रखा गया है.
21 मई को विरोध-प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों की कार्रवाई में एक व्यक्ति की मौत हो गई है, जिसके बाद से मृतकों का आँकड़ा 96 तक पहुँच गया है.
जवाबदेही की दरकार
वोल्कर पैर्थेस ने कहा कि, “यदि प्रशासन भरोसा बहाल करना चाहते हैं, तो यह ज़रूरी है कि प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध हिंसा के लिये ज़िम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय हो.”
सूडान में उन राजनैतिक दलों व हस्तियों की संख्या बढ़ रही है, जो राजनैतिक संकट के निपटारे के लिये पहल के साथ आगे आए हैं.
यूएन दूत के अनुसार, अनेक राजनैतिक दलों ने साझा रुख़ों को ध्यान में रखते हुए नई साझीदारियाँ स्थापित की हैं.
इस पृष्ठभूमि में, त्रिपक्षीय ढाँचे के तहत सूडानी समाज व राजनीति के अहम धड़ों के साथ, अप्रैल के महीने में शुरुआती बातचीत की गई है.
उन्होंने बताया कि इन प्रयासों का उद्देश्य, सूडानी नागरिकों के नेतृत्व और स्वामित्व में ठोस वार्ता को आगे बढ़ाना है.
अधिकाँश पक्षों ने इन प्रयासों का हिस्सा बनने की इच्छा व्यक्त की है, मगर कुछ अहम हितधारकों ने सीधे तौर पर शामिल होने के बजाय, परोक्ष रूप से हिस्सा लेने की बात कही है.
वोल्कर पैर्थेस ने उम्मीद जताई है कि साझा समझ विकसित करके, संकट और देश में तख़्तापलट के बाद संस्थागत निर्वात की स्थिति से बाहर निकलने का तय किया जा सकता है.