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सीरिया: बन्दी बच्चों के हाल-चाल, पते ठिकाने और उन तक पहुँच का आग्रह

सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े में हिंसा में बढ़ोत्तरी से बचकर सुरक्षित स्थानों को जाते हुए कुछ परिवार.
© UNICEF/Delil Souleiman AFP Services
सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े में हिंसा में बढ़ोत्तरी से बचकर सुरक्षित स्थानों को जाते हुए कुछ परिवार.

सीरिया: बन्दी बच्चों के हाल-चाल, पते ठिकाने और उन तक पहुँच का आग्रह

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा है कि मानवीय सहायताकर्मियों को सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े में बन्दीगृहों में मनमाने तरीक़े से हिरासत में रखे गए बच्चों तक, पूर्ण और निर्बाध पहुँच की अनुमति दी जानी होगी.

मानवाधिकार विशेषज्ञों का ये वक्तव्य जनवरी 2022 में अल हासेकेह क्षेत्र में स्थित जेल को तोड़ने की एक घातक कोशिश के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण है जब आइसिल के लड़ाकों ने अपने साथियों को छुड़ाने की कोशिश की थी.

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उस जेल पर कुर्दिश बलों का नियंत्रण है और जनवरी में उस जेल जब वो हमला किया गया तो उसमें लगभग पाँच हज़ार पुरुष मौजूद थे, जिनमें लगभग 700 बच्चे भी थे. उनमें से कुछ बच्चों की उम्र तो 10 वर्ष भी थी.

इनमें से कुछ बच्चों को उनके परिवार सीरिया में लाए थे, जबकि कुछ अन्य बच्चे अपने ऐसे परिवारों में सीरिया में ही पैदा हुए जिनका सम्बन्ध आईसिल उर्फ़ दाएश के साथ बताया जाता है.

100 लड़के लापता

यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है, “हम बहुत चिन्तित हैं कि जनवरी 2022 में हुए हमले का बाद से, लगभग 100 बच्चों के हाल-चाल और उनके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है, जिससे उनके जीवन के अधिकार के बारे में गम्भीर चिन्ताएँ उत्पन्न होती हैं.”

”इनमें से कुछ मामले तो जबरन गुमशुदगी के दायरे में भी आ सकते हैं, और जहाँ तक बच्चों की बात है तो देशों और सत्ताधीन प्राधिकारियों को बच्चों की निर्बल परिस्थितियों को देखते हुए, उनकी सुरक्षा व संरक्षा सुनिश्चित करने के लिये विशेष उपाय करने ज़रूरी हैं.”

मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि जेल के प्रभारी अधिकारियों ने अलबत्ता वहाँ रखे गए विदेशी नागरिकों की तत्काल स्वदेश वापसी का आहवान किया है मगर फिर भी अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत उन प्रभारियों की कुछ ज़िम्मेदारियाँ हैं, कि वो लापता हुए बच्चों की परिस्थितियों की जाँच कराएँ.

इन बच्चों को हुए किसी तरह के नुक़सान की जाँच व पहचान कराई जाए, और इन परिस्थितियों के लिये ज़िम्मेदार तत्वों की जवाबदेही निर्धारित की जाए ताकि दण्डमुक्ति का माहौल ना बने. साथ ही, वो बच्चे जिन देशों के मूल नागरिक हैं, उन देशों की भी ये ज़िम्मेदारी है कि वो इन बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करें.

बदतर होते हालात

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने जनवरी 2022 में जेल पर हुए हमले से पहले, वहाँ मौजूद नाबालिग़ों (अवयस्कों) की संख्या का बारे में सटीक जानकारी नहीं होने पर भी चिन्ता व्यक्त की है. इससे ये डर उत्पन्न होता है कि जानकारी के इस अभाव को, अवयस्कों के हाल-चाल व मौजूदा ठिकाने के बारे में कोई ज़िम्मेदारी लेने से इनकार के लिये प्रयोग किया जा सकता है.

मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीच जेल में बन्दी बनाकर रखने के हालात लगातार बदतर हो रहे हैं जहाँ बहुत से बन्दी गम्भीर कुपोषण के शिकार हैं. जेल के भीतर रखे गए बहुत से बच्चे, जनवरी के हमले के दौरान घायल हो गए थे और उन्हें अति आवश्यक उपचार भी नहीं मिला है.

विशेषज्ञों का कहना है कि बन्दीगृह के हालात क़ैदियों के साथ बर्ताव के मानक नियमों को भी पूरा करते नज़र नहीं आते हैं जिनमें आवास, पानी व स्वास्थ्य और स्वच्छता के साधनों तक पहुँच के अधिकार भी शामिल हैं.

भीड़ भरी कोठरियाँ

लड़कों को ऐसी भीड़ भरी कोठरियों में इकट्ठे रखा जा रहा है जहाँ 20 से 25 लोग रहते हैं, और वहाँ उन सब को सुरक्षित पानी भी उपलब्ध नहीं है. साथ ही कोविड-19 महामारी के फैलाव का उच्च जोखिम भी मौजूद है. 

इसके अतिरिक्त, जनवरी के हमले से पहले इन लोगों को अपने परिवारों के साथ यदा-कदा ही सम्पर्क की अनुमति दी जाती थी, मगर हमले के बाद वो भी बन्द कर दी गई है.

यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने बच्चों को आतंकवाद के साथ-साथ मानवाधिकार हनन व अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के उल्लंघन के पीड़ित बताया है. 

“उन्हें अपने सम्बन्धों के आधार पर ही दोषी समझा जा रहा है, इसी आधार पर उनके साथ भेदभाव हो रहा है और उन्हें दण्डित किया जा रहा है. उनके सर्वश्रेष्ठ हित पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. उन्हें संरक्षा व देखभाल की आवश्यकता है नाकि हिंसा व अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा बेसहारा छोड़ दिये जाने की.”

सुविधाएँ व संरक्षण

यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने जेल के अधिकारियों से वहाँ रखे गए तमाम क़ैदियों व बन्दियों तक तुरन्त पहुँच की अनुमति दिये जाने का आग्रह किया है क्योंकि ऐसा किया जाना, बन्दी बनाकर रखे गए लड़कों के हाल-चाल और उनके पते ठिकाने व उनकी स्वास्थ्य ज़रूरतों के बारे में सटीक जानकारी हासिल करने के लिये ज़रूरी है.

उन्होंने साथ ही सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े में सभी पक्षों से बच्चों की सुरक्षा व संरक्षा सुनिश्चित करने और उन्हें आगे किसी नुक़सान से बचाने का भी आग्रह किया है.

बच्चों को तत्काल उनके मूल देशों में पहुँचाया जाए, और अगर ये तत्काल सम्भव नहीं है तो कोई अन्तरराष्ट्रीय समाधान तलाश किया जाए.

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों की नियुक्ति जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार परिषद करती है. वो ना तो यूएन स्टाफ़ होते हैं और ना ही उन्हें उनके काम के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन मिलता है.