महिला उद्यमी: हरित व टिकाऊ कारोबार की राह पर अग्रसर
हाल के दशकों में महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, रोज़गार, शक्ति और उद्यमिता के क्षेत्र में बड़ा लैंगिक अन्तर व्याप्त है. कई देशों में, महिलाओं को अभी भी अपनी पूर्ण आर्थिक क्षमता तक पहुँचना बाकी है और आत्म-सशक्तिकरण के मार्ग पर अपने सफ़र में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. दुबई में हाल ही में आयोजित विश्व उद्यमिता व निवेश सम्मेलन के मौके पर, यूएन न्यूज़ ने अरब और अफ़्रीका क्षेत्र की कई महिला उद्यमियों से मुलाकात की, जो बहरैन स्थित UNIDO-ITPO की मदद से, कारोबार में टिकाऊ विकास लक्ष्यों को अपनाते हुए, व्यवसायिक दुनिया में नए आयाम स्थापित कर रही हैं.
अपना रोज़गार ख़ुद बनाओ
बैनेडिक्टा नान्योंगा युगाण्डा में ‘किनावाटाका महिला पहल’ की संस्थापक हैं. 23 वर्षों तक उन्होंने युगाण्डा के बैंक में एक शीर्ष अधिकारी के रूप में काम किया. सेवानिवृत्त होने पर, उन्होंने विकल्पों की तलाश शुरू की और फिर फ़ैसला किया कि क्यों न "अपना रोज़गार ख़ुद बनाएँ."
तब उन्होंने कमज़ोर तबके की महिलाओं को लेकर एक कारोबार शुरू किया, जो इस्तेमाल किए गए प्लास्टिक के स्ट्रॉ इकट्ठा करके, उन्हें धोकर, स्टर्लाइज़ कर, व सुखाकर, मैट, हैण्डबैग, लैपटॉप बैग जैसे टिकाऊ व अद्वितीय उत्पाद बनाते हैं.
बैनेडिक्टा नान्योंगा ने यूएन न्यूज़ को बताया, "मुझे पता चला कि ये स्ट्रॉ नालियों में फेंक दिए जाते हैं, जिससे पानी भूमि में रिस नहीं पाता, और सड़क पर कूड़ा फैलता है. तब मुझे ऐसा करने का विचार आया."
ख़ास बात यह है कि उनके साथ काम करने वाली ज़्यादातर महिलाएँ एचआईवी प्रभावित समुदाय से आती हैं, जो अब तक परिवार के स्वास्थ्य और बुनियादी भोजन के लिये, सब्जियाँ बेचकर गुज़ारा चलाती थीं. इन बैगों की बिक्री से अब वो स्कूल की क़िताबों, फीस, अधिक पौष्टिक भोजन और रोज़मर्रा की स्वास्थ्य देखभाल के लिये अतिरिक्त आय कमा पाती हैं.
फिलहाल 275 से ज़्यादा महिलाएँ उनके साथ काम पर लगी हैं. उन्हीं में से एक युवा एचआईवी पॉजिटिव माँ हैं जेन, जिन्हें बैनेडिक्टा ने प्रशिक्षित किया है. उन्होंने जेन से पूछा कि उनके और उनके परिवार के लिये स्ट्रॉबैग का काम करने के क्या मायने हैं.
जेन ने बताया, “अब मैं यहाँ पूरे दिन, बगल में बच्चे को बैठाकर, दोस्तों के स्ट्रॉ की एक लम्बी पट्टी बुनती हूँ और उसे किनावाटाका समूह को बेचती हूँ. इससे मुझे आठ समय का भोजन ख़रीदने लायक धनराशि मिल जाती है.”
बैनेडिक्टा की इस पहल से क्षेत्र पर भी बड़ा असर पड़ा है. वो गर्व से बताती हैं, “प्लास्टिक से बने स्ट्रॉ इकट्ठा करने से बहुत फ़र्क पड़ा है, क्योंकि जब ये स्ट्रॉ मिट्टी में फेंके जाते हैं, तो मिट्टी कुछ भी उगाने लायक नहीं रहती. हर साल हम 50 लाख स्ट्रॉ इकट्ठा कर रहे हैं. 2008 में हमने इसकी शुरुआत की थी, तो आप अन्दाज़ा लगा लीजिये कि हम अब तक कितने स्ट्रॉ इकट्ठे कर चुके हैं.”
बैनेडिक्टा विश्व उद्यमिता व निवेश फोरम (WEIF) में भाग लेने दुबई आईं थीं और अब वो अपने उत्पाद को पेटेण्ट करने एवं अपनी परियोजना का अन्य देशों में विस्तार करने की योजना बना रही हैं. उन्हें ऐसे साझेदारों की तलाश है जो अपने देशों में महिलाओं को, जल निकासी में डम्प किए गए स्ट्रॉ को री-सायकिल करने के लिये प्रशिक्षित करना चाहते हों.
वह कहती हैं, 'मैं यहाँ अपने उत्पाद को दूसरे देशों, ख़ासकर महिलाओं तक ले जाने आई हूँ. अगर किसी को रुचि हो, तो मैं जाकर उन्हें प्रशिक्षित कर सकती हूँ. हम तो बस इन्हें फेंक देते हैं, इस्तेमाल किए हुए स्ट्रॉ जला देते हैं. लेकिन हम यहाँ उन्हें यह दिखाएँगे कि महिलाओं को अब कामकाज तलाशने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि इन इस्तेमाल किए गए स्ट्रॉ से वो ख़ुद का कारोबार खड़ा कर सकती हैं”
वह ऐसे नवोन्मेषकों की भी तलाश कर रही हैं जो इन स्ट्रॉ को काटने और संसाधित करने के लिये एक स्वचालित मशीन डिज़ाइन कर सकें ताकि उनके लिये काम आसान हो सके.
उनका कहना है, “चुनौती उत्पाद बनाने में है. जैसा कि आप जानते हैं कि उत्पाद को सपाट करने के लिये चाकू का उपयोग किया जाता है, यह बहुत बोझिल काम होता है, इससे उंगलियों में दर्द होने लगता है. अगर कोई स्ट्रॉ प्रोसेसिंग मशीन डिज़ाइन कर दे, तो इससे हमारी बहुत मदद हो जाएगी."
हरित प्रौद्योगिकियाँ अपनाने में आगे
बहरैन की एक उद्यमी, अला अब्दुलरहीम ‘बटरफ्लाई टैक्नोलॉजी’ नामक कम्पनी की संस्थापक हैं.
विश्वविद्यालय की शिक्षा के दौरान, उन्होंने नाख़ून-पॉलिश का मिश्रण करने की मशीन का आविष्कार किया था - एक ऐसी मशीन जो 60 सेकण्ड से भी कम समय में किसी भी रंग की नेल-पॉलिश का उत्पादन कर सकती है.
इस मशीन ने नवाचार के लिये कई पुरस्कार जीते, जिसमें Microsoft द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में उन्हें विश्व में तीसरा स्थान भी शामिल था.
वह बताती हैं, "इसके बाद मैंने अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया."
लेकिन सफ़र आसान नहीं था. उन्होंने बताया, "मेरे सामने कई चुनौतियाँ थीं, विशेषकर एक छात्र होने के कारण मेरे पास अपना व्यवसाय शुरू करने के लिये पूंजी नहीं थी."
उनका कहना है कि बहरैन स्थित UNIDO कार्यालय के समर्थन से वह उन बाधाओं में से कुछ को दूर कर सकीं. वह कहती हैं, "हमें यूनीडो ने प्रशिक्षण दिया कि व्यवसाय कैसे शुरू किया जाए, व्यवसाय की योजना कैसे बनाई जाए और हम कैसे काम को आगे ले जा सकते हैं. उन्होंने हमें नेटवर्क प्रदान किया और बहरैन के भीतर व बाहर के संगठनों एवं कम्पनियों से हमें जोड़ा. मतलब यह कि उन्होंने हमारे लिये दरवाज़े खोल दिये.”
इसी सहयोग के दौरान, उन्होंने व्यापार की बारीकियाँ सीखीं और यह जाना कि व्यवसायों को संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास लक्ष्यों के साथ किस तरह संरेखित किया जा सकता है.
वो कहती हैं, "अपनी कम्पनी में, हम सुनिश्चित करते हैं कि हमारे सभी आविष्कार और सभी परियोजनाएँ, एसडीजी के तहत हों. विशेष रूप से प्रौद्योगिकी व स्थिरता पर, एवं पर्यावरण के लिये हरित आविष्कार कैसे करें."
व्यवसायों से बदलाव सम्भव है
जूस कम्पनी (परफेक्टली-प्रैस्ड जूस) की सह-संस्थापक, बहरैन की सानिया अब्दुल्लाल, कोल्ड-प्रैस्ड जूस बनाकर, बहरैन और सऊदी अरब में सप्लाई करती हैं.
2013 में उन्होंने अपना कारोबार शुरू करने का फ़ैसला किया और मदद के लिये UNIDO के पास पहुँची.
वह याद करती है, “मैं आइडिया स्टेज में थी, जहाँ मुझे पता था कि मैं कुछ ऐसा शुरू करने जा रही हूँ जो मेरी ज़िन्दगी बदल देगा. लेकिन मुझे यकीन नहीं था कि मैं यह कहाँ और कैसे करूंगी."
"UNIDO ने मुझे इनक्यूबेटर सेंटर से और फाइनेंसिंग पार्टनर्स से जोड़ा - विशेष रूप से महिलाओं को दिए जाने वाले ऋणों के बारे में सचेत किया, और कारख़ाना खड़ा करने में पूरी मदद दी. उन्होंने सुनिश्चित किया कि मेरे पास एक मज़बूत सहायक नेटवर्क हो. पूरे समय वो मेरा मार्गदर्शन करते रहे हैं.”
सानिया के कारख़ाने में बना जूस, टिकाऊ तरीक़े से उत्पादित, होता है और इससे जो भी रेशे या अपशिष्ट बचता है, उसे जानवरों को खिलाने के लिये दे दिया जाता है. यह एक शून्य-अपशिष्ट उत्पाद है और पैकेजिंग भी काँच की है, जिसकी री-सायक्लिंग की जा सकती है. वो कहती हैं, "तो, आप कह सकते हैं, हमारा काम, उत्पादन का पूरा चक्र पूर्ण करता हैं."
सानिया का मानना है कि व्यवसायों में दुनिया को बदलने की शक्ति होती है. वह कहती हैं, "हम मानते हैं कि व्यवसाय वास्तव में बदलाव के उत्प्रेरक हैं और हमारे समाज की बुनियादें तय करते हैं, क्योंकि जब कामकाजी लोग अपने घरों में वापस जाते हैं, तो उसी संस्कृति को घर भी ले जाते हैं. इसलिये, हमारी कार्य संस्कृति में एसडीजी का सम्मान अहम है - समानता, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरणीय मु्द्द पर आगे बढ़ने के मामले में – आप कह सकते हैं कि हम पूरी तरह हरित उत्पादन करते हैं."
सानिया अन्य नवोन्मेषकों के साथ सम्पर्क बनाने के लिये सम्मेलन में भाग ले रही थीं.
वो कहती हैं, "मेरा कारख़ाना स्वचालन के चरण में है, इसलिये मैं किसी ऐसे व्यक्ति से मिलना चाह रही थी, जो सब्ज़ियों और फलों को छीलने वाली नई तकनीक की मशीनों के साथ मेरी मदद कर सकता हो. अब संयुक्त अरब अमीरात में मैं उनसे मिलने वाली हूँ. साथ ही, मुझे संयुक्त अरब अमीरात से भविष्य में और कारख़ाने खोलना का आमन्त्रण भी मिला है.”
बदलाव में साथी
डॉक्टर दीना बेलाल, सूडान में ‘टैक्नो-पोल’ यूनिट की प्रबन्धक हैं, जो सूडान में 2016 में शुरू किया गया पहला प्रौद्योगिकी-आधारित इनक्यूबेटर है. इसकी शुरूआत, ख़ार्तूम विश्वविद्यालय द्वारा इंजीनियरिंग फ़ैकल्टी विकसित करने के लिये आवण्टित फ़ण्ड से की गई थी.
‘टैक्नो-पोल’ अपने रणनीतिक साझेदार के रूप में बहरैन स्थित ITPO के साथ मिलकर काम करता है. आईटीपीओ से उन्हें क्षमता निर्माण में मदद मिली और यूनिट की निगरानी, सलाह और निर्णय लेने में भी सहयोग प्राप्त हुआ.
इनक्यूबेटर के ही एक हिस्से के रूप में, नए उद्यमियों को अपने कारोबार विकसित करने के लिये विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है.
डॉक्टर दीना बेलाल बताती हैं, "हम उनकी निगरानी करते हैं, उन्हें प्रशिक्षित करते हैं और उन्हें कानूनी सहायता, विपणन सहायता, वित्तीय मुद्दों आदि से सम्बन्धित सभी व्यावसायिक सहायता प्रदान करते हैं."
इस इनक्यूबेटर से लाभ उठाने वालों में 40% महिलाएँ हैं, विशेष रूप से दारफ़ुर और सूडान के पूर्वी क्षेत्र से.
कुछ ही वर्षों में, इनक्यूबेटर के ज़रिये, सूडान में 50 से अधिक सफलता की कहानियाँ गढ़ी जा चुकी हैं, जिसमें कारख़ानों में नियन्त्रण प्रणालियों के डिज़ाइन और कार्यान्वयन के क्षेत्र में काम करने वाली कम्पनियों से लेकर, कृषि व पेट्रोलियम क्षेत्र में, सर्वेक्षण इंजीनियरों के लिये जीआईएस अनुप्रयोगों पर काम करने वाली कम्पनी एवं चमड़े के उत्पाद बनाने वाले छोटे उद्योगों पर काम करने जैसी कम्पनियाँ शामिल हैं.
वह कहती हैं, "हम एक ऐसे व्यवसाय को भी समर्थन दे रहे हैं, जो विकलांग व दृष्टिहीन लोगों की ई-लर्निंग पर काम कर रहा है (किताबें पढ़ने, डाउनलोड करने और उनके लिये रिपोर्ट तैयार में मदद करता है) और महामारी के दौरान लोगों ने उनसे बहुत लाभ उठाया."
महिलाएँ बेहतर आपसी सम्पर्क स्थापित करें
इबुकुन अवोसिका, नाइजीरिया की एक सफल और प्रसिद्ध उद्यमी है. वर्षों पहले, उन्होंने अफ़्रीका में एक सफल फर्नीचर कारोबार खड़ा करके एक नया मुक़ाम हासिल किया. पहले, नाइजीरिया के ‘फर्स्ट बैंक’ की अध्यक्ष रहीं इबुकुन अवोसिका, अब पूरी लगन से अन्य महिला उद्यमियों की मदद में लगी हैं.
34 वर्षों से अपना व्यवसाय कर रहीं, इबुकुन अवोसिका ने बताया कि एक अफ़्रीकी महिला होने के नाते, उद्यमशीलता की दुनिया में चुनौतियाँ और भी कठिन हो जाती हैं.
"हमारी सामने संस्कृति सम्बन्धी चुनौतियाँ हैं. फिर सभी पुरुषों और महिला उद्यमियों के सामने आने वाली समान चुनौतियाँ तो हैं ही, जैसेकि हमारे बुनियादी ढाँचे, वित्तीय [प्रणाली], एक पुरुष की तुलना में एक महिला को लेकर अवधारणा, और कभी-कभी अवसरों व सीमाओं को लेकर भी."
हालाँकि उनका मानना है कि अब महिला उद्यमियों के लिये स्थिति काफी बेहतर हो गई है. देशों के भीतर जेण्डर-लैन्स सम्बन्धी फण्ड उभर रहे हैं.
वो कहती हैं, "तो, वास्तव में हालात बेहतर हो रहे हैं, लेकिन अभी भी एक लम्बा सफ़र तय करना बाकी है."
"अपने उद्यमी करियर और कॉर्पोरेट जीवन, दोनों से ही मुझे यह सीखने को मिला कि हम महिलाओं को आपस में बेहतर तरीक़े से जुड़ने की ज़रूरत है."
उन्होंने प्रशिक्षण व जानकारी देने और विकास उपकरण प्रदान करने के मामले में, अफ़्रीकी महिलाओं का समर्थन जारी रखने के लिये यूनीडो की सराहना की.
कुछ अलग सोचने का समय
जॉर्डन की पूर्व-सांसद, रीम बद्रन का मानना है कि मौजूदा महामारी ने टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने के रास्ते में बड़ी चुनौती पेश की है, क्योंकि इससे अरब क्षेत्र और दुनिया भर में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियाँ बढ़ गई हैं.
हालाँकि वो यह भी कहती हैं कि महामारी से उद्यमिता और समग्र दृष्टिकोण के लिये नवाचार को बढ़ावा भी मिला है.
जॉर्डन में अन्तरराष्ट्रीय महिला मंच की संस्थापक, रीम बद्रन का मानना है कि महिला व्यवसायियों में बहुत क्षमताएँ हैं, और अगर हम उनकी शिक्षा पर अधिक ध्यान केन्द्रित करें, विशेष रूप से सूचना व संचार टैक्नॉलॉजी क्षेत्र में डिजिटल अन्तर को पाट सकें, तो वे किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकती हैं.
वह कहती हैं, "हम जॉर्डन में महिलाओं को नेतृत्व के लिये बेहतर कौशल, प्रबन्धन और वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं, जिससे वित्तीय सेवाओं तक उनकी पहुँच बनाने में मदद हो सके."
"हम जॉर्डन की महिलाओं को निजी क्षेत्र में बोर्ड में शामिल होने के लिये भी प्रशिक्षण दे रहे हैं, और अब हम सार्वजनिक शेयरहोल्डिंग कम्पनियों, जैसेकि बैंक जैसे वित्तीय संस्थान, निर्माण इकाइयाँ या सेवाओं में, बोर्डरूम में अधिक से अधिक महिलाओं की भागीदारी की सिफ़ारिश कर रहे हैं. क्योंकि बोर्डरूम में अक्सर पुरुष ही ज़्यादा होते हैं और महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं होता.”
रीम बद्रन का मानना है कि व्यवसायों में लैंगिक अन्तर पाटने के लिये एसडीजी बेहद महत्वपूर्ण हैं. वह महिला उद्यमियों से कोविड पश्चात दुनिया में अवसरों पर अधिक ध्यान केन्द्रित करने का आह्वान करती हैं.
वह कहती हैं, "यह समय कुछ अलग सोचने का है. यह समय है, महिलाओं को नए अवसरों से लाभ उठाने का, और उम्मीद है कि महिलाएँ इस बात को तेज़ी से समझकर अमल में ला सकेंगी.”