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प्रकृति के विरुद्ध 'नासमझी भरे, विनाशकारी युद्ध' का अन्त किये जाने की पुकार

जलवायु परिवर्तन के कारण जैविक विविधता पर ख़तरा मंडरा रहा है.
© Unsplash/Zdeněk Macháček
जलवायु परिवर्तन के कारण जैविक विविधता पर ख़तरा मंडरा रहा है.

प्रकृति के विरुद्ध 'नासमझी भरे, विनाशकारी युद्ध' का अन्त किये जाने की पुकार

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रविवार, 22 मई, को ‘अन्तरराष्ट्रीय जैविक विविधता दिवस’ के अवसर पर अपने सन्देश में, जैवविविधता की रक्षा व प्रकृति के साथ समरसतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने और सर्वजीवन हेतु एक साझा, टिकाऊ भविष्य के निर्माण के लक्ष्य के साथ कारगर कार्रवाई का आहवान किया है.  

जैविक विविधता, मानव जीवन व पृथ्वी के लिये बेहद महत्वपूर्ण है. मानवता अपने आहार का 80 प्रतिशत से अधिक पौधों से प्राप्त करती है. विकासशील देशों के ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाली 80 फ़ीसदी आबादी, परम्परागत पौध-आधारित औषधि पर निर्भर है. 

तीन अरब लोगों को मछलियों से पशु-प्रोटीन प्राप्त होता है.

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यूएन प्रमुख ने जैवविविधता को जीवन का एक ऐसा ताना-बाना बताया है, जोकि हम सभी को आपस में जोड़ता है और पोषित करता है.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने, जलवायु परिवर्तन के ख़तरे से निपटने, भूमि क्षरण को रोकने, खाद्य सुरक्षा को मज़बूती प्रदान करने और मानव स्वास्थ्य के विषय में प्रगति के लिये जैवविविधता बेहद अहम है. 

“जैवविविधता हरित व समावेशी प्रगति के लिये पहले से तैयार समाधान प्रस्तुत करती है.”

मगर, पशुओं व पौधों की 10 लाख प्रजातियों पर अब लुप्त होने का जोखिम मंडरा रहा है, और जैवविविधता के लुप्त से होने से सर्वजन के लिये ख़तरे हैं.

महासचिव ने चिन्ता जताई कि अतीत के एक करोड़ वर्षों के औसत की तुलना में, प्रजातियों के लुप्त होने की मौजूदा दर, दस से सैकड़ों गुणा तक अधिक है, और यह तेज़ होती जा रही है.

यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि, “हमें प्रकृति के विरुद्ध नासमझीपूर्ण और विध्वंसकारी युद्ध का अन्त करना होगा. 

वैश्विक जैवविविधता फ़्रेमवर्क

वर्ष 2030 तक जैवविविधता की पुनर्बहाली के लिये एक वैश्विक जैवविविधता फ़्रेमवर्क पर सहमति बनाने के इरादे से इस वर्ष देशों की सरकारों की बैठक हो रही है, ताकि स्पष्ट व मापन योग्य लक्ष्यों के साथ कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सके. 

उन्होंने कहा कि इस फ़्रेमवर्क में जैवविविधता को पहुँच रही क्षति के मुख्य कारकों से निपटा जाना होगा, और प्रकृति के साथ समरसतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने के लिये महत्वाकाँक्षी व रूपान्तकारी बदलावों का मार्ग प्रशस्त करना होगा.

उन्होंने कहा कि इसके ज़रिये भूमि, ताज़ा पानी व महासागर की कारगर ढँग से रक्षा, टिकाऊ खपत व उत्पादन को प्रोत्साहन, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये प्रकृति-आधारित समाधानों को बढ़ावा और पर्यावरण को नुक़सान पहुँचाने वाली सब्सिडी का अन्त करना होगा. 

यूएन प्रमुख ने कहा है कि ठोस, प्रकृति-सकारात्मक निवेशों को गति प्रदान करने के लिये संगठित प्रयास व वित्तीय संसाधन अहम है, ताकि हर किसी के लिये जैविक विविधता के लाभ सुनिश्चित किये जा सकें.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने प्रकृति के साथ समरसतापूर्ण सम्बन्ध के समानान्तर, मानवाधिकारों व समता के लिये गरिमा पर भी बल दिया है, विशेष रूप से आदिवासी आबादियों के लिये, जो अपने इर्द-गिर्द जैविक विविधता की रक्षा व उसे पोषित करते हैं.

महासचिव ने कहा कि पृथ्वी की नाज़ुक प्राकृतिक सम्पदा को बचाने के लिये, युवजन व निर्बल आबादी समेत हर किसी को साथ लेकर चलना ज़रूरी है. उन्होंने सर्वजीवन के लिये एक साझा भविष्य के निर्माण के लक्ष्य के साथ कार्रवाई का आहवान किया है.