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मनुष्य और ग्रह को स्वस्थ रखने के लिये तुरन्त कार्रवाई की ज़रूरत क्यों?

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2012 (फ़ाइल चित्र): अच्छा स्वास्थ्य आयु को लम्बा करने में सहायक होता है.
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विश्व स्वास्थ्य दिवस 2012 (फ़ाइल चित्र): अच्छा स्वास्थ्य आयु को लम्बा करने में सहायक होता है.

मनुष्य और ग्रह को स्वस्थ रखने के लिये तुरन्त कार्रवाई की ज़रूरत क्यों?

स्वास्थ्य

सात अप्रैल को मनाए जाने वाले इस वर्ष के विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम है - हमारा ग्रह, हमारा स्वास्थ्य. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशिका, डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह का कहना है कि कोविड-19 से सबक़ सीखकर, हमें एक स्वस्थ, निष्पक्ष और हरित दुनिया के निर्माण के लिये तुरन्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है.

कोविड-19 महामारी ने उस असमान और अस्थिर व्यवस्था को उजागर कर दिया है, जिसमें दक्षिण-पूर्व एशिया और दुनिया भर के लोग रहते हैं, काम करते हैं, उपभोग करते हैं और जीते हैं.

विश्व स्तर पर, 90 प्रतिशत से अधिक लोग अस्वस्थ हवा में साँस लेने के लिये मजबूर हैं, जिसके परिणामस्वरूप हर साल लगभग 70 लाख लोगों की मौत होती हैं, जिनमें से लगभग 24 लाख इस क्षेत्र से हैं. असुरक्षित, अस्वस्थ व अस्थिर खाद्य प्रणालियाँ, मुख्य रूप से ग़ैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के कारण, हर साल लाखों लोगों की अकाल मृत्यु का कारण बनती हैं, साथ ही, वे मानवता के सामने सबसे बड़े स्वास्थ्य संकट, जलवायु परिवर्तन व रोगाणुरोधी प्रतिरोध क्षमता के सबसे प्रमुख कारक हैं.

डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह, विश्व स्वास्थ्य संगठन में दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक.

2020 में विश्व स्तर पर लगभग 4 में से 1 व्यक्ति को घरों में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं था, और कम विकसित देशों में केवल 50 प्रतिशत स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के अन्तर्गत बुनियादी जल सेवाएँ मुहैया करवाई गईं थीं. ख़राब गुणवत्ता वाले पेयजल से गम्भीर जलजनित रोग हो सकते हैं और आर्सेनिक जैसे ज़हरीले रसायनों के सम्पर्क में आने का ख़तरा होता है. पानी, स्वच्छता और सफ़ाई (WASH) तक अपर्याप्त पहुँच, स्वास्थ्य देखभाल को कम प्रभावी बनाती है और महिलाओं व लड़कियों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का अनुमान है कि कुल मिलाकर, दुनिया भर में हर साल एक करोड़ 30 लाख से अधिक लोगों की मौतें परिहार्य पर्यावरणीय कारणों से होती हैं - यह एक ऐसा आँकड़ा जिसे न तो स्वीकार किया जा सकता है, न ही स्वीकार किया जाना चाहिये. 

हमारे पास परिवर्तनकारी, स्थाई बदलाव लाने हेतु सदी में एक बार मिलने वाला अवसर है. जबकि कोविड-19 संकट ने मौजूदा राजनैतिक, सामाजिक और वाणिज्यिक निर्णयों की असमान व अस्थिर प्रकृति को उजागर किया है. इससे यह भी स्पष्ट हुआ है कि यदि निर्णय लेना पारदर्शी, साक्ष्य-आधारित और समावेशी हो, तो लोग साहसिक व दूरगामी नीतियों का समर्थन करेंगे, जो उनके स्वास्थ्य, परिवार एवं आजीविकाओं की रक्षा करने में सक्षम हों. इससे यह भी स्पष्ट हुआ है कि वर्तमान व आने वाली पीढ़ियों के लिये स्वास्थ्य सुविधाओं तक समान पहुँच को प्राथमिकता देकर - लम्बी अवधि के निवेश, कल्याण बजट, सामाजिक सुरक्षा, क़ानूनी और वित्तीय रणनीतियों के माध्यम से - हम "कल्याणकारी समाज" का निर्माण कर सकते हैं जो मानव को उन्नत कर सके, और जो पारिस्थितिक सीमाओं को तोड़े बिना, स्वास्थ्य एवं विकास के हर व्यक्ति के अधिकार को पूरा कर सके.

पाँच प्राथमिकताएँ

हमें साथ मिलकर, पाँच प्राथमिकताओं पर काम करना चाहिये – जिनसे एक ऐसी दुनिया का निर्माण हो सके, जिसमें स्वच्छ हवा, पानी और भोजन सभी के लिये उपलब्ध हों, जहाँ अर्थव्यवस्थाएँ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देती हों, जहाँ शहर रहने योग्य हों, और जहाँ लोगों का अपने स्वास्थ्य और ग्रह के स्वास्थ्य पर नियन्त्रण हो.

सबसे पहले, मानव स्वास्थ्य के स्रोत - यानि प्रकृति की रक्षा और संरक्षण करें: ऐसी नीतियाँ बनाएँ, जिससे वनों की कटाई कम हो, वनीकरण को बढ़ावा मिले, और गहन व प्रदूषणकारी कृषि प्रथाएँ समाप्त हों, वायु गुणवत्ता में सुधार हो, खाद्य प्रणालियाँ मज़बूत हो सकें, एवं स्थाई खेती और वन प्रबन्धन को बढ़ावा मिले. इससे संक्रामक रोगों के उभरने का जोखिम भी कम होगा, जिनमें से 60 प्रतिशत से अधिक जानवरों से उत्पन्न होते हैं, मुख्यतः वन्यजीवों से.

दूसरा, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में, पानी और स्वच्छता से लेकर स्वच्छ ऊर्जा जैसी आवश्यक सेवाओं में निवेश करें. क्षेत्र के देशों को बहुक्षेत्रीय जल सुरक्षा योजनाओं को लागू करके पेयजल आपूर्ति की रक्षा करना जारी रखना चाहिये, और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्तर तक पहुँच बढ़ाने पर ध्यान देने के साथ-साथ, प्रासंगिक स्वास्थ्य नीतियों, रणनीतियों और कार्यक्रमों में WASH को भी शामिल करना चाहिये. क्षेत्र की 2017 माले घोषणा (2017 Malé Declaration) के अनुरूप, देशों को जलवायु-सहनसक्षम स्वास्थ्य सुविधाओं का निर्माण जारी रखना चाहिये, जो न केवल पर्यावरणीय स्वास्थ्य ख़तरों का जवाब दे सकें, उनका सामना कर सकें, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ प्रथाओं को भी बढ़ावा देते हों.

तीसरा, एक त्वरित और स्वस्थ ऊर्जा में बदलाव सुनिश्चित करें. वैश्विक स्तर पर, बाहरी वायु प्रदूषण का दो-तिहाई हिस्सा उसी जीवाश्म ईंधन के जलने से होता है, जो जलवायु परिवर्तन का कारक है, व जिससे 2030 और 2050 के बीच सालाना अतिरिक्त दो लाख 50 हज़ार लोगों की मौतें होने की आशंका है. हालाँकि इस क्षेत्र के देशों ने अक्षय ऊर्जा स्रोतों के विस्तार के लिये सराहनीय प्रयास किये हैं, लेकिन फिर भी अतिरिक्त कार्रवाई की आवश्यकता है. साथ ही, वायु गुणवत्ता मानकों को कठोरता से लागू करने के साथ-साथ, सार्वजनिक परिवहन बुनियादी ढाँचे में निवेश में वृद्धि करने की ज़रूरत है.

चौथा, स्वस्थ और टिकाऊ खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देना. भोजन तक पहुँच की कमी, या अस्वास्थ्यकर, उच्च कैलोरी आहार के सेवन से होने वाली बीमारियों का एनसीडी बढ़ाने में एक प्रमुख योगदान है, जो हमारे क्षेत्र में सालाना लगभग 92 लाख लोगों की जान ले लेता है. क्षेत्र के सभी देशों में, WHO उन देशों को उच्च प्रभाव और लागत प्रभावी "सर्वश्रेष्ठ ख़रीद" की पहचान करने और लागू करने के लिये सहयोग देना जारी रखेगा, जो खाद्य सुधार व लेबलिंग से लेकर, अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों एवं पेय पदार्थों के बढ़ते कराधान के ज़रिये, खाद्य पर्यावरण को बदल सकें, विशेष रूप से बच्चों के लिये विपणन पर कड़े प्रतिबन्ध लगाकर.

पाँचवाँ, स्वस्थ व रहने योग्य शहरों का निर्माण. 2021 में, इस क्षेत्र के पाँच शहरों को स्वास्थ्य और कल्याण पहल के लिये, WHO Urban Governance for Health and Well-being initiative में भाग लेने के लिये चुना गया था, जिसका उद्देश्य था - बहुक्षेत्रीय कार्रवाई के माध्यम से स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य असमानताओं को दूर करने के लिये देश की क्षमताओं को मज़बूत करना. इसके केवल दो उदाहरण ही दें तो, नीति निर्माता साइकिल मार्ग का विस्तार कर सकते हैं और ग्रीनहाउस उत्सर्जन व सड़क दुर्घटना से घायल होने के मामले कम करने, शारीरिक सक्रियता बढ़ाने एवं मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये, हरित व स्वस्थ स्थानों को बढ़ावा दिया जा सकता है.

हम एक निर्णायक क्षण में हैं. अब हम जो निर्णय लेंगे, उससे या तो विकास इसी ढर्रे पर "लॉक इन" होकर इसी तरह चलता रहेगा, जिससे मानव स्वास्थ्य और आजीविका को बनाए रखने वाले पारिस्थितिक तंत्र को स्थाई व बढ़ता नुक़सान पहुँचता रहेगा. या फिर, हम एक स्वस्थ, निष्पक्ष और हरित दुनिया को बढ़ावा दे सकते हैं. हमें मिलकर अपनी आवाज़ बुलन्द करनी चाहिये और अपने ग्रह, अपने स्वास्थ्य और अपने भविष्य की रक्षा के लिये तुरन्त कार्रवाई करनी चाहिये.