'अनचाहे गर्भ मामलों की चौंकाने वाली संख्या, विश्व की नाकामी'
संयुक्त राष्ट्र की यौन व प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी – UNFPA की बुधवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में हर साल जितने गर्भ ठहरते हैं, उनमें से लगभग आधे यानि क़रीब 12 करोड़ 10 लाख गर्भ अनचाहे होते हैं.
यूएन जनसंख्या व प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी – UNFPA की कार्यकारी निदेशिका नतालिया कैनेम का कहना है कि ये रिपोर्ट होश बहाल करने वाली पुकार है. अनचाहे गर्भ मामलों की ये संख्या, महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों की बहाली व सम्मान करने में वैश्विक नाकामी दिखाती है.
रिपोर्ट के Seeing the Unseen: The case for action in the neglected crisis of unintended pregnancy, नामक अध्याय में चेतावनी दी गई है कि इस मानवाधिकार संकट के समाजों, महिलाओं और लड़कियों व वैश्विक स्वास्थ्य के लिये गम्भीर परिणाम होते हैं.
‘अपनी कोई पसन्द ही नहीं’
यूएन एजेंसी की ‘विश्व जनसंख्या स्थिति 2022’ नामक इस वृहद रिपोर्ट में कहा गया है कि अनचाहे गर्भधारण के मामलों में से लगभग 60 प्रतिशत की परिणति गर्भपात के रूप में होती है, और गर्भपात के कुल मामलों में से लगभग 45 प्रतिशत असुरक्षित होते हैं. जच्चा महिलाओं की 5 से 13 प्रतिशत मौतों के लिये ऐसे मामले ही ज़िम्मेदार होते हैं.
ये स्थिति, वर्ष 2030 तक टिकाऊ विकास लक्ष्य (SDG) हासिल करने में, विश्व की क्षमता पर भी व्यापक प्रभाव डाल रही है.
उससे भी ज़्यादा, यूक्रेन में युद्ध व अन्य स्थानों पर संघर्षों व संकटों के कारण, गर्भ रोकने के साधनों की उपलब्धता में कमी और यौन हिंसा में बढ़ोत्तरी होने से, अनचाहे गर्भधारण के मामलों में तेज़ी से बढ़ोत्तरी होने की अपेक्षा है.
यूएन एजेंसी की प्रमुख का कहना है कि प्रभावित महिलाओं के पास ये विकल्प ही मौजूद नहीं होता है कि उन्हें गर्भधारण करना है या नही, जबकि यह जीवन में बहुत व्यापक बदलाव लाने वाला एक प्रजनन विकल्प है.
गर्भ के लिये धकेल दिया जाना
रिपोर्ट में लैंगिक विषमता और अवरुद्ध विकास के कारण, अनचाहे गर्भ मामलों में ज़्यादा बढ़ोत्तरी होती है. उदाहरण के लिये, दुनिया भर में गर्भ से बचने वाली लगभग 25 करोड़ 70 लाख महिलाएँ, गर्भ निरोध के लिये सुरक्षित व आधुनिक तरीक़े नहीं अपनाती हैं.
और जहाँ आँकड़े उपलब्ध हैं, वहाँ कुल महिलाओं में से लगभग एक चौथाई यानि 25 प्रतिशत महिलाएँ, यौन की मांग के लिये इनकार करने में ख़ुद को सक्षम नहीं पाती हैं.
अनचाहे गर्भधारण के लिये अनेक अन्य कारण भी ज़िम्मेदार होते हैं जिनमें यौन व प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल के बारे में जानकारी व जागरूकता का अभाव, महिलाओं के लिये अनुपयुक्त गर्भनिरोधक साधनों का अभाव, महिलाओं को अपने ख़ुद के शरीर पर नियंत्रण के मामलों में हानिकारण रीतियाँ, यौन हिंसा व प्रजनन प्रताड़ना; और स्वास्थ्य सेवाओं में शर्म महसूस करना शामिल हैं.
इन सब में ऐसे दबाव नज़र आते हैं जो तमाम समाज - महिलाओं व लड़कियों पर, माँ बनने के लिये डालते हैं.
संकट स्थितियों में गर्भधारण में वृद्धि
संघर्षों व संकटों की स्थिति में महिलाओं से हर स्तर पर उनके अधिकार व दर्जा छिन जाते हैं जिसके कारण, अनचाहे गर्भ के लिये जोखिम बहुत तेज़ी से बढ़ता है.
रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के लिये अक्सर गर्भनिरोधक साधनों तक पहुँच ख़त्म हो जाती है और यौन हिंसा में बढ़ोत्तरी होती है. रिपोर्ट में ऐसे अध्ययनों का भी सन्दर्भ दिया गया है जिनके अनुसार 20 प्रतिशत महिलाओं व लड़कियों को यौन हिंसा का सामना करना पड़ेगा.
यूएन एजेंसी की कार्यकारी निदेशिका डॉक्टर नतालिया कैनेम का कहना है कि अगर किसी के पास अपना घर छोड़ने के लिये केवल 15 मिनट का समय हो तो वो अपने साथ क्या लेकर चलेंगे? क्या वो अपना पासपोर्ट साथ रखेंगे? भोजन? क्या किसी को गर्भनिरोधक भी याद रहेगा?
उनका कहना है, “कोई संकट शुरू होने के दिनों, सप्ताहों और महीनों बाद के समय में यौन व प्रजनन स्वास्थ्य और सुरक्षा सेवाएँ, लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाती हैं, महिलाओं व लड़कियों को नुक़सान से बचाती हैं और अनचाहे गर्भधारण को रोकती हैं. ये ज़रूरतें भी भोजन, पानी और आश्रय जितनी ही अहम हैं.”
कार्रवाई करनी होगी
रिपोर्ट में दिखाया गया है कि शान्ति व युद्ध दोनों ही काल में, महिलाओं व लड़कियों के सर्वाधिक बुनियादी अधिकार, किस तरह पीछे धकेल दिये जाते हैं यानि उनकी पूरी तरह से अनदेखी कर दी जाती है.
रिपोर्ट में निर्णयकर्ताओं और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रभारियों से, गर्भनिरोधक साधनों व तरीक़ों की आसान उपलब्धता के माध्यम से, अनचाहे गर्भधारण को रोकने में मदद करने की पुकार भी लगाई गई है.
साथ ही, निर्णयकर्ताओं व सामुदायिक नेतृत्वकर्ताओं से महिलाओं व लड़कियों को, सैक्स, गर्भनिरोधक साधनों और मातृत्व के बारे में सकारात्मक निर्णयों लेकर महिलाओं व लड़कियों को सशक्त बनाने का भी आहवान किया गया है.