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सीरिया: हज़ारों लापता लोगों के मुद्दे पर कार्रवाई की अहमियत पर ज़ोर

सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े में तल तामेर में विस्थापित लोग
© UNICEF/Delil Souleiman
सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े में तल तामेर में विस्थापित लोग

सीरिया: हज़ारों लापता लोगों के मुद्दे पर कार्रवाई की अहमियत पर ज़ोर

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने शुक्रवार को यूएन महासभा को बताया है कि सीरिया में 12 वें वर्ष में दाख़िल हो चुकी लड़ाई में, हज़ारों परिवार अपने लापता सम्बन्धियों की मौजूदगी और उनके भाग्य के बारे  “अन्धकार में अटके हुए हैं”. 

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने जिनीवा से वीडियो लिंक के ज़रिये बातचीत करते हुए कहा कि इस त्रासदी का दायरा और पैमाना भयावह है जिसमें लोग विभिन्न कारणों और हालात में लापता हो रहे हैं, जिनमें लड़ाई के दौरान, विस्थापन और बन्दी बनाए जाने पर गुमशुदगी शामिल हैं.

उन्होंने कहा, “अक्सर ये सभी मामले व्यापक दायरे वाले मानवाधिकार हनन और दुर्व्यवहार से सम्बन्धित हैं.”

“पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को बन्दीकरण के दौरान यौन हिंसा का सामना करना पड़ा है जिनमें 11 वर्ष तक की उम्र के लड़के भी हैं.”

परिवारों की तकलीफ़

मिशेल बाशेलेट ने राजदूतों से कहा कि पीड़ितों और भुक्तभोगियों के समूहों के साथ-साथ, सिविल सोसायटी की कड़ी मेहनत के बावजूद, इन लोगों के बारे में अभी कुछ भी मालूम नहीं हो पा रहा है.

कुछ लोगों को जबरन गुमशुदा किया गया, कुछ का अपहरण किया गया और कुछ को मनमाने तरीक़े से बन्दी बनाया गया.

उन्होंने इन लापता लोगों के परिवारों द्वारा अनुभव की जा रही तकलीफ़ों की भी बात की, जिन्हें भी पीड़ित समझा जाना चाहिये.

मिशेल बाशेलेट ने कहा, “ये तात्कालिक रूप से बहुत ज़रूरी है कि इन परिवारों को अपने प्रियजनों के पते-ठिकाने और उनके भाग्य के बारे में जानकारी दी जाए, और उन्हें इन प्रियजनों से मिलने व उनके साथ सम्पर्क करने की इजाज़त दी जाए.”

महिलाएँ ज़्यादा प्रभावित

सीरिया के पूर्वी ग़ूता इलाक़े में एक ध्वस्त इमारत. (फ़ाइल)
© UNICEF/Amer Almohibany
सीरिया के पूर्वी ग़ूता इलाक़े में एक ध्वस्त इमारत. (फ़ाइल)

महिला सम्बन्धियों और बच्चों पर, विशेष रूप से ज़्यादा भयावह असर पड़ता है. 

महिलाओं को अपने परिवारों के लिये रोज़ी-रोटी का इन्तेज़ाम करने के साथ-साथ अपने लापता प्रियजनों की तलाश भी करनी पड़ती है, जो अक्सर बहुत ही हतोत्साहित और भयभीत करने वाला तजुर्बा है.

मिशेल बाशेलेट ने कहा, “बहुत सी महिलाएँ बिल्कुल बुनियादी आजीविका का प्रबन्ध करने में भी असमर्थ हैं, उन्हें उनकी सम्पत्ति, सिविल दस्तावेज़ों, बैंक खातों; या फिर मौजूदा भेदभावपूर्ण क़ानूनों और परम्पराओं के कारण विरासत तक भी पहुँच हासिल नहीं है.”

बदला, जबरन वसूली और रिश्वतख़ोरी

उससे भी ज़्यादा, बहुत सी महिलाओं को अपने ख़ुद के बच्चों को अपने संरक्षण में लेने के लिये जद्दोजेहद करनी पड़ती है, जिसमें उन्हें अक्सर कोई सामाजिक सहायता नहीं मिलती और व्यापक समुदाय की कलंकित मानसिकता का भी सामना करना पड़ता है.

यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि परिवारों को अन्य तरह की बहुत सी बाधाओं का भी सामना करना पड़ता है जिनसे उनकी तकलीफ़ों में बढ़ोत्तरी ही होती है.

इनमें मामलों की रिपोर्ट करने पर बदले की कार्रवाई, जबरन वसूली और रिश्वतख़ोरी शामिल हैं, जबकि बन्दीकरण व जाँच की नक़ली और जाली रिपोर्ट्स का भीषण काला बाज़ार भी मौजूद है.

पीड़ितों को सहारा दें

संयुक्त राष्ट्र का मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय सीरिया में लापता लोगों के मुद्दे पर एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है और ये भी कोशिश कर रहा है कि किसी भी तरह के समाधानों में, पीड़ितों और उनके परिवारों की आवाज़ भी शामिल हों.

मिशेल बाशेलेट ने कहा, “इस मुद्दे के किसी भी तरह के समाधानों में परिवारों की राय का शामिल होना ज़रूरी है, और उनकी सक्रिय भागीदारी को भी पहचान मिलनी चाहिये.”

“वो ना केवल सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं बल्कि इस त्रासदी से प्रभावित उनके परिवारों और समुदायों की ज़रूरतों की निशानदेही करने के लिये, उनकी आवाज़ सुनी जानी बहुत अहम है, इसमें वित्तीय और मनो-सामाजिक सहायता भी शामिल है.”