यूक्रेन युद्ध: 'रूस ने कम से कम दो दर्जन बार क्लस्टर हथियारों का प्रयोग किया'

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने बुधवार को कहा है कि विश्वसनीय रिपोर्ट्स से संकेत मिले हैं कि रूस की सशस्त्र सेनाओं ने यूक्रेन पर 24 फ़रवरी को हमला शुरू करने के बाद से, वहाँ के आबादी वाले इलाक़ों में कम से कम दो दर्जन बार क्लस्टर हथियारों का प्रयोग किया है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा है कि अब एक महीने से भी ज़्यादा समय हो गया है जिस दौरान यूक्रेन की पूरी आबादी को भयावह तबाही का सामना करना पड़ा है.
🔔#UKRAINE: WFP has reached 1 million people inside the country.While safety is people's number one concern, food is increasingly becoming a worry. The systems have been put in place to deliver food to more than 3 million people in need, but more support is essential.
WFP
उन्होंने कहा, “लाखों लोगों की ज़िन्दगी विनाश और भ्रम की चपेट में है क्योंकि उन्हें सुरक्षा की ख़ातिर अपने घर छोड़ने पड़े हैं या तहख़ानों व बम हमलों से बचाने वाले सुरक्षित ठिकानों में पनाह लेनी पड़ी है क्योंकि उनके शहरों पर गोलाबारी हुई है और उन्हें तबाह किया गया है.”
इस बीच यूएन मानवाधिकार परिषद ने बुधवार को, यूक्रेन में जाँच आयोग का काम संभालने वाले तीन जाँचकर्ताओं के नामों की घोषणा कर दी है.
ग़ौरतलब है कि मानवाधिकार परिषद के एक फ़ोरम में, 4 मार्च 2022 को इस आयोग के गठन की घोषणा की गई थी.
इन तीन जाँचकर्ताओं के नाम हैं – ऐरिक मोज़े (नॉर्वे), जैसमिनका ज़ूमहूर (बोसनिया हर्ज़ेगोविना) और पाबलो डी ग्रेइफ़ (कोलम्बिया).
इस जाँच आयोग का काम, यूक्रेन में रूस के सैन्य हमले के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन और दुर्व्यवहार के आरोपों के साथ-साथ सम्बन्धित अपराधों की जाँच करना है.
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने बताया है कि यूक्रेन में रूस के सैन्य हमले के बाद शुरू हुए संघर्ष को लगभग पाँच सप्ताह हो गए हैं और एजेंसी ने यूक्रेन के भीतर लगभग दस लाख लोगों को आपात सहायता मुहैया कराई है.
यह कोई छोटा काम नहीं है क्योंकि एक महीने पहले तक देश में इस एजेंसी की कोई मौजूदगी नहीं थी, ना ही वहाँ उसका कोई स्टाफ़, नैटवर्क, आपूर्तिकर्ता या साझीदार थे.
यूएन खाद्य सहायता एजेंसी ने बुधवार को कहा कि यूक्रेन में ज़रूरतमन्द समुदायों को बड़े पैमाने पर खाद्य सहायता उपलब्ध कराने के लिये, देश के भीतर ही अनेक स्थानों पर भण्डार गृह और सुविधा केन्द्र बनाए गए हैं.
एजेंसी के एक वक्तव्य में कहा गया है, “ट्रक, ट्रेन्स और मिनी वैन्स इस समय देश भर में खाद्य सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं और आने वाले दिनों में और ज़्यादा क़ाफ़िले पहुँचने की अपेक्षा है.”
यूएन खाद्य सहायता एजेंसी कुल मिलाकर देश में लगभग 30 लाख लोगों की मदद करने का इरादा रखती है. यूक्रेन में 10 में से लगभग चार लोगों को ये चिन्ता है उन्हें भरपेट भोजन कैसे मिल पाएगा.
यूएन खाद्य एजेंसी ने संकट से प्रभावित लगभग 31 लाख लोगों को अगले तीन महीनों के दौरान सहायता मुहैया कराने के लिये, क़रीब 59 करोड़ डॉलर की रक़म इकट्ठा करने की अपील जारी की है.
WFP ने ख़ारकीयेफ़ में परिवारों को लगभग तीन लाख 30 हज़ार ब्रैड पैकेट मुहैया कराए हैं. लिविफ़ में लड़ाई से बचकर जाने वाले लोगों को नक़दी के साथ-साथ तैयार शुदा भोजन मुहैया कराया गया है. देश के अन्य इलाक़ों में भी ऐसा ही किया गया है.
संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी मामलों की एजेंसी -UNHCR के अनुसार, इस समय तक लगभग 40 लाख लोग यूक्रेन से निकलकर पड़ोसी देशों में पनाह ले चुके हैं. इनमें से क़रीब 23 लाख लोग पोलैण्ड में पहुँचे हैं और लगभग छह लाख 8 हज़ार लोगों ने रोमानिया में पनाह ली है.
कई लाख अन्य लोग मॉल्दोवा, हंगरी, रूस और स्लोवाकिया भी पहुँचे हैं.
इस बीच यूएन बाल एजेंसी – यूनीसेफ़ ने आगाह करते हुए कहा है कि यूक्रेन में युद्ध जारी रहने के कारण, 20 लाख से भी ज़्यादा बच्चों को देश से बाहर जाने के लिये मजबूर होना पड़ा है. देश के भीतर ही, 25 लाख से ज़्यादा बच्चे व किशोरजन विस्थापित हुए हैं.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशिका कैथरीन रसैल का कहना है कि यूक्रेन के भीतर स्थिति तेज़ी से बिगड़ रही है और अपने घर छोड़ने के लिये विवश होने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है. ऐसे में ये याद रखना होगा कि उन सभी को संरक्षा, सुरक्षा, शिक्षा व मदद की सख़्त ज़रूरत है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने जिनीवा फ़ोरम में दी गई ताज़ा जानकारी में बताया कि उनके कार्यालय ने 77 ऐसी घटनाओं की पुष्टि की है जिनमें चिकित्सा ठिकानों को ध्वस्त किया गया है, जिनमें 50 अस्पताल भी हैं.
मिशेल बाशेलेट ने, युद्ध तत्काल रोकने की यूएन महासचिव की पुकार को दोहराते हुए कहा कि युद्धक गतिविधियों को, बिना किसी देरी के, तत्काल रोकना होगा.
उन्होंने रूसी संघ से की गई अपनी सीधी अपील में, देश के नेताओं से आग्रह किया कि वो यूएन महासभा व सुरक्षा परिषद की स्पष्ट व दमदार पुकारों को सुनें और यूक्रेन के क्षेत्र से तुरन्त अपनी सेनाओं को हटाएँ.