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रोहिंज्या शरणार्थियों के लिये सतत वित्तीय सहायता व समर्थन का आग्रह

बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में स्थित कुटुपलोंग रोहिंज्या शिविर में एक सड़क.
© UNHCR/Amos Halder
बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में स्थित कुटुपलोंग रोहिंज्या शिविर में एक सड़क.

रोहिंज्या शरणार्थियों के लिये सतत वित्तीय सहायता व समर्थन का आग्रह

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संगठन (UNHCR) और उसके साझीदार संगठनों ने बांग्लादेश में शरण लेकर रह रहे लाखों रोहिंज्या शरणार्थियों और उनके मेज़बान समुदायों के लिये ठोस एवं सतत अन्तरराष्ट्रीय समर्थन सुनिश्चित किये जाने की पुकार लगाई है.

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मौजूदा रोहिंज्या संकट के मद्देनज़र, मानवीय राहत एजेंसियों ने मंगलवार, 29 मार्च को एक साझा जवाबी कार्रवाई योजना पेश की है, जिसमें 88 करोड़ डॉलर से अधिक रक़म की अपील की गई है.

मंगलवार को जारी इस अपील के ज़रिये, 14 लाख लोगों तक मदद पहुँचाने के प्रयास किये जाएंगे – इनमें कॉक्सेस बाज़ार और भाषण चार द्वीप पर रहने वाले कुल नौ लाख 18 हज़ार रोहिंज्या शरणार्थी और पड़ोसी समुदायों में रहने वाले क़रीब पाँच लाख 40 हज़ार बांग्लादेशी हैं.  

साझा कार्रवाई योजना अपील के लिये, इस वर्चुअल कार्यक्रम को बांग्लादेश सरकार, अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन और यूएन शरणार्थी संगठन ने संयुक्त रूप से आयोजित किया. 

जिनीवा में यूएन शरणार्थी एजेंसी प्रवक्ता बाबर बलोच ने जानकारी देते हुए बताया कि बांग्लादेश में रहने वाले रोहिंज्या शरणार्थियों के लिये सहायता प्रयासों का यह पाँचवा वर्ष है.  

बांग्लादेशी प्रशासन के नेतृत्व में इस साझा योजना के तहत 136 साझीदार संगठनों की गतिविधियों को समाहित किया जाएगा, जिनमें 74 बांग्लादेशी संगठन हैं. 

अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन से बांग्लादेश सरकार ने वर्षों से रोहिंज्या शरणार्थियों की मेज़बानी की है.  

रोहिंज्या संकट

1990 के दशक के शुरुआती वर्षों के बाद से, म्याँमार में रोहिंज्या समुदाय अनेक बार हुए विस्थापन का शिकार होकर बांग्लादेश तक पहुँचे हैं.

वर्ष 2017 में संकट अपने चरम पर था, जब म्याँमार में सुरक्षा बलों के अभियान से उपजे हालात में, जान बचाने के लिये हर दिन हज़ारों लोग सीमा पार कर बांग्लादेश पहुँच रहे थे.

सितम्बर 2017 में, म्याँमार से भागकर, बंगाल की खाड़ी पार करके, बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार ज़िले में पहुँचे, रोहिंज्या शरणार्थी,
UNICEF Patrick Brown
सितम्बर 2017 में, म्याँमार से भागकर, बंगाल की खाड़ी पार करके, बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार ज़िले में पहुँचे, रोहिंज्या शरणार्थी,

कुटुपलोंग शरणार्थी शिविर, दुनिया में अपनी तरह का पहला विशाल शिविर है, जहाँ बेहद कम इलाक़े में, छह लाख से अधिक लोग रहते हैं. 

इससे स्थानीय बुनियादी ढाँचों और सेवाओं के लिये भीषण बोझ उत्पन्न हुआ है.

वैश्विक स्तर पर विस्थापितों के आँकड़ों में निरन्तर हो रही वृद्धि के मद्देनज़र, यूएन शरणार्थी एजेंसी और साझीदारों ने सचेत किया है कि रोहिंज्या शरणार्थियों को भूलने नहीं देना होगा. 

मानवीय राहत प्रयास

इस क्रम में, मानवीय राहत के लिये वित्तीय सहायता जारी रखने और रोहिंज्या व मेज़बान समुदायों की आवश्यकताओं को पूरा करने पर बल दिया गया है.

भौगोलिक स्थिति के कारण, कॉक्सेस बाज़ार में शरणार्थी शिविर पर प्राकृतिक आपदाओं का ख़तरा अधिक है.

इस वर्ष की योजना में आपदा जोखिम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये कार्बन उत्सर्जन में कटौती पर भी ध्यान दिया गया है.

इसके लिये, वनों को फिर से बहाल करने और टिकाऊ ऊर्जा को इस्तेमाल में लाना अहम होगा.

यूएन एजेंसी ने कहा है कि इन उपायों के बावजूद, संकट का समाधान अन्तत: म्याँमार में ही है - अनेक रोहिंज्या शऱणार्थी भी, परिस्थितियाँ सम्भव होने पर म्याँमार वापसी करना चाहते हैं. 

म्याँमार के उत्तरी प्रान्त राख़ीन में हिंसा से बचने के लिये, बांग्लादेश की तरफ़ जाते हुए रोहिंज्या शरणार्थी.
WFP/Saikat Mojumder
म्याँमार के उत्तरी प्रान्त राख़ीन में हिंसा से बचने के लिये, बांग्लादेश की तरफ़ जाते हुए रोहिंज्या शरणार्थी.

गरिमामय वापसी

यूएन एजेंसी और साझीदारों ने राख़ीन प्रान्त में अपनी मौजूदगी को बरक़रार रखा है ताकि म्याँमार में शरणार्थियों की वापसी के लिये हालात का निर्माण किया जा सके. 

यूएन एजेंसियों का मानना है कि रोहिंज्या शरणार्थियों के लिये सुरक्षा व गरिमा के साथ जीवन व्यापन कर पाना ज़रूरी है.

साथ ही, उनमें कौशल व क्षमताओं को भी विकसित किया जाना होगा ताकि वे अपनी स्थाई म्याँमार वापसी के लिये तैयार हो सकें.

यह पहली बार है जब इस योजना के तहत भाषण चार द्वीप में मानवीय गतिविधियों को भी शामिल किया गया है. यहाँ बांग्लादेश सरकार ने 24 हज़ार रोहिंज्या शऱणार्थियों बसाया है. 

इस द्वीप पर, स्वास्थ्य, संरक्षण, पोषण, शिक्षा, आजीविका समेत अति-आवश्यक मानवीय राहत सेवाओं के दायरे व स्तर को बढ़ाते रहना अहम होगा.