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शान्ति प्रयासों के तहत, रूस व यूक्रेन के नेताओं से मुलाक़ात का अनुरोध

यूक्रेन के दक्षिण-पूर्वी शहर मारियुपोल में बमबारी से भीषण क्षति हुई है.
© UNICEF/Evegeniy Maloletka
यूक्रेन के दक्षिण-पूर्वी शहर मारियुपोल में बमबारी से भीषण क्षति हुई है.

शान्ति प्रयासों के तहत, रूस व यूक्रेन के नेताओं से मुलाक़ात का अनुरोध

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यूक्रेन में युद्ध का अन्त करने के इरादे से, रूस और यूक्रेन के नेताओं को अलग-अलग पत्र भेजकर उनसे मुलाक़ात का आग्रह किया है, ताकि शान्ति प्रयास आगे बढ़ाए जा सकें. यूएन प्रमुख ने इन देशों की राजधानियों में बातचीत का प्रस्ताव रखा है.

यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने न्यूयॉर्क में बुधवार को पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि महासचिव गुटेरेश ने रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से मॉस्को में, और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की से कीयेफ़ में मुलाक़ात करने की पेशकश की है.  

बताया गया है कि ये दोनों पत्र न्यूयॉर्क में इन देशों के स्थाई मिशन को सौंप दिये गए हैं. 

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यूएन प्रवक्ता के अनुसार, “महासचिव ने कहा कि एक बड़े ख़तरे और उसके नतीजे के इस दौर में, वो यूक्रेन में शान्ति लाने के लिये तात्कालिक क़दम उठाए जाने और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर व अन्तरराष्ट्रीय क़ानून पर आधारित बहुपक्षवाद के भविष्य पर चर्चा करना चाहेंगे.”

यूएन प्रमुख ने कहा कि यूक्रेन और रूसी महासंघ, संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्य हैं और संगठन के लिये हमेशा से मज़बूत समर्थक रहे हैं.

रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों के लिये इस अनुरोध से ठीक एक दिन पहले, यूएन प्रमुख ने इस सप्ताहान्त ऑर्थोडॉक्स ईस्टर से पहले मानवीय आधार पर युद्ध में विराम की पुकार लगाई थी. 

यूक्रेन के लिये संकट समन्वयक अमीन अवाद ने गहराते मानवीय संकट और देश के पूर्वी इलाक़े में रूसी सैन्य बलों की गहन होती कार्रवाई के बीच महासचिव गुटेरेश की इस अपील को रेखांकित किया है.

चार-दिवसीय विराम की अपील

संकट समन्वयक अमीन अवाद ने कहा कि चार-दिवसीय ठहराव के ज़रिये, हिंसा प्रभावित इलाक़ों को छोड़ कर जाना चाह रहे लोगों के लिये, वहाँ से सुरक्षित बाहर निकल पाना सम्भव होगा.

साथ ही, मारियुपोल, ख़ेरसॉन, दोनेत्स्क और लुहान्स्क में हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित इलाक़ों में मानवीय राहत पहुँचाई जा सकेगी. 

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि इस सप्ताह तीन अति पवित्र धार्मिक पर्व एक साथ हो रहे हैं – ईसाइयों के लिये ऑर्थोडॉक्स ईस्टर, मुसलमानों के लिये रमदान का पवित्र महीना और यहूदियों के लिये Passover, जोकि दासता से मुक्ति पाने की स्मृति में मनाय जाता है. 

महासचिव ने कहा कि यह समय आपस में मिलने वाले हितों पर ध्यान केन्द्रित करने और मतभेदों को दूर करने का है.

24 फ़रवरी को रूसी सैन्य बलों के आक्रमण के बाद से यूक्रेन में युद्ध जारी है और हताहतों की संख्या लगातार बढ़ रहा है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार, बुधवार तक देश भर में पाँच हज़ार 121 लोग हताहत हुए हैं – दो हज़ार 224 लोगों की मौत हुई है

अमीन अवाद ने कहा कि अस्पतालों, स्कूलों, और शरणगाहों पर हुए हमलों में लोगों की मौत होना और उन्हें सदमा पहुँचना स्तब्धकारी है. देश भर में नागरिक प्रतिष्ठानों व बुनियादी ढाँचे की भारी बर्बादी हुई है. 

जल और बिजली आपूर्ति का अभाव

यूक्रेन में हिंसक टकराव के कारण हाल के वर्षों में सबसे बड़े पैमाने पर और सबसे तेज़ी से विस्थापन हुआ है. 

अब तक क़रीब एक करोड़ 20 लाख अपने घर छोड़कर जाने के लिये मजबूर हुए हैं और 50 लाख से अधिक लोगों ने देश की सीमा पार करके पड़ोसी व अन्य देशों में शरण ली है.   

यूक्रेन के कियेफ़ क्षेत्र में इरपिन से एक परिवार का विस्थापन
© UNICEF/Julia Kochetova
यूक्रेन के कियेफ़ क्षेत्र में इरपिन से एक परिवार का विस्थापन

हिंसा प्रभावित इलाक़ों में रह रहे बड़ी संख्या में लोगों के पास जल या बिजली की आपूर्ति नहीं है, जबकि एक करोड़ 20 लाख लोग आर्थिक बदहाली और आवश्यक सेवाओं की क़िल्लत से परेशान हैं. 

मारियुपोल समेत पूर्वी यूक्रेन में क़रीब 14 लाख लोगों को बिना जल सुलभता के गुज़ारा करना पड़ रहा है, और लाखों अन्य लोगों को सीमित मात्रा में ही आपूर्ति हो पा रही है.

इसके अतिरिक्त, युद्ध शुरू होने के बाद से स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों पर 136 हमलों की पुष्टि हुई है. देश में बढ़ती असुरक्षा और विस्फोटक सामग्री के फैलाव के कारण पूर्वी क्षेत्र के अनेक इलाक़ों में पहुँचना कठिन है.

अमीन अवाद ने सचेत किया कि आम नागरिकों पर भीषण असर हुआ है और अब इसका अन्त किया जाना होगा. 

उन्होंने चिन्ता जताई है कि इस मूर्खतापूर्ण युद्ध का तात्कालिक प्रभाव यूक्रेन में देखने को मिल रहा है, मगर इसके वैश्विक दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं.

इससे दुनिया भर में एक अरब 70 करोड़ लोगों के लिये निर्धनता, भूख और अन्य चुनौतियाँ पैदा हो सकती हैं.