सीरिया में अब भी इस दौर का महानतम संकट जारी, ध्यान ना हटाने की पुकार

सीरिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत गेयर पैडरसन ने कहा है कि देश में जारी युद्ध, अलबत्ता हाल के समय में सुर्ख़ियाँ नहीं बन रहा है, मगर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को संघर्ष का एक व्यापक राजनैतिक समाधान हासिल करने पर ध्यान केन्द्रित करते रहना होगा.
विशेष दूत ने न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में मंगलवार को सुरक्षा परिषद की बैठक में, सीरिया के ताज़ा हालात की जानकारी देते हुए ये पुकार लगाई है.
गियर पैडरसन ने याद करते हुए बताया कि सीरिया “अभी एक लगातार जारी युद्ध स्थिति में है, और युद्ध अभी ठण्डा नहीं पड़ा है”, उन्होंने युद्ध के परिमाणस्वरूप सामने आने वाले कुछ ख़तरे भी गिनाए जिनमें हवाई हमलों में बढ़ोत्तरी, पूर्वोत्तर में सघन होती झड़पें, अन्तरराष्ट्रीय तत्वों के दरम्यान या उनके शामिल रहने वाली घटनाएँ और आतंकवाद की घटनाएँ शामिल हैं.
विशेष दूत ने जिनीवा से सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा, “आज मेरा सन्देश बिल्कुल प्रत्यक्ष है: सीरिया पर ध्यान केन्द्रित करें.”
“धरातल पर मौजूदा रणनैतिक गतिरोध, और सुर्ख़ियों से सीरिया के ग़ायब रहने की स्थिति से, कोई भी ये सोचने के लिये गुमराह ना हों कि इस युद्ध को कम ध्यान या कम संसाधनों की ज़रूरत है, या फिर किसी राजनैतिक समाधान की ज़रूरत नहीं है.”
यूक्रेनी लोगों से ज़्यादा सीरियाई लोग विस्थापित
उन्होंने कहा कि सीरिया भी मौजूदा समय का महानतम मानवीय संकट बना हुआ है, और 11 वर्ष पहले शुरू हुए युद्ध से लेकर अब सर्वाधिक उच्च स्तर की तकलीफ़ें हैं.
विशेष दूत ने कहा, “निसन्देह, यूक्रेन में युद्ध के कारण विस्थापन बहुत त्रासदीपूर्ण है, मगर सीरिया अब भी दुनिया में सबसे ज़्यादा विस्थापन वाला स्थान बना हुआ है, जहाँ 68 लाख लोग शरणार्थी बने हैं और 62 लाख लोग देश के भीतर ही विस्थापित हैं, जोकि युद्ध शुरू होने से पहले के समय की आधी आबादी के बराबर है. एक पूरी पीढ़ी विस्थापन में पैदा हुई और पली-बढ़ी है.”
गियर पैडरसन ने सुरक्षा परिषद को, सीरियाई संवैधानिक कमेटी के कामकाज के बारे में भी ताज़ा जानकारी मुहैया कराई, जिसके प्रयासों से युद्ध का एक शान्तिपूर्ण समाधान और भविष्य के राजनैतिक सुधारों में योगदान मिलना चाहिये.
सीरियाई संवैधानिक कमेटी सरकार, विपक्ष और सिविल सोसायटी के समान प्रतिनिधित्व वाले सदस्यों से मिलकर बनी है.
इस कमेटी का नवीनतम सत्र मार्च में जिनीवा में हुआ था.
यूएन दूत ने मानवीय सहायता मोर्चे पर सीमा पार और तमाम तरफ़ से मदद की पुकार लगाते हुए, लाखों ऐसे सीरियाई लोगों की तकलीफ़ों पर ध्यान देने की ज़रूरत को भी रेखांकित किया जिन्हें हिरासत में रखा गया है, जिनका अपहरण हुआ है और जो लापता हैं.
संयुक्त राष्ट्र का मानवीय राहत मामलों की उप प्रमुख जॉयस म्सूया ने भी सुरक्षा परिषद को सम्बोधित किया और उन्होंने आगाह किया कि “सीरिया एक अन्य भुला दिया गया संकट बनने के कगार पर है” जबकि वहाँ हर महीने लाखों लोग जीवित रहने के लिये जद्दोजेहद कर रहे हैं.
आर्थिक संकट बिना रुके जारी है, जबकि खाद्य पदार्थों और ईंधन की क़ीमतें आसमान छू रही हैं जिनसे जल आपूर्ति और स्वच्छता व अन्य बुनियादी सेवाओं उपलब्ध कराने पर प्रभाव पड़ रहा है.
सीरियाई लोगों के सामने एक स्याह भविष्य नज़र आ रहा है, तो दूसरी तरफ़ मानवीय सहायताकर्मी भी संसाधनों की क़िल्लत से दो-चार हैं.
मानवीय राहत मामलों की उप प्रमुख जॉयस म्सूया का ये भी कहना था, “हमारे पास ज़रूरतों को पूरा करने के लिये धन नहीं है. ऐसे लोगों की संख्या बहुत बड़ी है जिन्हें हम बिल्कुल बुनियादी सहायता भी नहीं मुहैया करा पा रहे हैं."
"ये स्पष्ट है, हम अपना सहायता कार्यक्रम सामान्य रूप से जारी नहीं रख सकते हैं. हमें आगे के लिये, एक ज़्यादा टिकाऊ रास्ता तलाश करने में, ज़रूरतमन्द सीरियाई लोगों की मदद करनी ही होगी.”
हाल के महीनों में सीमा-पार से क़ाफ़िलों के ज़रिये सहायता, सीरिया के पश्चिमोत्तर इलाक़ों में पहुँचाई गई है, जहाँ 40 लाख से भी ज़्यादा लोगों को मदद की ज़रूरत है. और ज़्यादा सहायता मई में पहुँचने की उम्मीद है.
जॉयस म्सूया ने सहायता उपलब्ध कराने में हुई इस प्रगति की सराहना करते हुए, ये भी ज़ोर दिया कि बेतहाशा ज़रूरतों को देखते हुए, इस सहायता का स्तर कम है.