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"विकलांगजन में है दुनिया बदल देने की क्षमता"

WEIF 2022 में, अब्देलहमान ओमरान (बाएँ से चौथे) ने साहस और दृढ़ संकल्प की अपनी कहानी बयाँ की.
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WEIF 2022 में, अब्देलहमान ओमरान (बाएँ से चौथे) ने साहस और दृढ़ संकल्प की अपनी कहानी बयाँ की.

"विकलांगजन में है दुनिया बदल देने की क्षमता"

एसडीजी

अब्देलरहमान ओमरान मिस्र के शोधकर्ता हैं, जिन्होंने टेट्राप्लैजिया से पीड़ित लोगों के लिये एक विशेष ‘व्हीलचेयर’ यानि पहियेदार कुर्सी डिज़ाइन करने के लिये, अरब नवाचार रैली 2019 में दूसरा स्थान हासिल किया था. इस व्हीलचेयर की ख़ासियत यह है कि इसे हाथों या रिमोट से शारीरिक रूप से नियन्त्रित करने की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि इसे दिमाग़ की तरंगों या सिर हिलाकर नियन्त्रित किया जा सकता है.

हाल ही में दुबई में, बहरैन स्थित UNIDO ITPO द्वारा आयोजित विश्व उद्यमिता निवेश फोरम 2022 के मौके पर, यूएन न्यूज़ ने इस पूर्व विजेता से मुलाकात की और 2019 में अरब रैली जीतने के बाद के उनके सफ़र के बारे में जानकारी ली. 

शोधकर्ता अब्देलरहमान ओमरान की स्मार्ट व्हीलचेयर को हाथ नहीं, बल्कि दिमाग़ की तरंगों से चलाया जाता है.

दरअसल, ओमरान एक ऐसा उपकरण बनाना चाहते थे जो टेट्राप्लैजिया (ऐसा पक्षाघात, जिससे हाथों-पैरों में गति और सम्वेदना चली जाए) से पीड़ित लोगों की मदद कर सके. 

वे बताते हैं, “ऐसे बहुत से लोग हैं जिनका उनके हाथों या पैरों पर नियन्त्रण नहीं है, और इसलिए वे व्हीलचेयर को रिमोट या जॉयस्टिक से नियन्त्रित नहीं कर सकते हैं."

"इसलिये, इस कुर्सी को बनाने के पीछे मेरा यही विचार था कि मैं पक्षाघात से पीड़ित लोगों की मदद कर सकूँ, जिससे उनके लिये इलैक्ट्रिक व्हीलचेयर का उपयोग करना और बिना किसी की मदद के घूमना आसान हो जाए.”

एक लम्बा सफ़र

जब अब्देलरहमान केवल चार साल के थे, तब ऑक्सीजन की कमी के कारण वो सेरेब्रल पॉल्सी (मस्तिष्क पक्षाघात) का शिकार हो गए थे. डॉक्टरों ने उसके परिवार से कहा था कि वो अब फिर कभी नहीं चल पाएँगे.

“लेकिन मेरे परिवार ने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी. इसके तुरन्त बाद उन्होंने मेरी शारीरिक चिकित्सा शुरू कर दी, और 5 साल की उम्र में मेरी आठ सर्जरी हुईं और फिर फ़िजिकल थेरेपी के साथ एक लम्बी यात्रा शुरू हुई.” 

अपनी माँ के साथ चिकित्सा केन्द्र जाते समय, कई बार लोगों की निगाहों में दया के भाव देखकर वो परेशान हो जाते थे. स्थिति यह हो गई कि अपने अस्तित्व पर ही सवाल खड़े होने से वो बहुत उदास रहने लगे.

अब्देलरहमान का मानना है कि विकलांगों में ही दुनिया बदलने की ताकत होती है.
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अब्देलरहमान का मानना है कि विकलांगों में ही दुनिया बदलने की ताकत होती है.

फिर एक दिन अपनी माँ की एक बात ने उनकी जिन्दगी हमेशा के लिये बदल दी.

उनकी माँ ने कहा, " विकलांगता यहाँ (शरीर में) नहीं, यह यहाँ (मन में) होती है. जब आपका मस्तिष्क काम कर रहा होता है, तो आपके सपनों को कोई नहीं रोक सकता, आपके पास लोगों के विचारों को दया से गर्व में बदलने की ताक़त होती है.”

सफलता का पायदान

जब अब्देलरहमान हाई स्कूल में थे, तो उन्होंने अपने जैसे अन्य लोगों की मदद करने का फ़ैसला किया.

उन्होंने क्वाड्रिप्लैजिया के उन रोगियों की मदद करने की ठानी, जो अपने हाथ या पैर हिलाने में असमर्थ हैं, इसलिये जॉयस्टिक या हाथों द्वारा संचालित पारम्परिक विद्युत व्हीलचेयर का उपयोग नहीं कर सकते.

ओमरान ने क्वाड्रिप्लैजिया रोगियों के लिये 2015 में एक ऐसी बिजली-चालित व्हीलचेयर डिज़ाइन करने पर काम शुरू किया, जिसे सर घुमाकर या मस्तिष्क की तरंगों के ज़रिये नियन्त्रित किया जा सके.

वे गर्व से कहते हैं, "इस कुर्सी को विकसित करना बहुत मुश्किल था. मैं इतनी बार असफल हुआ कि मैंने गिनती ही बन्द कर दी. लेकिन अन्त में, मुझे सफलता हासिल हुई." 

आगे की राह

इसके बाद ओमरान ने कई नवाचार पुरस्कार जीते और प्रतिष्ठित अरब प्रौद्योगिकी संस्थान में दाख़िला भी हासिल किया. अरब प्रौद्योगिकी संस्थान में पढ़कर मानो उनका दृष्टिकोण ही बदल गया.

"मैंने महसूस किया कि अगर नवाचार एक उत्पाद का रूप नहीं लेता तो उन लोगों तक नहीं पहुँच पाता, जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है. तब मैंने अरब रैली में भाग लेकर, अरब जगत में दूसरा स्थान प्राप्त किया और अरब औद्योगीकरण संगठन ने मेरे उत्पाद को अपनाया.”

उनकी परियोजना पर अरब औद्योगीकरण संगठन ने धन लगाया और अब बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन की तैयारी की जा रही है. 

दुनिया में बदलाव

फिलहाल, ओमरान, अरब अकादमी से उत्कृष्टता के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं और उन्हें कैनेडा के ओटावा विश्वविद्यालय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानि आर्टिफिशियल इन्टैलिजेंस का अध्ययन करने के लिये छात्रवृत्ति मिली है.

वह अपने इस उत्पाद का विस्तार करना और इसे दुनिया भर में उन लोगों तक पहुँचाना चाहते हैं, जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है.

गर्व से मुस्कुराते हुए वो कहते हैं, "आखिरकार, विकलांगों में ही दुनिया को बदलने की क्षमता होती है."