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अफ़ग़ानिस्तान: काबुल में दो स्कूलों में विस्फोट, अनेक हताहत, हमलों की तीखी निन्दा

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का एक दृश्य.
Photo UNAMA/Fardin Waezi
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का एक दृश्य.

अफ़ग़ानिस्तान: काबुल में दो स्कूलों में विस्फोट, अनेक हताहत, हमलों की तीखी निन्दा

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में दो शैक्षिक संस्थानों में मंगलवार को हुए घातक विस्फोटों की निन्दा की है जिनमें कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हुए हैं.

ये विस्फोट केवल लड़कों के एक शैक्षिक संस्थान अब्दुल रहीम शाहिद हाई स्कूल और पास के ही मुमताज़ शैक्षिक केन्द्र में हुए. ये दोनों शैक्षिक संस्थान दश्ते बरची इलाक़े में स्थित हैं जोकि काबुल के पश्चिमी में एक शिया मुस्लिम बहुल बस्ती है.

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अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय का कहना है कि अब्दुल रहीम शाहिद हाई स्कूल पर कथित रूप में उस समय हमला किया गया जब छात्र अपनी सुबह की कक्षाओं के बाद बाहर निकल रहे थे. उसके कुछ ही देर बाद मुमताज़ शैक्षिक केन्द्र में हमला हुआ.

स्कूलों के ख़िलाफ़ हिंसा अस्वीकार्य

अफ़ग़ानिस्तान में यूएन प्रमुख के विशेष उप प्रतिनिधि रमीज़ ऐलकबरोफ़ ने एक वक्तव्य में, इन भीषण हमलों की निन्दा की है.

उन्होंने कहा है, “स्कूलों में और उनके आसपास हिंसा कभी भी स्वीकार्य नहीं हो सकती. चालीस साल के युद्ध की वजह से, भारी तकलीफ़ों में घिरे देश के लोगों के लिये, स्कूल तो सुरक्षित ठिकाने होने चाहिये, और ऐसे स्थान जहाँ बच्चे शिक्षा हासिल कर सकें और ख़ुशी के साथ आगे बढ़ सकें.”

प्रतिनिधि ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि आम नागरिकों और सिविलियन ढाँचों पर हमले, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत सख़्ती से निषिद्ध हैं, और इन ठिकानों में स्कूल भी आते हैं.

न्याय की पुकार

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के सहायता मिशन (UNAMA) ने ट्विटर सन्देश में इन भयावह हमलों की कड़े शब्दों में भर्त्सना की है.

मिशन ने इस सन्देश में कहा है कि स्कूलों पर इन हमलों के ज़रिये बच्चों को निशाना बनाने वाले तत्वों को, न्याय के कटघरे में अवश्य लाया जाना चाहिये.

सन्देश में ये भी कहा गया है कि मिशन प्रमुख डेबोराह लियोन्स ने, हताहतों के परिजनों के साथ गहरी सम्वेदना व्यक्त की है और घायल हुए लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना भी की है.

विविधता पर जोखिम

संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी मामलों के उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैण्डी ने भी हताहतों के परिवारों के साथ हमदर्दी जताई है.

उन्होंने एक ट्विटर सन्देश में कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की नस्लीय, धार्मिक और भाषाई विविधता के लिये गम्भीर जोखिम उत्पन्न हो गया है. इसका सम्मान किया जाना होगा और इसकी हिफ़ाज़त भी सुनिश्चित करनी होगी.

यूएन बाल एजेंसी – यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशिका कैथरीन रसैल ने भी एक वक्तव्य में कहा है, “मैं अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल के पश्चिमी हिस्से में बच्चों को निशाना बनाकर किये गए इन क्रूर हमलों पर भयाकुल हूँ.”

उन्होंने कहा है कि हताहतों की संख्या के बारे में पुष्टि की जा रही है, मगर मृतक संख्या बढ़ने की सम्भावना है.

“यूनीसेफ़ की तरफ़ से मैं, उन परिवारों के साथ गहरी सम्वेदना प्रकट करती हूँ जिनके प्रिय बच्चों की जानें, इन हमलों में चली गई हैं.”

उन्होंने, इन हमलों के घायलों के जल्द और पूरी तरह से स्वस्थ होने की कामना भी की.

कैथरीन रसैल के वक्तव्य में कहा गया है कि बच्चों और शैक्षिक संस्थाओं पर हमले, मानवाधिकारों का गम्भीर उल्लंघन हैं. स्कूल केवल शिक्षा हासिल करने से कहीं ज़्यादा बड़े स्थल हैं; स्कूल तो संरक्षा और शान्ति के स्वर्ग होने चाहिये.

“यूनीसेफ़ इस हमले की निन्दा करता है और तमाम पक्षों से, हर समय बच्चों की हिफ़ाज़त करने की, मज़बूत से मज़बूत शब्दों में अपील करता है.”