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यूनेस्को: स्मारक व स्थल दिवस पर जलवायु कार्रवाई की महत्ता रेखांकित

अमेरिका में कोलोरैडो नदी द्वारा बनाई गई अदभुत प्राकृतिक कृतियाँ. इन्हें यूनेस्को ने 1979 में प्रतिष्ठित विश्व विरासत सूची में शामिल किया था जिनमें पिछले दो अरब वर्षों का भोगोलिक इतिहास समाया हुआ है.
UN News/Elizabeth Scaffidi
अमेरिका में कोलोरैडो नदी द्वारा बनाई गई अदभुत प्राकृतिक कृतियाँ. इन्हें यूनेस्को ने 1979 में प्रतिष्ठित विश्व विरासत सूची में शामिल किया था जिनमें पिछले दो अरब वर्षों का भोगोलिक इतिहास समाया हुआ है.

यूनेस्को: स्मारक व स्थल दिवस पर जलवायु कार्रवाई की महत्ता रेखांकित

संस्कृति और शिक्षा

संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन – यूनेस्को ने सोमवार को अन्तरराष्ट्रीय स्मारक और विरासत स्थल दिवस के अवसर पर आगाह किया है कि इस समय दुनिया भर में हर तीन में से एक प्राकृतिक स्थल और छह में से एक सांस्कृतिक स्थल, जलवायु परिवर्तन के जोखिम का सामना कर रहे हैं.

ये स्थल, आकर्षक पर्यटन और अतीत के बारे में जानकारी हासिल करने के साधन होने के साथ-साथ, जलवायु परिवर्तन की वेधशालाएँ भी होते हैं जो जलवायु चलन पर सूचना एकत्र और साझा करते हैं.

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यूनेस्को का कहना है कि जलवायु परिवर्तन चूँकि हमारे दौर का एक अति महत्वपूर्ण मुद्दा है और विश्व विरासत स्मारकों व स्थलों के लिये महानतम सांस्कृतिक व प्राकृतिक जोखिमों से एक भी है. इसलिये इस वर्ष की थीम है - विरासत और जलवायु.

परेशान करने वाले चलन

हाल के महीनों में दुनिया ने सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत स्थलों को जंगली आगों, बाढ़ों, तूफ़ान और समुद्री तापमान वृद्धि से उत्पन्न जोखिम का सामना करते देखा है.

यूनेस्को की ताज़ा रिपोर्ट World Heritage forests: Carbon sinks under pressure, में बताया गया है कि दुनिया के विरासत जंगलों का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा, जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी घटनाओं से जोखिम का सामना कर रहा है.

यूनेस्को के एक ताज़ा अध्ययन Marine World Heritage: Custodians of the globe’s blue carbon assets study के अनुसार, समुद्री स्थल भी समान रूप से दबाव में हैं, और इन अति महत्वपूर्ण कार्बन भण्डारों का दो तिहाई हिस्सा, जोकि वैश्विक नील कार्बन सम्पदाओं का 15 प्रतिशत हिस्सा मुहैया कराता है, मौजूदा दौर में विलुप्तिकरण के उच्च जोखिम का सामना कर रहा है.

और अगर ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो प्राकृतिक विरासत स्थलों में मौजूद प्रवाल, इस सदी के अन्त तक ग़ायब हो सकते हैं.

अखण्डनीय प्रभावों का मुक़ाबला

यूनेस्को, इन विश्व विरासत स्मारकों और स्थलों पर अखण्डनीय प्रभावों से निपटने के लिये, देशों की क्षमताएँ बढ़ाने में मदद करने के लिये काम कर रहा है ताकि वो जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी प्रभावों और आपदाओं का सामना कर सकें और उनसे उबर भी सकें.

यूनेस्को इसके साथ ही, जलवायु कार्रवाई के लिये संस्कृति की सम्भावनाएँ तलाश करने के लिये भी प्रतिबद्ध है. ये एक ऐसा क्षेत्र है जिसकी सम्भावनाओं के बारे में अभी कुछ ख़ास प्रयास नहीं किये गए हैं.

यूएन सांस्कृतिक एजेंसी का कहना है कि यूनेस्को की विश्व विरासत पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की वृहद निगरानी की ज़रूरत को पूरा करने के लिये, साझीदारों और सदस्य देशों के साथ मज़बूत सहयोग बहुत अहम है.

साथ ही, सटीक व प्रासंगिक डेटा के साथ-साथ, वैश्विक मंचों का लाभ उठाना भी अति महत्वपूर्ण है, जिनमें नगरीय विरासत जलवायु वेधशाला भी शामिल हैं.

कल के लिये योजना

ऐसे समय में जबकि दुनिया 1972 विश्व विरासत कन्वेन्शन की 50वीं वर्षगाँठ मना रहा है तो विश्व विरासत और जलवायु परिवर्तन पर ज्ञान वृद्धि से, अगली आधी सदी के लिये तैयार किये जाने वाले रोडमैप के लिये जानकारी हासिल हो सकती है.

यूनेस्को ने इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर, विश्व विरासत स्मारकों और स्थलों को जलवायु कार्रवाई और रणनीतियों में, पूरी तरह से शामिल करने की प्रतिबद्धता दोहराई है.

ये दिवस 40 वर्ष पहले 1982 में, यूनेस्को के आम सम्मेलन के ज़रिये शुरू किया गया था, और ये हर वर्ष 18 अप्रैल को मनाया जाता है.