यूक्रेन: सुरक्षा परिषद से ‘मतभेद दरकिनार’ करते हुए, ‘मूर्खतापूर्ण युद्ध’ रुकवाने की पुकार
संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी मामलों की उप उच्चायुक्त कैली टी क्लेमेण्ट्स ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद से अपने मतभेद दरकिनार करते हुए, यक्रेन में “भयावह और मूर्खतापूर्ण युद्ध” को रोकने के रास्ते तलाश करने का आग्रह किया है. यह युद्ध अब आठवें सप्ताह में दाख़िल हो चुका है, इस दौरान लगभग 50 लाख लोग पहले ही यूक्रेन छोड़कर बाहर जा चुके हैं और देश के भीतर भी लगभग 70 लाख लोग विस्थापित हुए हैं.
यूएन शरणार्थी एजेंसी की उप उच्चायुक्त कैली क्लेमेण्ट्स ने हंगरी से सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए ताज़ा जानकारी दी कि पड़ोसी देश, यूक्रेनी शरणार्थियों को अपने राष्ट्रीय शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल कर रहे हैं. हंगरी में भी यूक्रेन के लगभग पाँच लाख लोगों ने शरण ली है.
"While the sheer scale and speed of displacement is immense, we must not lose sight of what these figures mean."Deputy High Commissioner for Refugees @KellyTClements briefing the UN Security Council on Ukraine from Hungary, spelling out the impact of the war on ordinary people. pic.twitter.com/U9irg7hNtx
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“इस तरह का समावेशी नज़रिया शरणार्थियों को निर्वासन के दौरान अपनी ज़िन्दगियाँ जारी रखने में मदद करने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है, और इसे और भी ज़्यादा अन्तरराष्ट्रीय मदद की आवश्यकता है.”
संयुक्त राष्ट्र का ये भी अनुमान है कि देश के भीतर ही लगभग एक करोड़ 30 लाख अन्य लोग भी युद्ध से बुरी तरह से प्रभावित इलाक़ों में मौजूद हैं जो वहाँ से निकलने में सक्षम नहीं हैं और उन तक सुरक्षित तरीक़े से सहायता पहुँचाना भी कठिन है.
कम्बलों और नक़दी से आगे की बात
उप उच्चायुक्त का कहना था, “कम्बलों का कोई गट्ठर, नक़दी की कोई रक़म, दवाओं का कोई भण्डार, मृत्यु और विनाश को नहीं रोक सकेगा. जहाँ एक तरफ़ हम सहायता उपलब्ध कराना जारी रखेंगे, हम चाहते हैं कि सुरक्षा परिषद अपना काम करे.”
कैली क्लेमेण्ट्स ने बताया कि उन्होंने हाल ही में चैक गणराज्य और ऑस्ट्रिया की यात्रा की है जहाँ उन्होंने उच्च दर्जे की हमदर्दी व एकजुटता देखी. वो स्लोवाकिया की यात्रा भी करने वाली हैं.
इन दिनों में ही यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैण्डी ने भी यूक्रेन की यात्रा की है और संचालन मामलों के लिये सहायक उच्चायुक्त रऊफ़ मज़ोऊ भी इस समय माल्दोवा और रोमानिया की यात्रा पर हैं.
प्रेरणादायक कार्रवाइयाँ
संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ अधिकारी कैली क्लेमेण्ट्स ने इनसानियत से भरे कारनामों का भी ज़िक्र किया जो हर तरफ़ नज़र आए हैं, इनमें मकानों, खिड़कियों और खम्भों पर सहायता के सन्देश चिपकाना, और निजी तौर पर लोगों द्वारा यथासम्भव मदद मुहैया कराना शामिल है.
साथ ही, देशों ने अपनी सीमाएँ खुली रखी हैं और सुरक्षा व सहायता के ज़रूरतमन्दों को संरक्षा मुहैया कराई है.
उन्होंने कहा, “हम सभी ज़रूरतमन्द लोगों के लिये इसी तरह, किसी भेदभाव के बिना, इसे जारी रखने का आहवान करते हैं.”
भीतर फँसे

कैली क्लेमेण्ट्स ने कहा कि यूक्रेन के भीतर हुए विस्थापित लोगों को जीवनरक्षक मदद करना जारी रखा जाएगा, विशेष रूप में केन्द्रीय और पूर्वी इलाक़ों में, जहाँ एक क्रूर मानवीय संकट नज़र आ रहा है.
इसके लिये केवल संसाधनों की ही ज़रूरत काफ़ी नहीं है, बल्कि ज़रूरतमन्द लोगों तक सुरक्षित और निर्बाध पहुँच भी आवश्यक है.
तस्करी का बढ़ा जोखिम
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के महानिदेशक एंतोनियो वितॉरिनो ने आगाह किया कि शहरों पर और ज़्यादा हमलों के कारण, ज़्यादा संख्या में लोग हताहत होंगे और देश के भीतर और बाहर, विस्थापन भी ज़्यादा होगा.
उन्होंने संघर्ष से सम्बद्ध तमाम पक्षों से, असैन्य लोगों, उनके घरों और सिविल ढाँचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनी ज़िम्मेदारी निभाने का आहवान किया.
एंतोनियो वितॉरिनो ने देश के भीतर ही विस्थापित लोगों, शरणार्थियों और अन्य देशों के नागरिकों के सामने दरपेश विभिन्न तरह के ख़तरों का हवाला देते हुए आगाह किया कि व्यापक विस्थापन की स्थितियों में, आबादी का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा, किसी ना किसी तरह के नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभावों का सामना करता है.
उन्होंने ऐसी महिलाओं और बच्चों के बारे में विशेष चिन्ता व्यक्त की, जिन्हें या तो अपने स्थानों से भागना पड़ा है या वो किसी भी तरह से विस्थापित हुए हैं.
ये क्षेत्र मानव तस्करी के लिये पहले से ही जाना जाता रहा है और अतीत के संकटों ने दिखाया है कि बड़े पैमाने पर विस्थापन, परिवारों का विलगाव और सिविल सुरक्षा व सामुदायिक नैटवर्क्स में व्यवधान, लोगों को हिंसा, शोषण और दुराचार के जोखिम में धकेल देते हैं.