मैक्सिको में 1964 से अब तक, एक लाख लोगों की गुमशुदगी ‘एक त्रासदी’

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने मंगलवार को कहा है कि मैक्सिको में एक लाख से ज़्यादा लोगों की गुमशुदगी आधिकारिक रूप से दर्ज होने की ख़बर एक त्रासदी है. उन्होंने देश की इस लम्बे समय से चली आ रही समस्या का समाधान तलाश किये जाने की पुकार भी लगाई है.
एक राष्ट्रीय डेटाबेस में उन सभी लोगों का विवरण दर्ज किया गया है जो 1964 से लेकर अभी तक गुमशुदा हुए हैं, और ड्रग माफ़िया के बीच हिंसा और प्रभावशाली जाँच के अभाव में, ये संख्या लगातार बढ़ रही है.
.@mbachelet asks #Mexico to step up efforts for #truth & #justice for victims of #disappearances as tragic milestone officially hits 100,000. Families must be placed at the centre of efforts & all provisions of the General Law on disappearances implemented:https://t.co/DjBX9YU3hW pic.twitter.com/jn8CsveVxC
UNHumanRights
मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा कि 1964 के बाद से जो लोग लापता दर्ज हुए हैं, उनमें से केवल 35 प्रतिशत लोगों के मामलों में ही, उनकी गुमशुदगी के लिये ज़िम्मेदार लोगों का दोष साबित हो पाया है, जोकि दण्डमुक्ति की इतनी बड़ी दर को दिखाता है.
यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने एक वक्तव्य जारी करके, मैक्सिको की सरकार से सुधार क्रियान्वयन जारी रखने और पीड़ितों व उनके परिवारों के लिये न्याय सुनिश्चित करने के प्रयास जारी रखने का आग्रह किया है.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता लिज़ थ्रॉसेल ने कहा, “जबरन गुमशुदगी का अपराध, परिवारों के लिये, अपनी तरह का एक बहुत गम्भीर अपराध है, वो इसलिये कि गुमशुदगी के मामले कभी भी बन्द नहीं होते हैं और पीड़ितों के शव भी कभी-कभार ही बरामद हो पाते हैं.”
उन्होंने कहा कि अब जो वाक़ई अहम है... वो है – मैक्सिको सरकार ने जो क़दम उठाए हैं, मगर जैसाकि मैंने कहा, मानवाधिकार उच्चायुक्त बहुत तकलीफ़ के साथ यह ज़ोर देती हैं कि इस मुद्दे को अग्रिम मोर्चे पर रखने के लिये, पीड़ितों के परिवारों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण रही है.
मैक्सिको के आँकड़ों के अनुसार, कुल लापता हुए लोगों में लगभग एक चौथाई संख्या महिलाओं की है और लगभग 20 प्रतिशत लोगों की उम्र, लापता होने के समय 18 वर्ष से कम थी.
गुमशुदा हुए लोगों की ज़्यादातर संख्या के बारे में, उनकी गुमशुदगी के दिन और तारीख़ के बारे में ठोस जानकारी नहीं है – लगभग 97 प्रतिशत गुमशुदगियाँ, दिसम्बर 2006 के बाद से हुई है, जब मैक्सिको ने सार्वजनिक सुरक्षा के, सैन्यकृत मॉडल में क़दम रखा.
मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने उन परिवारों की भी सराहना की है जिन्होंने सत्य और न्याय की ख़ातिर दशकों तक अपने अथक प्रयास जारी रखे.
मैक्सिको में लापता हुए नागरिकों के मुद्दे का सामना करने के सरकारी प्रयासों में – गुमशुदगी पर आम क़ानून बनाना और तमाम प्रान्तों में तलाश समितियों का गठन करना व फोरेंसिक पहचान के लिये असाधारण प्रणाली अपनाया जाना शामिल हैं.
समितियों के साथ-साथ एक राष्ट्रीय मानव पहचान केन्द्र ने भी 1965 से 1990 के दरम्यान हुई गुमशुदगियों के मामलों की जाँच शुरू की है. इनके अलावा 2014 में, अयोत्ज़िनापा के एक ग्रामीण शिक्षक कॉलेज से, 43 छात्रों की गुमशुदगी के मामले की जाँच भी हो रही है.
वर्ष 2020 में, मैक्सिको ने, व्यक्तिगत शिकायतों की जाँच-पड़ताल के लिये, जबरन गुमशुदगी पर संयुक्त राष्ट्र कमेटी के प्राधिकार को मान्यता दी.
जून 2021 में, मैक्सिको के सुप्रीम कोर्ट ने भी इस कमेटी के तात्कालिक क़दमों की बाध्यकारी प्रकृति को पहचान दी, जिसमें लापता हुए हर एक व्यक्ति के न्याय पाने के अधिकारों को समर्थन दिया जाता है.
नवम्बर 2021 में, मैक्सिको, जबरन गुमशुदगी पर यूएन कमेटी की आधिकारिक यात्रा को स्वीकार करने वाला प्रथम देश बना; इस कमेटी ने मैक्सिको के 13 प्रान्तों का दौरा किया और अधिकारों, पीड़ितों, संगठनों और ग़ैर-सरकारी संगठनों के साथ 150 से ज़्यादा बैठकें आयोजित कीं.