कामकाजी सुरक्षा व स्वास्थ्य के लिये, सामाजिक सम्वाद की अहमियत रेखांकित

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी ने दर्शाया है कि नियोक्ताओं (employers), कर्मचारियों और सरकारों के बीच कारगर रचनात्मक सहयोग, उन कामकाजी सुरक्षा व स्वास्थ्य उपायों को लागू करने का सर्वोत्तम तरीक़ा है, जिनसे मौजूदा व भावी संकटों में ज़िन्दगियों की रक्षा की जा सकती है.
हर वर्ष, क़रीब 30 लाख कामगारों की कामकाज सम्बन्धी दुर्घटनाओं और बीमारियों के कारण मौत हो जाती है, और लाखों-करोड़ों लोग चोटिल होते हैं.
Everyone has the right to return home from work safe.Sadly, this is not the case for 3 million workers who die each year due to occupational accidents & diseases.On #SafeDay, we're calling governments, employers & workers to act together to prevent such human tragedies. pic.twitter.com/4SBvckwu2u
ilo
यूएन श्रम एजेंसी ने गुरूवार, 28 अप्रैल को, ‘कार्यस्थल पर सुरक्षा व स्वास्थ्य के लिये विश्व दिवस’ के अवसर पर एक रिपोर्ट जारी की है, जो बताती है कि वैश्विक महामारी से सबक लेकर, लाखों मौतों की रोकथाम में मदद मिल सकती है.
यूएन एजेंसी के महानिदेशक गाय राइडर ने कहा, “ऐसे समय जब देशों को कोविड-19 के प्रभावों और विषमतापूर्ण पुनर्बहाली से जूझना पड़ रहा है, कामकाजी सुरक्षा व स्वास्थ्य, राष्ट्रीय जवाबी उपायों के अग्रिम मोर्चे पर है.”
महानिदेशक राइडर ने कहा कि इस संकट से, राष्ट्रीय और कार्यस्थल स्तर पर, सुरक्षा व स्वास्थ्य को मज़बूती प्रदान करने में सामाजिक सम्वाद की अहमियत पर जो सबक़ लिये गए हैं, उन्हें अन्य सन्दर्भों में भी लागू किये जाने की ज़रूरत है.
“इससे हर साल होने वाली कामकाज सम्बन्धी मौतों व बीमारियों के अस्वीकार्य स्तर में कमी लाने में मदद मिलेगी.”
‘Enhancing social dialogue towards a culture of safety and health’ नामक यह रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक महामारी के दौरान, जिन सरकारों ने नियोक्ता संगठनों व कामगार संगठनों की सक्रिय भागीदारी को प्राथमिकता दी, वे कामकाजी सुरक्षा व स्वास्थ्य के लिये आपात क़ानून, नीतियाँ व हस्तक्षेप विकसित व लागू करने में सफल रहे.
नियोक्ताओं व कामगारों द्वारा इन उपायों को स्वीकार किये जाने और उन्हें प्रभावी ढँग से लागू किये जाने के लिये समर्थन देने में, रचनात्मक सहयोग बेहद महत्वपूर्ण रहा है.
इसके परिणामस्वरूप, अनेक देशों ने कार्यस्थल पर कोविड-19 संक्रमण मामलों की रोकथाम व निपटने के तौर-तरीक़ों से लेकर, कार्यालय से दूर रहकर कार्य करने (teleworking) के सम्बन्ध में क़ानूनी आवश्यताओं को अपनाया.
रिपोरट में सिंगापुर जैसे देशों का उदाहरण दिया गया है, जहाँ साझीदारों के साथ परामर्श व चर्चा के बाद टीकाकरण सम्बन्धी नियमों में बदलाव लाया गया.
दक्षिण अफ़्रीका में, त्रिपक्षीय चर्चा के ज़रिये कार्यस्थलों पर कोरोनावायरस के फैलाव पर केंद्रित उपायों में संशोधन किया गया.
कुछ देशों में, सरकारों, नियोक्ताओं और कामगारों के बीच राष्ट्रीय स्तर पर सम्वाद के बाद, क्षेत्रीय व सैक्टर स्तर पर परामर्श प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई, ताकि ऐसी नीतियों को विशिष्ट सन्दर्भ में अपनाया जा सके.
उदाहरणस्वरूप, फ़िनलैण्ड में व्यापार संघ और नियोक्ता संगठनों ने सरकारों के साथ मिलकर पर्यटन और रेस्तरां सैक्टर के लिये उपाय विकसित किये.
इटली में, सम्वाद के ज़रिये बैंकिंग सैक्टर में टैलीवर्किंग पर विस्तृत नियम तैयार किये गए, जिसमें निजता के अधिकार और काम ख़त्म करने के बाद सम्पर्क में ना रहने (disconnect) के अधिकार का ख़याल रखा गया.
बताया गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर त्रिपक्षीय निकायों ने कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में अहम भूमिका निभाई है. इन संस्थाओं में सरकारी प्रतिनिधियों, जैसेकि श्रम मंत्रालय या अन्य प्रासंगिक मंत्रालयों के प्रतिनिधि के अलावा, नियोक्ताओं और कामगार संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल थे.
सम्वाद के दौरान तालाबन्दी व पाबन्दी उपायों को निर्धारित किये जाने, काम पर वापिस लौटने की रणनीतियाँ तैयार करने और संक्रमण जोखिम को कम करने के लिये अन्य दिशानिर्देशों पर काम किया गया.