यूक्रेन संकट: खाद्य आपूर्ति पर असर, क़ीमतों में उछाल, निर्बल देशों के लिये जोखिम

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से उपजे व्यापक प्रभावों, विशेष रूप से खाद्य व ऊर्जा क़ीमतों में आए उछाल पर विचार-विमर्श के लिये शुक्रवार को तीन-दिवसीय बैठक आरम्भ हुई है. खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के प्रमुख क्यू डोन्ग्यू ने इस चर्चा के दौरान, वैश्विक खाद्य सुरक्षा बनाये रखने के लिये कुछ अहम उपायों को प्रस्तुत किया है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने ‘संकट काल में वैश्विक खाद्य सुरक्षा’ के विषय पर जी-7 देशों के कृषि मंत्रियों को सम्बोधित किया, जोकि जर्मनी के श्टुटगार्ट शहर में एकत्र हुए हैं.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि हिंसक संघर्ष से पनप रहे ख़तरे और उसके मानवीय प्रभावों से अनेक, एक दूसरे में गुंथे हुए संकट पैदा हो रहे हैं.
In my address to #G7 agriculture ministers I stressed the need to support the continuity of farming & agrifood chains in Ukraine. I commended the group for its coordinated & timely action. We must ensure that measures taken to address the crisis do no exacerbate food insecurity. https://t.co/JCPfv7LIzG
FAODG
“संकट, अनेक देशों क लिये खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ प्रदर्शित करता है, और विशेष रूप से निम्न-आय वाले व खाद्य आयात पर निर्भर देशों और निर्बल आबादी समूहों के लिये.”
4 मई को जारी की गई, Global Food Crises Report, के अनुसार, पिछले वर्ष 53 देशों व क्षेत्रों में 19 करोड़ 30 लाख लोग खाद्य सुरक्षा में संकट या उससे भी बदतर हालात का सामना कर रहे थे.
वर्ष 2021 के अन्य आँकड़े दर्शाते हैं कि चार देशों में पाँच लाख 70 हज़ार लोग, गम्भीर खाद्य असुरक्षा और विनाशकारी हालात में रहने के लिये मजबूर हैं.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने बताया कि क़ीमतों में उछाल से हमेशा खाद्य सुरक्षा पर असर होता है, विशेष रूप से निर्धनतम आबादी के लिये.
कोविड-19 महामारी से पुनर्बहाली के दौरान, मांग व लागत क़ीमतों में वृद्धि की वजह से पहले से ही दामों मे बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही थी.
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से, अन्य खाद्य वस्तुओं के अलावा गेहूँ, मक्का और तिलहन की क़ीमतों में विशेष रूप से उछाल आया है.
क्यू डोन्गयू ने बताया कि उनके संगठन ने Food Import Financing Facility का प्रस्ताव सामने रखा है, जिससे खाद्य आयात की क़ीमतों के बोझ को वहन करने में मदद मिलेगी.
इससे 61 सर्वाधिक निर्बल देशों में एक अरब 80 करोड़ लोगों को लाभ मिलने की सम्भावना जताई गई है.
फ़रवरी महीने में हिंसक संघर्ष की शुरुआत से अब तक, यूक्रेन और रूस के लिये निर्यात पूर्वानुमान के स्तर को कम किया गया है, जबकि भारत और योरोपीय संघ अन्य ने अपने निर्यात में वृद्धि दर्ज की है.
यूएन एजेंसी के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि इससे काला सागर क्षेत्र में, निर्यात में आई गिरावट को कुछ हद तक दूर कर पाना सम्भव हुआ है, और अब यह कमी घटकर 30 लाख टन रह गई है.
उन्होंने देशों से निर्यात पाबन्दियों को थोपे जाने से परहेज़ बरतने का आग्रह किया है, जिनसे खाद्य क़ीमतों के बढ़ने और वैश्विक बाज़ारों में भरोसा कम होने का जोखिम पैदा होगा.
तुर्की, मिस्र, ऐरीट्रिया, सोमालिया, मैडागास्कर, तंज़ानिया, काँगो, नामीबिया और अन्य देश, गेहूँ के लिये यूक्रेन और रूस पर निर्भर हैं और मोजूदा संकट से उन पर ख़ासा असर हुआ है.
क्यू डोन्गयू ने कहा कि इन देशों को नए आपूर्तिकर्ताओं की तलाश करनी होगी, जोकि कम से कम अगले छह महीनों के लिये एक बड़ी चुनौती पेश कर सकता है.
इसके अलावा, ब्राज़ील, अर्जेन्टीना, बांग्लादेश समेत कई अन्य देश अपनी फ़सलों के लिये रूस से उर्वरक आयात पर निर्भर हैं.
अफ़्रीकी देशों में कैमरून, घाना और आइवरी कोस्ट की रूस से होने वाली आपूर्ति पर बड़ी निर्भरता है और मौजूदा घटनाक्रम से उनके के लिये नाज़ुक परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी है कि प्रमुख खाद्य निर्यातक देशों के पास उर्वरक की उपलब्धता हो, ताकि अगले वर्ष के लिये पर्याप्त खाद्य उपलब्धता का भरोसा दिलाया जा सके.