पूर्वी अफ़्रीका में लाखों शरणार्थियों के लिये निराशाजनक भविष्य पर चिन्ता
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने आगाह किया है कि पूर्वी अफ़्रीका में भूख की मार झेल रहे लाखों विस्थापित परिवारों के लिये खाद्य असुरक्षा हालात और अधिक विकट होने की आशंका है. दुनिया भर में हिंसक टकरावों, जलवायु व्यवधानों और कोविड-19 के कारण सीमित संसाधनों पर भार बढ़ रहा है जबकि ईंधन व भोजन की क़ीमतों में उछाल से चुनौती और अधिक गहरी हो रही है.
यूएन एजेंसियों का कहना है कि विश्व भर में, बाढ़ और सूखा पड़ने की घटनाओं की आवृत्ति और गहनता में वृद्धि हो रही है.
इससे इथियोपिया, केनया, सोमालिया, दक्षिण सूडान और सूडान पर गहरा असर हुआ है और खाद्य असुरक्षा की स्थिति बद से बदतर हो गई है.
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WFP_Africa
मौजूदा परिस्थितियों में राहत योजनाओं में प्राथमिकता के आधार पर ज़रूरतमन्दों को चिन्हित किये जाने के प्रयास किए गए हैं.
इस क्रम में, खाद्य सहायता सर्वाधिक निर्बलों तक ही पहुँचाई जाती है, मगर ज़रूरतमन्द शरणार्थियों की विशाल संख्या के कारण उपलब्ध संसाधनों और आवश्यकताओं के बीच की खाई बढ़ रही है.
पिछले एक दशक में पूर्वी अफ़्रीका में शरणार्थियों की संख्या तीन गुना बढ़ी है – वर्ष 2012 में यह आँकड़ा क़रीब 18 लाख था, जोकि अब 50 लाख के पास पहुँच गया है.
पिछले एक वर्ष में तीन लाख लोग शरणार्थी बने हैं, लेकिन शरणार्थी संख्या में वृद्धि के अनुरूप मानवीय राहत के लिये उपलब्ध संसाधनों में बढ़ोत्तरी नहीं हो पाई है.
पूर्वी अफ़्रीका के लिये WFP के क्षेत्रीय निदेशक माइकल डनफ़र्ड ने बताया कि, “दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता यह है कि पूर्वी अफ़्रीका को एक वर्ष से अभूतपूर्व मानवीय ज़रूरतों का सामना करना पड़ा है, जिसकी वजह जलवायु व्यवधान, वहाँ जारी हिंसक संघर्ष व अस्थिरता और भोजन व ईंधन की क़ीमतों में आया उछाल है.”
उन्होंने कहा कि यहाँ दिखाई देने वाली आवश्यकताओं में वृद्धि, दुनिया भर में मौजूदा हालात को ही परिलक्षित करती हैं और इसलिये उनका निवेदन है कि दुनिया को इस क्षेत्र से अपनी नज़रें नही फेर लेनी चाहिए.
विशेष रूप से उन सर्वाधिक निर्बल शरणार्थी समुदायों के लिये, जिनके पास आजीविका की सीमित सुलभता है और जिन्हें जीवित रहने के लिये विश्व खाद्य कार्यक्रम पर निर्भर रहना पड़ता है.
अनेकानेक चुनौतियाँ
खाद्य वस्तुओं और ईंधन क़ीमतों में आए तेज़ उछाल, हिंसक टकराव के कारण होने वाले विस्थापन के अलावा जलवायु संकट भी इस चुनौती को और गम्भीर बना रहा है.
इस वजह से, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) को बेहद कठिन निर्णय लेने के लिये मजबूर होना पड़ा है – किन व्यक्तियों तक खाद्य सहायता पहुँचाई जाए और किन्हें इस दायरे से बाहर रखा जाए.
बताया गया है कि फ़िलहाल 70 प्रतिशत से अधिक ज़रूरतमन्द शरणार्थियों को पूर्ण रूप से राशन नहीं मिल पा रहा है चूँकि सहायता धनराशि की कमी है.
पूर्व, हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका और ग्रेट लेक्स क्षेत्र के लिये यूएन शरणार्थी एजेंसी के क्षेत्रीय ब्यूरो निदेशक क्लेमेन्टाइन न्क्वेटा-सलामी ने कहा, “शरणार्थी और घरेलू विस्थापित खाद्य राशन में कटौती के केंद्र में हैं, जिससे अपने घर छोड़कर जाने वाले और अक्सर सहायता पर निर्भर रहने वाले लोगों के लिये पहले से ही हताश परिस्थितियाँ और जटिल हो रही हैं.”
उन्होंने बताया कि पहले से कहीं अधिक संख्या में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नाटेपन के ऊँचे स्तर और पूर्ण रूप से विकसित ना हो पाने का सामना करना पड़ रह है चूँकि उनमें समुचित विकास के लिये पोषक तत्वों की कमी है.
यूएन एजेंसी अधिकारी ने कहा कि परिवारों को यह नहीं पता होता कि उनका अगला आहार कहाँ से आएगा, और वे कर्ज़ ले रहे हैं, जो कुछ भी उनके पास है उसे बेच रहे हैं या फिर अपने बच्चों को काम पर भेज रहे हैं.
“घरेलू हिंसा का जोखिम बढ़ रहा है. लोगों को नुक़सान से बचाने और संरक्षण सम्बन्धी जोखिमों से बचाने के लिये भी ये ज़रूरी है कि उनकी खाद्य आवश्यकताओं को उपयुक्त ढँग से पूरा किया जाए.”
राहत ज़रूरतें
विश्व खाद्य कार्यक्रम के मुताबिक़, अप्रैल से सितम्बर 2022 तक पूर्वी अफ़्रीका में शरणार्थियों के लिये पूर्ण राशन सुनिश्चित करने के लिये 22 करोड़ 65 लाख डॉलर की रक़म की आवश्यकता होगी.
मौजूदा चुनौतियो के बावजूद वर्ष 2022 में राहत मिल पाने की सम्भावना कम ही है, चूँकि यूक्रेन में युद्ध के कारण बड़े पैमाने पर मानवीय ज़रूरतें बढ़ी हैं, खाद्य वस्तुओं की क़ीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं और अनाज की आपूर्ति पर भी असर होने की आशंका है.
यूएन एजेंसियों ने आगाह किया है कि शरणार्थी, उन आबादियों में हैं, जिन्हें सबसे पहले बढ़ती क़ीमतों की आँच महसूस होगी और यह ऐसे समय में हो रहा है जब ये समुदाय कोविड-19 महामारी के दो कठिन वर्षों से उबर रहे हैं.